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"क्या हो गया कबीरों को / शेरजंग गर्ग" के अवतरणों में अंतर

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* [[ग़लत समय में सही बयानी / शेरजंग गर्ग]]
 
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* [[खुद से रूठे हैं हम लोग / शेरजंग गर्ग]]
 
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* [[साल आकर बड़ी तेज़ी से गुज़र जाते है / शेरजंग गर्ग]]
 
* [[साल आकर बड़ी तेज़ी से गुज़र जाते है / शेरजंग गर्ग]]
 
* [[सादगी की मिसाल हो तुम तो / शेरजंग गर्ग]]
 
* [[सादगी की मिसाल हो तुम तो / शेरजंग गर्ग]]
* [[नयन है नशीले नज़रों से परिचित / शेरजंग गर्ग]]
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* [[नयन हैं नशीले नज़रों से परिचित / शेरजंग गर्ग]]
 
* [[तुम्ही मिल गए हो डगर के बहाने / शेरजंग गर्ग]]
 
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* [[न करता शिकायत ज़माने से कोई / शेरजंग गर्ग]]
 
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* [[दूर बैठा हूँ हर हक़ीक़त से / शेरजंग गर्ग]]
 
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* [[अब तो कहने के लिए शेष कोई बात नहीं / शेरजंग गर्ग]]
 
* [[अब तो कहने के लिए शेष कोई बात नहीं / शेरजंग गर्ग]]
* [[फूलो की बेकरार निगाको के आसपास / शेरजंग गर्ग]]
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* [[सपनो की धूमिल छाया का आकार न भूलूंगा हरगिज़ / शेरजंग गर्ग]]
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* [[सपनों की धूमिल छाया का आकार न भूलूंगा हरगिज़ / शेरजंग गर्ग]]
 
* [[न देखो पीर उर की पर अधर की प्यास तो देखो / शेरजंग गर्ग]]
 
* [[न देखो पीर उर की पर अधर की प्यास तो देखो / शेरजंग गर्ग]]

17:12, 23 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण

क्या हो गया कबीरों को
Kya-ho-gaya-kabiron-ko-kavitakosh.jpg
रचनाकार शेरजंग गर्ग
प्रकाशक मेधा बुक्स, नवीन शाहदरा, दिल्ली - 110032
वर्ष 2003
भाषा हिन्दी
विषय
विधा ग़ज़ल
पृष्ठ 80
ISBN
विविध
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