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श्रेणी:नवगीत
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कविता कोश में
नवगीत
"नवगीत" श्रेणी में पृष्ठ
इस श्रेणी में निम्नलिखित 66 पृष्ठ हैं, कुल पृष्ठ 3,959
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ह
हाथ में है जादुई पत्थर / कुमार रवींद्र
हाथ मेज के तले पसारे / शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान
हाथों का उठना / ओम प्रभाकर
हाय दुर्दशा मानवता की/ शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान
हार का ठहराव / गरिमा सक्सेना
हार गये वन / किशन सरोज
हार नहीं मानी / रमेश रंजक
हार हुई तो / रामकुमार कृषक
हाल / मनोज जैन 'मधुर'
हाल क्या हैं मित्र मोचीराम के / सुनो तथागत / कुमार रवींद्र
हिंदी में बोलूँ / ताराप्रकाश जोशी
हिड़की भर-भर रोए / गीता पंडित
हिन्दी अधिकारी / बुद्धिनाथ मिश्र
हिम्मत हिरासत में / रमेश रंजक
हिम्मति ना हार्यो सजनवा / सुशील सिद्धार्थ
हियाँ न केवकै / जगदीश पीयूष
हियाँ न भुइयाँ हैं नींबी तर / भारतेन्दु मिश्र
हिरना आँखें / कैलाश गौतम
हिरना क्यों उदास मन तेरा / जगदीश व्योम
हिरनी फेंके ख़ून / उमाकांत मालवीय
हिरनी-सी है क्यों / अवनीश सिंह चौहान
हिल रहीं नीवें / कुमार रवींद्र
ह आगे.
हिलती कहीं / परमानंद श्रीवास्तव
हिले-डुले कर्णफूल /राम शरण शर्मा 'मुंशी'
हिलेंगे पत्ते / गुलाब सिंह
हुआ अचरज महानगरी में / कुमार रवींद्र
हुआ सबेरा / प्रदीप शुक्ल
हुई आज तो होली है / प्रताप नारायण सिंह
हुई बावरी है नंदा / सुनो तथागत / कुमार रवींद्र
हुए पराजित गाँव / राजेन्द्र गौतम
हुए लखपती राम मोहन्ती / सुनो तथागत / कुमार रवींद्र
हे देव बता मुझको / एक बूँद हम / मनोज जैन 'मधुर'
हे मानस के सकाल / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
हेन्हैं केॅ किरियैलोॅ आठो याम काटै छी / अमरेन्द्र
हेमन्त : हिमालय और हम / उमाशंकर तिवारी
है कहाँ कोई / रोहित रूसिया
है कौन / रोहित रूसिया
है चाहता बस मन तुम्हें / कृष्ण शलभ
है छिपा सूरज कहाँ पर (नवगीत) / गरिमा सक्सेना
है छिपा सूरज कहाँ पर / गरिमा सक्सेना
है पूछती गूँगी लहर / कुमार रवींद्र
है बहुत मुश्किल / रोहित रूसिया
है हमारे वास्ते जंजाल / जय चक्रवर्ती
हैं कृषक हड़ताल पर / राहुल शिवाय
ह आगे.
हैं बाऊजी बूढ़े / कुमार रवींद्र
हैं सुनहरी बेड़ियाँ ये / सुनो तथागत / कुमार रवींद्र
हो गई हैं खिड़कियाँ दीवार / रामकुमार कृषक
हो गया मुश्किल शहर में डाकिया दिखना / जयकृष्ण राय तुषार
हो गया है यन्त्रवत / शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान
हो गयी हैं यंत्रवत / शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान
हो न सके खुलकर अपनों से / नईम
होंठों तक आया कई बार / कुमार शिव
होना हलाल तो एक रोज़ / पंकज परिमल
होय केतनेउ बिकट अँधेरु / सुशील सिद्धार्थ
होलई गईं जरि मरि / जगदीश पीयूष
होली आज मनाएँ / एक बूँद हम / मनोज जैन 'मधुर'
होश में आए / वीरेंद्र आस्तिक
ह्यांवत मा ना जुरिहै अबकी / भारतेन्दु मिश्र
हइआ हो... / भागवतशरण झा 'अनिमेष'
ॠ
ॠतु-वीणा टूटी है / कुमार रवींद्र
२
२८ अगस्त ’७१ / रमेश रंजक
चल दिया दिन दुम दबाकर धूप शर्माती चली / कन्हैयालाल मत्त
तन भी दुखिया मन भी दुखिया / कन्हैयालाल मत्त
नया वर्ष आने दो / कन्हैयालाल मत्त
लौट आए फगुनहट के पाहुने / कन्हैयालाल मत्त
हो गई लम्बी निशाएँ दिन बहुत छोटे हुए / कन्हैयालाल मत्त
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