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18:23, 22 फ़रवरी 2012 का अवतरण
मनोहर शर्मा
www.kavitakosh.org/sagharpalampuri
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जन्म | 25 जनवरी 1929 |
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निधन | 30 अप्रैल 1996 |
उपनाम | 'साग़र' पालमपुरी |
जन्म स्थान | गाँव झुनमान सिंह, तहसील शकरगढ़ (अब पाकिस्तान में) |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
मनोहर 'साग़र' पालमपुरी / परिचय | |
कविता कोश पता | |
www.kavitakosh.org/sagharpalampuri |
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- फूल क्यों मुरझा रहा है / साग़र पालमपुरी
- बहारे-रफ़्ता को ढूँढें कहाँ-कहाँ यारो / साग़र पालमपुरी
- दीपक से दीपक जलता है / साग़र पालमपुरी
- अपने ही परिवेश से अंजान है / साग़र पालमपुरी
- दिल हैं शोले निगाहें धुआँ / साग़र पालमपुरी
- ज़ीस्त की जुस्तजू है ग़ज़ल / साग़र पालमपुरी
- साँझ मेरे गाँव की / साग़र पालमपुरी
- फिर तस्सव्वुर में कोई नक़्श उभर आया है / साग़र पालमपुरी
- दिल की दुनिया तो कोई लूट गया है बाबा / साग़र पालमपुरी
- सहर का रंग गुलों का निखार है तुझसे / साग़र पालमपुरी
- वफ़ा की धूप , न है प्यार की घनी छाओं/ साग़र पालमपुरी
- कैसा मेरे शऊर ने धोखा दिया मुझे / साग़र पालमपुरी
- फूल नग़्मों के खिलाते कैसे / साग़र पालमपुरी
- दिल लगाने का ये इनआम मिला है मुझको / साग़र पालमपुरी
- सुहागरात का पहला वो रतजगा होगा / साग़र पालमपुरी
- जाने कहाँ बहार का मौसम निकल गया / साग़र पालमपुरी
- ज़ख्मे-एहसास ज़माने को दिखाएँ कैसे / साग़र पालमपुरी
- नश्शा-सा पिलाए है महक उसके बदन की/ साग़र पालमपुरी
- पतझड़ के फूलों जैसे हैं गई उम्र के ढलते साये / साग़र पालमपुरी
- जंगल है महव—ए— ख़्वाब / साग़र पालमपुरी
- ख़ंजर—ब—क़फ़ है साक़ी / साग़र पालमपुरी
- खा गया वक्त हमें / साग़र पालमपुरी
- अर्ज़—ओ—समाँ में / साग़र पालमपुरी
- ज़िन्दगी ! तुझ को क्या है अन्दाज़ा / साग़र पालमपुरी
- खिला रहता था जिनके प्यार का / साग़र पालमपुरी
- सुबह हर घर के दरीचों में / साग़र पालमपुरी
- जो इक पल भी किसी के / साग़र पालमपुरी
- बसा है जब से आकर दर्द / साग़र पालमपुरी
- फिर निगाहों में आ बसा कोई / साग़र पालमपुरी
- फिर तसव्वुर में वही नक़्श / साग़र पालमपुरी
- इरादे थे क्या और क्या कर चले / साग़र पालमपुरी
- काश वो इक पल ही आ जाते / साग़र पालमपुरी
- है कितनी तेज़ मेरे ग़मनवाज़ / साग़र पालमपुरी
- छोड़े हुए गो उसको हुए है / साग़र पालमपुरी
- ख़िज़ाँ के दौर में हंगामा—ए—बहार थे हम / साग़र पालमपुरी
- अपनी मंज़िल से कहीं दूर / साग़र पालमपुरी
- बेसहारों के मददगार हैं हम / साग़र पालमपुरी
- कितना यहाँ के लोगों में है / साग़र पालमपुरी
- एक वो तेरी याद का लम्हा / साग़र पालमपुरी
- शाम अपनी है न है सहर कोई / साग़र पालमपुरी
- दरअसल सबसे आगे जो दंगाइयों में था / साग़र पालमपुरी
