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19:42, 1 जून 2014 का अवतरण
झील एक नाव है
रचनाकार | प्रेमशंकर शुक्ल |
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प्रकाशक | रचना समय, भोपाल, मध्यप्रदेश |
वर्ष | 2010 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविताएँ |
विधा | |
पृष्ठ | 107 |
ISBN | 81-87110-86-4 |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- कवि का वक्तव्य / प्रेमशंकर शुक्ल
- ये कविताएँ (राजेश जोशी) / प्रेमशंकर शुक्ल
- पानी का कवित्व (मदन सोनी) / प्रेमशंकर शुक्ल
पानी एक आवाज़ है
- पानी / प्रेमशंकर शुक्ल
- एक गिलास पानी / प्रेमशंकर शुक्ल
- कुछ पंक्तियाँ / प्रेमशंकर शुक्ल
- पानी बहता है / प्रेमशंकर शुक्ल
- नदी एक गीत है / प्रेमशंकर शुक्ल
- प्यास में / प्रेमशंकर शुक्ल
- बारिश में भीग-भीग / प्रेमशंकर शुक्ल
- नमक / प्रेमशंकर शुक्ल
- प्यास / प्रेमशंकर शुक्ल
- पानी बहुत उदास है / प्रेमशंकर शुक्ल
- पानी से ही जाना / प्रेमशंकर शुक्ल
- कोई पूर्वाभ्यास नहीं / प्रेमशंकर शुक्ल
- पानी के हँसने में / प्रेमशंकर शुक्ल
- बारिश / प्रेमशंकर शुक्ल
- रेवा छन्द / प्रेमशंकर शुक्ल
- पानी-प्यास / प्रेमशंकर शुक्ल
- पानी का मतलब / प्रेमशंकर शुक्ल
- मल्हार / प्रेमशंकर शुक्ल
- लोटा / प्रेमशंकर शुक्ल
- नदी-घाट / प्रेमशंकर शुक्ल
- पानी के पोर्ट्रेट / प्रेमशंकर शुक्ल
- एक दिन ! / प्रेमशंकर शुक्ल
- समुद्र निहारते हुए / प्रेमशंकर शुक्ल
- सगवन के पात पर खिचड़ी / प्रेमशंकर शुक्ल
- पानी एक आवाज़ है / प्रेमशंकर शुक्ल
झील एक नाव है
- झील एक नाव है / प्रेमशंकर शुक्ल
- बड़ी झील / प्रेमशंकर शुक्ल
- लहरें / प्रेमशंकर शुक्ल
- झील पर मुग्ध / प्रेमशंकर शुक्ल
- झील / प्रेमशंकर शुक्ल
- झील से शहर है / प्रेमशंकर शुक्ल
- पानी पर / प्रेमशंकर शुक्ल
- बड़ी झील : तुम्हारी लहरों की ललक / प्रेमशंकर शुक्ल
- कवित्व जगमगाता है ! / प्रेमशंकर शुक्ल
- फैलाकर अपनी बाँह / प्रेमशंकर शुक्ल
- चट्टान की सन्तान / प्रेमशंकर शुक्ल
- झील एक शब्द / प्रेमशंकर शुक्ल
- सन्त हिरदाराम / प्रेमशंकर शुक्ल
- पत्थर / प्रेमशंकर शुक्ल
- हथेली पर फूल / प्रेमशंकर शुक्ल
- हँसी की नमी / प्रेमशंकर शुक्ल
- संग-साथ / प्रेमशंकर शुक्ल
- प्रथम नागरिक / प्रेमशंकर शुक्ल
- तुम्हारी ही तरह / प्रेमशंकर शुक्ल
- उबटन / प्रेमशंकर शुक्ल
- अपने पानी में / प्रेमशंकर शुक्ल
- पहर-दर-पहर / प्रेमशंकर शुक्ल
- दो दिगन्त ! / प्रेमशंकर शुक्ल
- उसे भी एक दिन / प्रेमशंकर शुक्ल
- मैं जटिल वाक्यों में / प्रेमशंकर शुक्ल
- तुम से बोलते-बतियाते / प्रेमशंकर शुक्ल
- कम पानी में / प्रेमशंकर शुक्ल
- झील में / प्रेमशंकर शुक्ल
- बावरा पेड़ / प्रेमशंकर शुक्ल
- सूर्य मगन है / प्रेमशंकर शुक्ल
- साधुवाद / प्रेमशंकर शुक्ल
- सूख चली थी बड़ी झील / प्रेमशंकर शुक्ल
- सूखी झील / प्रेमशंकर शुक्ल
- वहाँ आज कीचड़ / प्रेमशंकर शुक्ल
- कोलांस / प्रेमशंकर शुक्ल
- झील की माटी अब ख़ुश है / प्रेमशंकर शुक्ल
- भीग-भीग कर झील / प्रेमशंकर शुक्ल
- पानी पर बतख / प्रेमशंकर शुक्ल
- बूँदन-बूँदन / प्रेमशंकर शुक्ल
- आत्मा की झील में / प्रेमशंकर शुक्ल
- आकाश एक ताल है / प्रेमशंकर शुक्ल