लहर
रचनाकार | सूरदास |
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भाषा | हिन्दी |
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इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- आदि सनातन, हरि अबिनासी / सूरदास
- प्रात भयौ, जागौ गोपाल / सूरदास
- भावती लीला, अति पुनीत मुनि भाषी / सूरदास
- जागौ, जागौ हो गोपाल / सूरदास
- हरि मुख देखि हो बसुदेव / सूरदास
- गोकुल प्रगट भए हरि आइ / सूरदास
- उठीं सखी सब मंगल गाइ / सूरदास
- हौं इक नई बात सुनि आई / सूरदास
- हौं सखि, नई चाह इक पाई / सूरदास
- ब्रज भयौ महर कैं पूत, जब यह बात सुनी / सूरदास
- आजु नंद के द्वारैं भीर / सूरदास
- बहुत नारि सुहाग-सुंदरि और घोष कुमारी / सूरदास
- आजु बधायौ नंदराइ कैं, गावहु मंगलचार / सूरदास
- धनि-धनि नंद-जसोमति, धनि जग पावन रे / सूरदास
- सोभा-सिंधु न अंत रही री / सूरदास
- आजु हो निसान बाजै, नंद जू महर के / सूरदास
- आजु हो बधायौ बाजै नंद गोप-राइ कै / सूरदास
- आजु बधाई नंद कैं माई / सूरदास
- आजु गृह नंद महर कैं बधाइ / सूरदास
- आजु तौ बधाइ बाजै मंदिर महर के / सूरदास
- कनक-रतन-मनि पालनौ, गढ़्यौ काम सुतहार / सूरदास
- जसोदा हरि पालनैं झुलावै / सूरदास
- पलना स्याम झुलावती जननी / सूरदास
- हरि किलकत जसुदा की कनियाँ / सूरदास
- सुत-मुख देखि जसोदा फूली / सूरदास
- कन्हैया हालरु रे / सूरदास
- नैंकु गोपालहिं मोकौं दै री / सूरदास
- कन्हैया हालरौ हलरोइ / सूरदास
- कर पग गहि, अँगूठा मुख / सूरदास
- चरन गहे अँगुठा मुख मेलत / सूरदास
- जसुदा मदन गोपाल सोवावै / सूरदास
- अजिर प्रभातहिं स्याम कौं, पलिका पौढ़ाए / सूरदास
- हरषे नंद टेरत महरि / सूरदास
- महरि मुदित उलटाइ कै मुख चूमन लागी / सूरदास
- जो सुख ब्रज मैं एक घरी / सूरदास
- यह सुख सुनि हरषीं ब्रजनारी / सूरदास
- जननी देखि, छबि बलि जाति / सूरदास
- जसुमति भाग-सुहागिनी, हरि कौं सुत जानै / सूरदास
- गोद लिए हरि कौं नँदरानी / सूरदास
- नंद-घरनि आनँद भरी, सुत स्याम खिलावै / सूरदास
- नान्हरिया गोपाल लाल, तू बेगि बड़ौ किन होहिं / सूरदास
- जसुमति मन अभिलाष करै / सूरदास
- हरि किलकत जसुमति की कनियाँ / सूरदास
- जननी बलि जाइ हालक हालरौ गोपाल / सूरदास
- हरि कौ मुख माइ, मोहि अनुदिन अति भावै / सूरदास
- लालन, वारी या मुख ऊपर / सूरदास
- आजु भोर तमचुर के रोल / सूरदास
- खेलत नँद -आँगन गोबिंद / सूरदास
- खीजत जात माखन खात / सूरदास
- बिहरत गोपाल राइ, मनिमय रचे अँगनाइ / सूरदास
- बाल बिनोद खरो जिय भावत / सूरदास
- मैं बलि स्याम, मनोहर नैन / सूरदास
- किलकत कान्ह घुटुरुवनि आवत / सूरदास
- नंद-धाम खेलत हरि डोलत / सूरदास
- धनि जसुमति बड़भागिनी, लिए कान्ह खिलावै / सूरदास
- हरिकौ बिमल जस गावति गोपंगना / सूरदास
- चलन चहत पाइनि गोपाल / सूरदास
- सिखवति चलन जसोदा मैया / सूरदास
- भावत हरि कौ बाल-बिनोद / सूरदास
- सूच्छम चरन चलावत बल करि / सूरदास
- बाल-बिनोद आँगन की डोलनि / सूरदास
- गहे अँगुरियाँ ललन की, नँद चलन सिखावत / सूरदास
- कान्ह चलत पग द्वै-द्वै धरनी / सूरदास
- चलत स्यामघन राजत, बाजति पैंजनि पग-पग चारु मनोहर / सूरदास
- भीतर तैं बाहर लौं आवत / सूरदास