- कैसा मेरे शऊर ने धोखा दिया मुझे / साग़र पालमपुरी
- गई हैं रूठ कर जाने कहाँ वो चाँदनी रातें / साग़र पालमपुरी
- हर सम्त एक भीड़—से फैले हुए हैं लोग / साग़र पालमपुरी
- सर्द हो जाएगी यादों की चिता मेरे बाद / साग़र पालमपुरी
- हो सके तुझ से तो ऐ दोस्त! दुआ दे मुझको / साग़र पालमपुरी
- रात कट जाये तो फिर बर्फ़ की चादर देखें / साग़र पालमपुरी
- मालूम नहीं उनको ये मैं कौन हूँ, क्या हूँ / साग़र पालमपुरी
- वो महफ़िलें, वो शाम सुहानी कहाँ गई / साग़र पालमपुरी
- ज़र्द चेहरों पे क्यों पसीना है / साग़र पालमपुरी
- हाल—ए—दिल जिनसे कहने की थी आरज़ू / साग़र पालमपुरी
- दिल के तपते सहरा में यूँ तेरी याद / साग़र पालमपुरी
- दिल में यादों का धुआँ है यारो / साग़र पालमपुरी
- है शाम—ए—इन्तज़ार अजब बेकली की शाम / साग़र पालमपुरी
- उमड़े हुए अश्कों को रवानी नहीं देता / साग़र पालमपुरी
- कहाँ चला गया बचपन का वो समाँ यारो / साग़र पालमपुरी
- नज़र नवाज़ बहारों के गीत गायेंगे / साग़र पालमपुरी
- हु्स्न—ए—चमन से ख़ाक—ए—मनाज़िर ही ले चलें / साग़र पालमपुरी
- कोई आवारा हवा मुझको उड़ा ले जाये / साग़र पालमपुरी
- तूफ़ानी शब, घोर अँधेरा, मंज़िल दूर, हवाएँ सर्द / साग़र पालमपुरी
- कितनी हसीं है शाम सुनाओ कोई ग़ज़ल / साग़र पालमपुरी
- वो बस के मेरे दिल में भी नज़रों से दूर था / साग़र पालमपुरी
- समझ के रिन्द न महफ़िल में तू उछाल मुझे / साग़र पालमपुरी
- हमनशीं ही उठ गए तो हम कहाँ रह जाएँगे / साग़र पालमपुरी
- ग़म—ए—अंजाम—ए—महब्बत से छुड़ाया जाये / साग़र पालमपुरी
- हम नशीं ही उठ गये तो हम कहाँ रह जायेंगे / साग़र पालमपुरी
- सहर का रंग गुलों का निखार है तुझ से / साग़र पालमपुरी
- परदेस चला जाये जो दिलबर तो ग़ज़ल कहिये / साग़र पालमपुरी
- अब क्या बताएँ क्या हुए चिड़ियों के घोंसले / साग़र पालमपुरी
- जिसको पाना है उसको खोना है / साग़र पालमपुरी
- हद्द—ए—नज़र तक क्या है देख / साग़र पालमपुरी
- थी आरज़ू कि ख़ूब हँसायेगी ज़िन्दगी / साग़र पालमपुरी
- ख़ून—ए—हसरत से तेरा रंग निखारा जाए / साग़र पालमपुरी
- बोझल है कितनी शाम—ए—जुदाई तेरे बग़ैर / साग़र पालमपुरी
- लाख गोहर फ़िशानियाँ होंगी / साग़र पालमपुरी
- राह—ए—वफ़ा में नाम कमाने का वक़्त है / साग़र पालमपुरी
- अपनी फ़ितरत वो कब बदलता है / साग़र पालमपुरी
- खोये-खोये-से हो हुआ क्या है / साग़र पालमपुरी
- ज़ेह्न अपना झँझोड़ कर देखो / साग़र पालमपुरी
- सोच के ये निकले हम घर से / साग़र पालमपुरी
- किस को है मालूम न जाने कब जीवन की साँझ ढले / साग़र पालमपुरी
- शाम ढलते वो याद आये हैं / साग़र पालमपुरी
- वो मुलाक़ात का पल याद आया / साग़र पालमपुरी
- आशियाँ उजड़े तो बुलबुल ने बहाये आँसू / साग़र पालमपुरी
- दिल के आँगन में कोई फूल खिला है शायद / साग़र पालमपुरी
- कोई आवारा हवा मुझको उड़ा ले जाए / साग़र पालमपुरी
- मुझको दोहराते हो क्यों भूला हुआ क़िस्सा हूँ मैं / साग़र पालमपुरी
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