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अक्षरों की आँखों से / महेश सन्तोषी
Kavita Kosh से
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अक्षरों की आँखों से
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रचनाकार | महेश सन्तोषी |
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प्रकाशक | |
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भाषा | हिन्दी |
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विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ
- हम एक ठण्डे शहर की एक ठण्डी गली में रहते हैं / महेश सन्तोषी
- बर्फ बिछी है रास्तों पर, रिश्तों पर / महेश सन्तोषी
- बहुत महंगी हो गयी है रोशनियाँ / महेश सन्तोषी
- इन्कलाब के मायने तक भूल गये लोग / महेश सन्तोषी
- धधकती आग से सम्वाद / महेश सन्तोषी
- अलग-अलग ईश्वर नहीं होते / महेश सन्तोषी
- इतिहास का जहर / महेश सन्तोषी
- हदों में रखिये हौंसलों को / महेश सन्तोषी
- कोई ऐसा शहर होता तो हम वहाँ चले जाते / महेश सन्तोषी
- बर्फ से ठण्डे दिल / महेश सन्तोषी
- वक्त के किस दौर से गुजर रहा हूँ / महेश सन्तोषी
- कर्ज के मुखौटे / महेश सन्तोषी
- अभावों की यात्रा / महेश सन्तोषी
- भूख का गणित / महेश सन्तोषी
- बेईमान बन जाने में / महेश सन्तोषी
- सूरज की बेटी / महेश सन्तोषी
- मांग भरे सुहागिनों की भीड़ / महेश सन्तोषी
- वैधव्य और वसंत / महेश सन्तोषी
- आधी मर गयी औरत / महेश सन्तोषी
- अब रुला जाते हैं माँ के आँसू / महेश सन्तोषी
- सहोदर भी नहीं होते सहोदरों के सगे / महेश सन्तोषी
- बच्चों के हाथ से किताबें / महेश सन्तोषी
- कहीं नहीं बने बस्ते इनके वास्ते / महेश सन्तोषी
- तुम्हें इतना बुरा क्यों लगा? / महेश सन्तोषी
- पीड़ाएं पूछ लीं / महेश सन्तोषी
- अभावों से होकर / महेश सन्तोषी
- मानसिकता / महेश सन्तोषी
- रोटियों की सरहदें / महेश सन्तोषी
- शवयात्राओं में भी शायद ही जाएं। / महेश सन्तोषी
- देहों के उत्सवों के दिन / महेश सन्तोषी
- पहला पुरुष / महेश सन्तोषी
- स्थाई प्यार के दिन बीत गये / महेश सन्तोषी
- जीवित संदेशे / महेश सन्तोषी
- उम्र के जिस पड़ाव पर / महेश सन्तोषी
- देहों से जुड़े-जुड़े / महेश सन्तोषी
- देहों के रिश्ते / महेश सन्तोषी
- आँखें बिछ जाती थीं / महेश सन्तोषी
- तुम नहीं दिखते / महेश सन्तोषी
- पहाड़ों पर अकेले / महेश सन्तोषी
- वर्षों बाद दिखे / महेश सन्तोषी
- कर दिया मना / महेश सन्तोषी
- पहाड़ अब हमसे बातें करने लगे / महेश सन्तोषी
- उम्र से बड़ी लगी / महेश सन्तोषी
- क्यों जाते हैं रास्ते? / महेश सन्तोषी
- अपमान सहे / महेश सन्तोषी
- प्यार से अपरिचय तक / महेश सन्तोषी
- परछाइयों की हथेलियों पर दिये / महेश सन्तोषी
- याद आये तुम आज / महेश सन्तोषी
- पहला प्यार ही होता है अन्तिम भी / महेश सन्तोषी
- प्यार के खण्डहर / महेश सन्तोषी
- अन्तिम सांस बन कर / महेश सन्तोषी
- प्यार की सरहदें / महेश सन्तोषी
- प्यार और पूजा / महेश सन्तोषी
- उम्र का अस्ताचल / महेश सन्तोषी