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01:54, 14 जून 2016 के समय का अवतरण
अम्मा रहतीं गाँव में
रचनाकार | प्रदीप शुक्ल |
---|---|
प्रकाशक | उत्तरायण प्रकाशन |
वर्ष | 2016 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | नवगीत |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- अम्मा रहतीं गाँव में (कविता) / प्रदीप शुक्ल
- ओ वासंती पवन / प्रदीप शुक्ल
- रामदीन / प्रदीप शुक्ल
- खड़ी हुई है धूप लजाई / प्रदीप शुक्ल
- नए साल में नया कलेंडर / प्रदीप शुक्ल
- जी गए पूरा बरस / प्रदीप शुक्ल
- ज्यों सोने की किरन धरी हो / प्रदीप शुक्ल
- जैसे अभी नहाई धूप / प्रदीप शुक्ल
- नवगीत वाले दिन / प्रदीप शुक्ल
- अभी बचे हैं हम / प्रदीप शुक्ल
- दिये का हाल / प्रदीप शुक्ल
- इक्कीसवीं सदी की लोरी / प्रदीप शुक्ल
- हुआ सबेरा / प्रदीप शुक्ल
- मत पूछो / प्रदीप शुक्ल
- हमने दुर्गा बनते देखा / प्रदीप शुक्ल
- बीमार रामदीन / प्रदीप शुक्ल
- आओ तुमको गीत सुनाएँ / प्रदीप शुक्ल
- अहा! क्या सुन्दर देश हमारा / प्रदीप शुक्ल
- बाबूजी! समझे क्या? / प्रदीप शुक्ल
- फिर से माँ गरजी / प्रदीप शुक्ल
- सूर्य की आखें तनी हैं / प्रदीप शुक्ल
- पाती तुम्हे भेजी हुई है / प्रदीप शुक्ल
- जय कन्हैया लाल की / प्रदीप शुक्ल
- ख़ुदा जगाये तुम सबको / प्रदीप शुक्ल
- थक गया है बहुत होरीलाल / प्रदीप शुक्ल
- अँधियारे में खोती हिंदी / प्रदीप शुक्ल
- बूढ़ा बरगद फिर हरियाया है / प्रदीप शुक्ल
- लिखी हुई मजबूरी है / प्रदीप शुक्ल
- सूखे ज़ज्बात / प्रदीप शुक्ल
- अभी बहुत कुछ / प्रदीप शुक्ल
- वैसा कहाँ हुआ / प्रदीप शुक्ल
- इनको आदत है जीने की / प्रदीप शुक्ल
- कहाँ जाऊँ किधर जाऊँ / प्रदीप शुक्ल
- नहीं जाओ / प्रदीप शुक्ल
- सूख रही है डाली / प्रदीप शुक्ल
- ये भारत के लाल / प्रदीप शुक्ल
- पंछी चला गया / प्रदीप शुक्ल
- बुरा हाल पंचायत घर का / प्रदीप शुक्ल
- खाली हुआ है घर / प्रदीप शुक्ल
- ये शहर / प्रदीप शुक्ल
- बस इतनी सी बात / प्रदीप शुक्ल
- ओ मेरे मोबाइल / प्रदीप शुक्ल
- गीत नये गायें / प्रदीप शुक्ल
- द्वारे पाहुन आये हैं / प्रदीप शुक्ल
- यादों के पंछी उड़ते हैं / प्रदीप शुक्ल
- मैं चाहूँगा / प्रदीप शुक्ल
- नहीं लौटे पुराने दिन / प्रदीप शुक्ल
- बस जीने की कला नहीं आई / प्रदीप शुक्ल
- सुनिए राजन / प्रदीप शुक्ल
- पानी के बुल्ले / प्रदीप शुक्ल
- बादल उतरे ताल पर / प्रदीप शुक्ल