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जो राख होने से बचे हैं अभी तक / ब्रजेश कृष्ण

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जो राख होने से बचे हैं अभी तक
Jo-raakh-hone-se-bache-hain-abhi-tak.jpg
रचनाकार ब्रजेश कृष्ण
प्रकाशक आधार प्रकाशन, पंचकूला
वर्ष 2010
भाषा हिन्दी
विषय
विधा छंदमुक्त कविता
पृष्ठ 128
ISBN 978-81-7675-232-9
विविध
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।

इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ

हड़बड़िया समय में

लुप्त होती हुई चीज़ें

घर में तिलचट्टे

कुरुक्षेत्र डायरी