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राज़िक़ अंसारी
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राज़िक़ अंसारी
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जन्म | 01 अप्रैल 1960 |
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जन्म स्थान | इन्दौर, मध्यप्रदेश, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
राज़िक़ अंसारी / परिचय |
ग़ज़लें
- हमारे मिलने का एक रस्ता बचा हुआ है / राज़िक़ अंसारी
- दिखाए वक़्त ने पथराव इतने / राज़िक़ अंसारी
- प्यास बिखरी हुई है बस्ती में / राज़िक़ अंसारी
- हमारा मक़सद अगर सफ़र है तवील करना / राज़िक़ अंसारी
- इधर उधर जो चराग़ टूटे पड़े हुए हैं / राज़िक़ अंसारी
- मुझ से कहता है जिस्म हारा हुआ / राज़िक़ अंसारी
- बात जब मेरी निकाली गई है / राज़िक़ अंसारी
- आतिशे ग़म से गुज़रता रोज़ हूँ / राज़िक़ अंसारी
- मेरी तन्हाई मेरा जुनूं और मैं / राज़िक़ अंसारी
- इमारत एक आलीशान है दिल / राज़िक़ अंसारी
- मैं जब रिश्तों को लड़ते देखता हूं / राज़िक़ अंसारी
- चलो चल कर वहीं पर बैठते हैं / राज़िक़ अंसारी
- दिल की रंगीनियों से वाक़िफ़ हैं / राज़िक़ अंसारी
- बतलाते हैं सारे मंज़र ख़ुश हैं सब / राज़िक़ अंसारी
- आंसू अपनी चश्मे तर से निकलें तो/ राज़िक़ अंसारी
- हमारा सर जो होता ख़म कहीं पर / राज़िक़ अंसारी
- अभी में लौटा हूँ अपने भाई को दफ़्न कर के / राज़िक़ अंसारी
- यादों ने क्या ज़ुल्म किए दिल जानता है / राज़िक़ अंसारी
- रोज़ कहता है मुझे चल दश्त में / राज़िक़ अंसारी
- लोग करने लगे जवाब तलब / राज़िक़ अंसारी
- खुले में छोड़ रखा है मगर सलीक़े से / राज़िक़ अंसारी
- आज कुछ फ़रमान है कल और कुछ / राज़िक़ अंसारी
- जो रिश्तों के बीच में डर फैलाते हैं / राज़िक़ अंसारी
- कर चुके हम फ़ैसला अब कुछ भी हो / राज़िक़ अंसारी
- दिले-बीमार को सब देखने आए / राज़िक़ अंसारी
- हमारे दिल में रह कर थक न जाएं / राज़िक़ अंसारी
- रात को मोअतबर बनाने में / राज़िक़ अंसारी
- ख़मोशियों में सवाल क्या है कोई न समझा / राज़िक़ अंसारी
- देखें तमाम ज़ुल्म व सितम कुछ नहीं कहें / राज़िक़ अंसारी
- कुछ देर आंसुओ रहो मेहमान अभी और / राज़िक़ अंसारी
- सोए हैं सब बे ख़बर किस काम का / राज़िक़ अंसारी
- क्यों करे हल सवाल और कोई / राज़िक़ अंसारी
- मैं हूँ मेरी चश्म-ए-तर है रात है तन्हाई है / राज़िक़ अंसारी
- तुम किसी तौर किसी शक्ल नहीं कर सकते / राज़िक़ अंसारी
- हमें जो लोग दिनभर जांचते हैं / राज़िक़ अंसारी
- ज़िन्दगी की उड़ान से हट जाएं / राज़िक़ अंसारी
- अभी हम खोल के दर आ रहे हैं / राज़िक़ अंसारी
- ज़िन्दगी जब तलक तमाम न हो / राज़िक़ अंसारी
- आंखों की वीरानी पढ़ कर देखो ना / राज़िक़ अंसारी
- मौत की सम्त इक क़दम हर दिन / राज़िक़ अंसारी
- तुझे देखे तो चलना भूल जाए / राज़िक़ अंसारी
- कीजिए कुछ तो कम नहीं अच्छे / राज़िक़ अंसारी
- क़बीले के नहीं सरदार अब तुम / राज़िक़ अंसारी
- जिसे जाना जिसे समझा क़रीबी / राज़िक़ अंसारी
- हम ही सच थे, कभी न हम बहके /राज़िक़ अंसारी
- इक जगह जम्अ कर लो सारे ग़म /राज़िक़ अंसारी
- किसी के दर्द का एहसास लोगों / राज़िक़ अंसारी
- नए राजा की, रानी की ज़रूरत / राज़िक़ अंसारी
- वफ़ा और प्यार के ज़ज्बात वाले / राज़िक़ अंसारी
- ख़्वाहिशें बे पनाह करने में / राज़िक़ अंसारी
- सबब कुछ भी नहीं था बात बिगड़े / राज़िक़ अंसारी
- गुम जो यादों की डायरी हो जाए / राज़िक़ अंसारी
- अपनी मंज़िल से बे ख़बर आंसू / राज़िक़ अंसारी
- कर लो दिल को गवाह फिर कहना / राज़िक़ अंसारी
- ख़्वाब जब टूट के बिखराव में आ जाते हैं / राज़िक़ अंसारी
- ख़त्म अपनी हयात है फिर भी / राज़िक़ अंसारी
- अगर सच्चाई पर अख़बार आ जाएं / राज़िक़ अंसारी
- करते हैं तकरार मज़े में रहते हैं / राज़िक़ अंसारी
- शाम ढले घर आने जाने लगते हैं / राज़िक़ अंसारी
- चौराहे पर दोस्त पुराने मिल गये फिर / राज़िक़ अंसारी
- हमारे घर में आना भूल जाएं / राज़िक़ अंसारी
- जो भी, जब भी दिलेर बोलते हैं / राज़िक़ अंसारी
- सब मेरे हम सफ़र कहानी में / राज़िक़ अंसारी
- नफ़रतों का लिखा बदलना है / राज़िक़ अंसारी
- ख़्वाब सच के रुबरु करते रहे/ राज़िक़ अंसारी
- क़बायें तो बदन पर क़ीमती हैं / राज़िक़ अंसारी
- आज खुली जब गुज़रे वक़्तों की अलमारी बरसों बाद / राज़िक़ अंसारी
- मेरा किरदार कब से जंच रहा है / राज़िक़ अंसारी
- हम इश्क़ वालों के पाँव इतने रमे हुए हैं / राज़िक़ अंसारी
- नए किरदार में ढल के मिलेंगे / राज़िक़ अंसारी
- कुछ तो चहरे भी हैं मलूल अलग / राज़िक़ अंसारी