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12:31, 1 जून 2008 का अवतरण
|
ऋतुसंहार | |
रचनाकार: | कालिदास |
अनुवादक: | रांगेय राघव |
प्रकाशक: | |
वर्ष: | |
मूल भाषा: | संस्कृत |
विषय: | -- |
शैली: | -- |
पृष्ठ संख्या: | |
ISBN: | |
विविध: | |
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- प्रिये आया ग्रीष्म खरतर... / कालिदास
- सुधुर-मधुर विचित्र है... / कालिदास
- प्रिया सुख उच्छ्वास कपिल सुप्त मदन... / कालिदास
- मेखला से बंध दुकूल सजे... / कालिदास
- क्वणित नूपुर गूँज, लाक्षा रागरंजित... / कालिदास
- स्वेद से आतुर, चपल कर... / कालिदास
- शीत चंदन सुरभिमय जलसिक्त... / कालिदास
- निशा मे सित हर्म्य में सुख नींद... / कालिदास
- लूओं पर चढ़ घुमर घिरती... / कालिदास
- तीव्र आतप तप्त व्याकुल... / कालिदास
- सविभ्रम सस्मित नयन बंकिम... / कालिदास
- तीव्र जलती है तृषा अब... / कालिदास
- किरण दग्ध, विशुष्क अपने कण्ठ से... / कालिदास
- क्लांत तन-मन रे कलापी... / कालिदास
- दग्ध भोगी तृषित बैठे... / कालिदास
- रवि प्रभा से लुप्त... / कालिदास
- प्यास से आकुल फुलाए... / कालिदास
- लिप्त कालीयक तनों पर... / कालिदास
- सुरत श्रम से पाण्डु कृश मुख हो चले... / कालिदास
- दन्त क्षत से अधर व्याकुल.../ कालिदास
- नव प्रवालोद्गम कुसुम प्रिय... / कालिदास
- बाहुयुग्मों पर विलासिनि... / कालिदास
- शोभनीय सुडोल स्तन का... / कालिदास
- व्याप्त प्रचुर सुशालि धान्यों... / कालिदास
- चिर सुरत कर केलि श्रमश्लथ... / कालिदास
- पके प्रचुर सुधान्य से... / कालिदास
- मधुर विकसित पद्म वदनी... / कालिदास
- कास कुसुमों से मही औ"... / कालिदास
- चटुल शफरी सुभग काञ्ची सी... / कालिदास
- रिक्त जल अब रजत शंख... / कालिदास
- प्रभिन्नाञ्जन दीप्ति से... / कालिदास
- मदिर मंथर चल मलय से... / कालिदास
- सुभग ताराभरण पहने... / कालिदास
- घर्षिता है वीचिमाला... / कालिदास
- रश्मि जालों को बिछा... / कालिदास
- मत्त हंस मिथुन विचरते... / कालिदास
- प्रिये मधु आया सुकोमल / कालिदास
- द्रुम कुसुमय, सलिल सरसिजमय / कालिदास
- मृदु तुहिन से शीतकृत हैं / कालिदास
- धवल चंदन लेप पर सित हार / कालिदास
- लो प्रिये! मुक श्री मनोरम / कालिदास
- मधु सुरभिमुख कमल सुन्दर / कालिदास
- / कालिदास
- / कालिदास
- / कालिदास
- / कालिदास
- / कालिदास