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"पंखुरियाँ गुलाब की / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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02:42, 18 जुलाई 2009 का अवतरण
पँखुरियाँ गुलाब की
रचनाकार | गुलाब खंडेलवाल |
---|---|
प्रकाशक | |
वर्ष | |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविताएँ |
विधा | |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
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- अगर आप दिल से हमारे न होते / गुलाब खंडेलवाल
- अब क्यों भला किसीको हमारी तलाश हो! / गुलाब खंडेलवाल
- अपना चेहरा भी किसी और का लगा है मुझे / गुलाब खंडेलवाल
- अपनी बेताबी से उनको बेखबर समझे हैं हम / गुलाब खंडेलवाल
- आखिर इस दिल की पुकारों में तुझको देख लिया / गुलाब खंडेलवाल
- आ गयी किस घाट पर यह नाव दिन ढलते हुए! / गुलाब खंडेलवाल
- आज हो चाहे दूर भी जाना, मेरे साथी मेरे मीत! / गुलाब खंडेलवाल
- आदमी भीतर से भी टूटा हुआ लगता है आज / गुलाब खंडेलवाल
- आपका एक इशारा तो हो!/ गुलाब खंडेलवाल
- आपके दिल में हमारी भी चाह है कि नहीं! / गुलाब खंडेलवाल
- उनकी आवाज़ बुलाती है हर क़दम के साथ / गुलाब खंडेलवाल
- उनका बदला हुआ हर तौर नज़र आता है / गुलाब खंडेलवाल
- उन्हें बेतकल्लुफ किया चाहता हूँ / गुलाब खंडेलवाल
- उनसे इस दिल की मुलाक़ात अभी आधी है / गुलाब खंडेलवाल
- एक अनजान के घेरे में बंद हैं हम लोग / गुलाब खंडेलवाल
- एक अहसास की रंगत के सिवा कुछ भी नहीं / गुलाब खंडेलवाल
- एक बिजली-सी घटाओं से निकलती देखी / गुलाब खंडेलवाल
- ऐसी बहार फिर नहीं आयेगी मेरे बाद / गुलाब खंडेलवाल
- और दीवाने सभी चक्कर लगाकर रह गये / गुलाब खंडेलवाल
- कभी प्यार से मुस्कुराओ तो क्या है! / गुलाब खंडेलवाल
- कभी पास आ रही है, कभी दूर जा रही है / गुलाब खंडेलवाल
- कई सवाल तो ऐसे भी जी में आये हैं / गुलाब खंडेलवाल
- कहिये तो कुछ कि काट लें दो दिन खुशी से हम / गुलाब खंडेलवाल
- कहे जो 'हाँ' तो नहीं है, 'हाँ' भी, 'नहीं' कहे तो 'नहीं' नहीं है / गुलाब खंडेलवाल
- कितने दिए बुझाए होंगे / गुलाब खंडेलवाल
- किस अदा से वो मेरे दिल में उतर जाता है!/ गुलाब खंडेलवाल
- किसी के प्यार में मरने की हम मरें तो सही / गुलाब खंडेलवाल
- किसी का प्यार समझें, दिल्लगी समझें, अदा समझें / गुलाब खंडेलवाल
- किसी बेरहम के सताए हुए हैं / गुलाब खंडेलवाल
- कोई दिल में आकर चला जा रहा है / गुलाब खंडेलवाल
- कोई भले ही बढ़के गले से लगा न हो / गुलाब खंडेलवाल
- कोई जान अपनी लुटा गया, तेरी चितवनों के जवाब में / गुलाब खंडेलवाल
- कोई रोने के सिवा काम भी है / गुलाब खंडेलवाल
- कोई छेड़े हमें किसलिए!/ गुलाब खंडेलवाल
- कौन जाने उस तरफ कोई किनारा हो, न हो! / गुलाब खंडेलवाल
- ख्यालों में उनके समाये हैं हम / गुलाब खंडेलवाल
- खुल के आओ तो कोई बात बने / गुलाब खंडेलवाल
- खुली-खुली-सी खिड़कियाँ, लुटी-लुटी-सी बस्तियाँ / गुलाब खंडेलवाल
- खूब है प्यार का यह दस्तूर / गुलाब खंडेलवाल
- गंध बन कर हवा में बिखर जायँ हम, ओस बनकर पँखुरियों से झर जायँ हम / गुलाब खंडेलवाल
- ग़म बहुत, दर्द बहुत, टीस बहुत, आह बहुत / गुलाब खंडेलवाल
- गीत तो ये हैं सभी उनको सुनाने के लिए / गुलाब खंडेलवाल
- चलता है साथ-साथ कोई यों तो राह में / गुलाब खंडेलवाल
- जब तेरा दर करीब होता है / गुलाब खंडेलवाल
- जिन्दगी मुझको कहाँ आज लिए जाती है! / गुलाब खंडेलवाल
- जी से हटती ही नहीं याद किसी की गुमनाम / गुलाब खंडेलवाल
- जुही में फूल जब आये, हमें भी याद कर लेना / गुलाब खंडेलवाल
- जो नज़र प्यार की कह गयी है, मुँह पे लाने / गुलाब खंडेलवाल
- जो हमें कहते थे हरदम, ‘जान से तुम कम नहीं’ / गुलाब खंडेलवाल
- ज़िन्दगी फिर कोई पाते तो और क्या करते! / गुलाब खंडेलवाल
- झलक रही हैं उन आँखों में शोखियाँ कैसी! / गुलाब खंडेलवाल
- तलब ग़म की खुशी से बढ़ गयी है / गुलाब खंडेलवाल
