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पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
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पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
जन्म | 21 जून 1957 |
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जन्म स्थान | गढीबांदबा, करौली, राजस्थान, भारत। |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
हम चले, कुछ और चलने (1994), झूठ बोलूँगा नहीं (1997), सूरज से ठनी है मेरी (2001), चेहरे सब तमतामाए हुए हैं (2004) सभी ग़ज़ल-संग्रह । रात अभी बाकी है (2000) उर्दू काव्य संग्रह। | |
विविध | |
पर्यावरण विभाग, राजस्थान का साहित्य पुरस्कार । मदर इंडिया अकादमी आफ़ लर्निंग, कोटा द्वारा श्रेष्ठ साहित्य सृजन सम्मान (1991), सिटिजन सोसायटी फ़ोर एज्यूकशन, जोधपुर द्वारा प्रो० प्रेम शंकर श्रीवास्तव पुरस्कार (2001)। "अभिव्यक्ति","विकल्प", कदम्बगंध", आदि पत्रिकाओं के सम्पादन में सहयोग। | |
जीवन परिचय | |
पुरुषोत्तम 'यक़ीन' / परिचय |
हिन्दी ग़ज़लें
- किस कदर तंग है ज़माना कि फ़ुरसत ही नहीं / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
- हम समझते थे जिन्हे ताबो-तवाँ का पैकर / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
- सो न जाना कि मेरी बात अभी बाक़ी है / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
- फ़र्ज़ की बंदिश में दिल ये प्यार से मज़बूर है / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
- बात दिल खोल के आपस में अगर हो जाती / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
- हम अंधेरे में चरागों को जला देते हैं / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
- इन्साँ के दिल से क्यूँ भला इन्सान मर गया / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
- है कहानी ये तेरी सच को छुपाने वाली / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
- कभी दोस्ती के सितम देखते हैं / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
- कोई साथ दे या कोई छोड़ जाए,जो ख़ुद चल रहे हैं गिरे कब हैं लेकिन / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
- लौट आई दूर जा कर नज़र / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
- जहाँ भर में हमें बौना बनावे धर्म का चक्कर / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
- निचुड़ा-निचुड़ा और बुझा-सा मेरा शहर / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
- इन्साँ से जिन्हें प्यार न भगवन का कोई डर / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
- ग़ज़लों पे कर न पाएँगे थोड़ा भी गौर क्या / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
- हर बार सब ने माना कि बेकार हो गया / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
- दिल के ज़ख़्मों की तुम दवा करना / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
- जाने कैसी चली थीं यहाँ आँधियाँ / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
- शंकाओं के घेरे में / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
- मेरी प्यास वो यूँ बुझाने चले हैं / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
- हाले दिल सब को सुनाने आ गए / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
- आसमाँ के डराए हुए हैं / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
- अपने-अपने मोर्चे डट कर संभालें दोस्तो / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
- रोशनी द्वार-द्वार माँगी थी / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
- हम को लड़वा दिया फिर कर्फ़्यू लगाने को चले / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
- ग़म में शामिल हो किसी के न ख़ुशी अपनाए / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
- कल की यादों की कसक है कि बताए न बने / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
- क्यूँ अँधेरे हम को याद आने लगे / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
- सड़कें तो हैं, संकरी गली लेकिन है मेरे वास्ते / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
- वक़्त ज़ाए न अब किया जाए / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
- कोई भी आँख देखो नम नहीं हैं / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
- ये भी ग़ज़ल का मतला है / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
- ज़र्रा-ज़र्रा ज़मीं का रोता है / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
- मुझे नास्तिक जो बताते / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
- ये कहना है, वो कहना है, यूँ नैन बिछाये रस्ते में / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'