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15:58, 1 मार्च 2018 का अवतरण
सूरज राय 'सूरज'
© कॉपीराइट: सूरज राय 'सूरज'। कविता कोश के पास संकलन की अनुमति है। इन रचनाओं का प्रयोग सूरज राय 'सूरज' की अनुमति के बिना कहीं नहीं किया जा सकता।
जन्म | 14 अप्रैल 1960 |
---|---|
उपनाम | सूरज |
जन्म स्थान | जबलपुर, मध्य प्रदेश |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
एहसास हूँ मैं, धुआँ धुआँ सूरज, "मैं" तुम्हारा चेहरा | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
सूरज राय 'सूरज' / परिचय |
पुस्तकें
कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
- न जाने कौन से भाई की सच्चाई छुपाती है / सूरज राय 'सूरज'
- हुई शायद कोई अनबन परों से / सूरज राय 'सूरज'
- सिर्फ़ छह फ़ीट अँधेरे में लिटा देता है / सूरज राय 'सूरज'
- झूठ से झूठ बचाने से भला क्या हासिल / सूरज राय 'सूरज'
- दर्द अपना है न ख़ुशी अपनी / सूरज राय 'सूरज'
- दर्द पे ही विश्वास बहुत है / सूरज राय 'सूरज'
- क्यूँ ज़मीनों-आसमानों के इशारे मौन हैं / सूरज राय 'सूरज'
- रात बारिश की मुहब्बत दोस्तो / सूरज राय 'सूरज'
- भीड़ में है कौन अपना आज़माना चाहिये / सूरज राय 'सूरज'
- एक लम्बी ग़ज़ल / सूरज राय 'सूरज'
- सिर्फ़ चमड़ी का यार होता है / सूरज राय 'सूरज'
- आईने को भी सताया कीजिये / सूरज राय 'सूरज'
- जिस्म की ज़िद है सर पे कोई छत ही हो / सूरज राय 'सूरज'
- तज्रबे जबसे लड़कपन से सयाने हो गए / सूरज राय 'सूरज'
- बुलन्दी पे अपने सितारे न होते / सूरज राय 'सूरज'
- शाने पे सर रखते, शाना बोल उठा / सूरज राय 'सूरज'
- डूबती जा रही सदा कोई / सूरज राय 'सूरज'
- सिसकती है मेरी कश्ती मेरी पतवार जाने क्यूँ / सूरज राय 'सूरज'
- प्यार एहसास वफ़ा वक़्त दवा रक्खा है / सूरज राय 'सूरज'
- सलवटें माथे की यारों से छुपानी किस लिये / सूरज राय 'सूरज'
- न ख़ुदा न आइने न आदमी के सामने / सूरज राय 'सूरज'
- लुटेरों ने चलो धोखाधड़ी की / सूरज राय 'सूरज'
- टीस ने जब कभी भी रूह की अगुवाई की / सूरज राय 'सूरज'
- आह लब पे रही तश्नगी की तरह / सूरज राय 'सूरज'
- लकीरें बाप की पेशानी की गर यार पढ़ लोगे / सूरज राय 'सूरज'
- एक पल में ही तुम दूर जाने लगे / सूरज राय 'सूरज'
- यक़ीं एहसासो-उल्फ़त के खज़ाने याद रहते हैं / सूरज राय 'सूरज'
- आज भी औरत तेरा कितना कसा संसार है / सूरज राय 'सूरज'
- नहीं मैं ये नहीं कहता कोई अधिकार लिख देना / सूरज राय 'सूरज'
- यहां पे मदद करने वाले बहुत हैं / सूरज राय 'सूरज'
- मेरा बाप मुझको ग़लत टोकता है / सूरज राय 'सूरज'
- कैसे पता हो मेरा, ये दर्दे-दिल किसी को / सूरज राय 'सूरज'
- एक-एक लकड़ी पलक मलने लगी है / सूरज राय 'सूरज'
- ज़र्रे-ज़र्रे के होठों पे वा देखकर / सूरज राय 'सूरज'
- कभी तो मुहब्बत की बरसात होगी / सूरज राय 'सूरज'
- कांच के शो रूम वाली झूठ की दुकान है / सूरज राय 'सूरज'
- कुछ सुनो मेरी अपनी सुनाओ कभी / सूरज राय 'सूरज'
- लोग मुर्दों से मज़हब बचाते रहे / सूरज राय 'सूरज'