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म्हारै पांती रा सुपना
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रचनाकार | राजू सारसर ‘राज’ |
---|---|
प्रकाशक | बोधि प्रकाशन, जयपुर |
वर्ष | 2013 |
भाषा | राजस्थानी |
विषय | कविता |
विधा | |
पृष्ठ | 112 |
ISBN | 978-93-83150-74-8 |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
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- मन / राजू सारसर ‘राज’
- मौत / राजू सारसर ‘राज’
- धरम अर धरती / राजू सारसर ‘राज’
- भव री बाट / राजू सारसर ‘राज’
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- कद ताईं / राजू सारसर ‘राज’
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- हार-जीत / राजू सारसर ‘राज’
- म्हारै पांती रा सुपना: अेक / राजू सारसर ‘राज’
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- म्हारै पांती रा सुपना: तीन / राजू सारसर ‘राज’
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