- चलत देखि जसुमति सुख पावै / सूरदास
- सो बल कहा भयौ भगवान / सूरदास
- लहर2 / सूरदास
- देखो अद्भुत अबिगत की गति, कैसौ रूप धर्यौ है / सूरदास
- साँवरे बलि-बलि बाल-गोबिंद / सूरदास
- हरि हरि हँसत मेरौ माधैया / सूरदास
- हरि हरि हँसत मेरौ माधैया / सूरदास
- झुनक स्याम की पैजनियाँ / सूरदास
- चलत लाल पैजनि के चाइ / सूरदास
- मैं देख्यौं जसुदा कौ नंदन खेलत आँगन बारौ री / सूरदास
- जब तैं आँगन खेलत देख्यौ, मैं जसुदा कौ पूत री / सूरदास
- जसोदा, तेरौ चिरजीवहु गोपाल / सूरदास
- मैं मोही तेरैं लाल री / सूरदास
- कल बल कै हरि आरि परे / सूरदास
- जब दधि-मथनी टेकि अरै / सूरदास
- जब दधि-रिपु हाथ लियौ / सूरदास
- जब मोहन कर गही मथानी / सूरदास
- नंद जू के बारे कान्ह, छाँड़ि दै मथनियाँ / सूरदास
- जसुमति दधि मथन करति / सूरदास
- आनँद सौं, दधि मथति जसोदा, घमकि मथनियाँ घूमै / सूरदास
- त्यौं-त्यौं मोहन नाचै ज्यौं-ज्यौं रई-घमरकौ होइ / सूरदास
- प्रात समय दधि मथति जसोदा / सूरदास
- गोद खिलावति कान्ह सुनी, बड़भागिनि हो नँदरानी / सूरदास
- कहन लागे मोहन मैया-मैया / सूरदास
- माखन खात हँसत किलकत हरि / सूरदास
- बेद-कमल-मुख परसति जननी / सूरदास
- सोभा मेरे स्यामहि पै सोहै / सूरदास
- बाल गुपाल ! खेलौ मेरे तात / सूरदास
- पलना झूलौ मेरे लाल पियारे / सूरदास
- क्रीड़त प्रात समय दोउ बीर / सूरदास
- कनक-कटोरा प्रातहीं, दधि घृत सु मिठाई / सूरदास
- गोपालराइ दधि माँगत अरु रोटी / सूरदास
- हरि-कर राजत माखन-रोटी / सूरदास
- दोउ भैया मैया पै माँगत / सूरदास
- तनक दै री माइ, माखन तनक दै री माइ / सूरदास
- नैकु रहौ, माखन द्यौं तुम कौं / सूरदास
- बातनिहीं सुत लाइ लियौ / सूरदास
- दधि-सुत जामे नंद-दुवार / सूरदास
- कजरी कौ पय पियहु लाल,जासौं तेरी बेनि बढ़ै / सूरदास
- मैया, कबहिं बढ़ैगी चोटी / सूरदास
- हरि अपनैं आँगन कछु गावत / सूरदास
- आजु सखी, हौं प्रात समय दधि मथन उठी अकुलाइ / सूरदास
- बलि-बलि जाउँ मधुर सुर गावहु / सूरदास
- पाहुनी, करि दै तनक मह्यौ / सूरदास
- मोहन, आउ तुम्हैं अन्हवाऊँ / सूरदास
- जसुमति जबहिं कह्यौ अन्वावन / सूरदास
- ठाढ़ी अजिर जसोदा अपनैं / सूरदास
- किहिं बिधि करि कान्हहिं समुजैहौं / सूरदास
- (आछे मेरे) लाल हो, ऐसी आरि न कीजै / सूरदास
- बार-बार जसुमति सुत बोधति / सूरदास
- ऐसौ हठी बाल गोविन्दा / सूरदास
- मैया, मैं तौ चंद-खिलौना लैहौं / सूरदास
- मैया री मैं चंद लहौंगौ / सूरदास
- लै लै मोहन ,चंदा लै / सूरदास
- तुव मुख देखि डरत ससि भारी / सूरदास
- जसुमति लै पलिका पौढ़ावति / सूरदास
- सुनि सुत, एक कथा कहौं प्यारी / सूरदास
- नाहिनै जगाइ सकत, सुनि सुबात सजनी / सूरदास
- जागिए, व्रजराज-कुँवर, कमल-कुसुम फूले / सूरदास
- प्रात समय उठि, सोवत सुत कौ बदन उघार्यौ नंद / सूरदास
- जागिए गोपाल लाल, आनँद-निधि नंद-बाल / सूरदास
- उठौ नँदलाल भयौ भिनसार / सूरदास
- तुम जागौ मेरे लाड़िले, गोकुल -सुखदाई / सूरदास
- भोर भयौ जागौ नँद-नंद / सूरदास
- माखन बाल गोपालहि भावै / सूरदास
- सो सुख नंद भाग्य तैं पायौ / सूरदास
- खेलत स्याम ग्वालनि संग / सूरदास
- सखा कहत हैं स्याम खिसाने / सूरदास
- सखा कहत हैं स्याम खिसाने / सूरदास