- तू जिसके लिए बेचैन है यों, वह दर्द को तेरे जान तो ले / गुलाब खंडेलवाल
- तेरा दर छोड़ के जाने का कभी नाम न लूँ / गुलाब खंडेलवाल
- तेरी तरह बोली नहीं यह भी, प्यार जताकर देख लिया / गुलाब खंडेलवाल
- तेरे वादों पे अगर एतबार आ जाये / गुलाब खंडेलवाल
- थोड़ा पी लेते जो तलछट में ही छोड़ा होता / गुलाब खंडेलवाल
- दर्द कुछ और सही, दिल पे सितम और सही / गुलाब खंडेलवाल
- दर्द दिल थाम के सहते हैं, हम तो चुप ही हैं / गुलाब खंडेलवाल
- दिल तो हमने ही लगाया है, आप चुप क्यों हैं! / गुलाब खंडेलवाल
- दिल की तड़प नीलाम हुई है / गुलाब खंडेलवाल
- दिल बहुत यों तो तेरी याद में घबरा ही गया / गुलाब खंडेलवाल
- दिल में रहते थे कभी आपके हम, भूल गये! / गुलाब खंडेलवाल
- दिल में ये प्यार के वहम क्या हैं! / गुलाब खंडेलवाल
- देखो कहाँ पर आगया है मोड़ अपनी बात का / गुलाब खंडेलवाल
- नज़र आईने से मिलाता तो होगा! / गुलाब खंडेलवाल
- नज़र भले ही हमें देख के शरमा ही गयी / गुलाब खंडेलवाल
- न रोकते हैं निगाहों से यहाँ पीने से / गुलाब खंडेलवाल
- नशे में प्यार के लिखते रहे हैं कविता हम / गुलाब खंडेलवाल
- नहीं इस दर्द का उनको पता हो, हो नहीं सकता / गुलाब खंडेलवाल
- नहीं ख़त्म भी हो सफ़र चलते-चलते / गुलाब खंडेलवाल
- पँखुरियाँ गुलाब की नम न हो तो क्या करें! / गुलाब खंडेलवाल
- प्यार औरों से नहीं, हमसे अदावत न सही / गुलाब खंडेलवाल
- प्यार दिल में न अगर था तो बुलाया क्यों था! / गुलाब खंडेलवाल
- फूल काँटों के संग अच्छा है / गुलाब खंडेलवाल
- बहकी हुई चाल, कोई देखता न हो / गुलाब खंडेलवाल
- बस नज़र का तेरी अंदाज़ बदल जाता है / गुलाब खंडेलवाल
- बहुत हमने चाहा कि दिल भूल जाये / गुलाब खंडेलवाल
- बात जो कहने की थी, होठों पे लाकर रह गये / गुलाब खंडेलवाल
- बुरा कहें तो बुरे हैं, भला कहें तो भले / गुलाब खंडेलवाल
- बेरुखी तो मेरे सरताज नहीं होती है / गुलाब खंडेलवाल
- भले ही दूर नज़र में सदा रहा हूँ मैं / गुलाब खंडेलवाल
- भले ही हाथ से आँचल छुडाये जाते हैं / गुलाब खंडेलवाल
- मिल गयी क्या तेरी आँखों में झलक प्यार की थी! / गुलाब खंडेलवाल
- मुद्दत हुई है आपसे आँखें मिले हुए / गुलाब खंडेलवाल
- यादों के समुन्दर में नज़र डूब रही है / गुलाब खंडेलवाल
- यादों के इस सफ़र में, हैं फिर गुलाब फूले / गुलाब खंडेलवाल
- ये सितार बज उठे यों, तेरे तोड़ने के पहले / गुलाब खंडेलवाल
- ये हसीं बेकली क्यों सीने में भर गयी है! / गुलाब खंडेलवाल
- यों उड़ा है नशा जवानी का / गुलाब खंडेलवाल
- यों तो उन नज़रों में है जो अनकहा, समझे हैं हम / गुलाब खंडेलवाल
- यों तो रंगों की वो दुनिया ही छोड़ ही हमने / गुलाब खंडेलवाल
- यों तो हमेशा मिलते रहे हम, दोनों तरफ़ थी एक-सी उलझन / गुलाब खंडेलवाल
- यों तो हर राह के पत्थर पे सर पे सर को मार लिया / गुलाब खंडेलवाल
- यों नज़र से नज़र नहीं मिलती / गुलाब खंडेलवाल
- यों न मिलने में शरमाइये / गुलाब खंडेलवाल
- यों पहुँचने को हजारों की नज़र तक पहुँचा / गुलाब खंडेलवाल
- रात किस तरह यहाँ हमने बिताई होगी / गुलाब खंडेलवाल
- राह फूलों से सजेगी एक दिन / गुलाब खंडेलवाल
- लाख चक्कर हों सुराही के, हमारा क्या है! / गुलाब खंडेलवाल
- वैसे तो चाहने से यहाँ क्या नहीं होता! / गुलाब खंडेलवाल
- साज़ बजता भी है, आवाज़ नहीं होती है / गुलाब खंडेलवाल
- सितारों से आगे बढे जा रहे हैं / गुलाब खंडेलवाल
- सौ ऐब हैं मुझमें न कोई इल्मोहुनर है / गुलाब खंडेलवाल
- हम खोज में उनकी रहते हैं, वे हमसे किनारा करते हैं / गुलाब खंडेलवाल
- हमसे यह बीच का पर्दा भी हटाया न गया / गुलाब खंडेलवाल
- हमारा प्यार जी उठता, घड़ी मरने की टल जाती / गुलाब खंडेलवाल
- हमें तो हुक्म हुआ सर झुका के आने का / गुलाब खंडेलवाल
- हर सुबह एक ताज़ा गुलाब / गुलाब खंडेलवाल
- हुआ प्यार का यह असर मिलते-मिलते / गुलाब खंडेलवाल
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