कैलाश झा 'किंकर'
जन्म | 12 जनवरी 1962 |
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निधन | 13 जुलाई 2020 |
जन्म स्थान | पर्रा (विरपुर), बेगूसराय, बिहार |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
कैलाश झा 'किंकर' / परिचय |
अंगिका संग्रह
कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
कैलाश झा 'किंकर' की ग़ज़लें
- दिन ढले घर लौटते सारे परिन्दे हैं / कैलाश झा 'किंकर'
- ज़िन्दगी भर साथ जिनका एक रस्ता है / कैलाश झा 'किंकर'
- अन्धकार में, दीप जले तो, रौशन हो / कैलाश झा 'किंकर'
- आ रहा हूँ पास तेरे दिल मचलता है / कैलाश झा 'किंकर'
- दोष इसमें नहीं किसी का है / कैलाश झा 'किंकर'
- रब सबको अवसर दें / कैलाश झा 'किंकर'
- सागर से भी गहरा है / कैलाश झा 'किंकर'
- हुआ क्या मुझे कुछ पता ही नहीं / कैलाश झा 'किंकर'
- हुई अब रात आ जाओ / कैलाश झा 'किंकर'
- मुझे अपना जो कह देना / कैलाश झा 'किंकर'
- छुपे सारे सितारे क्यों / कैलाश झा 'किंकर'
- मिटी दूरी दिलों की अब / कैलाश झा 'किंकर'
- मुहब्बत से ज़रा हँस दो / कैलाश झा 'किंकर'
- अभाव में भी सदा मैंने मुस्कुराया है / कैलाश झा 'किंकर'
- गया वह दूर नज़र से मगर जुड़ा तो रहा / कैलाश झा 'किंकर'
- बदजुबानी आपकी तो देखकर हैरान हैं सब / कैलाश झा 'किंकर'
- जग से जो नहीं हारा संतान से हारा है / कैलाश झा ‘किंकर’
- जैसा मेरा सपना था / कैलाश झा ‘किंकर’
- न टूटे भरम ज़िन्दगी भर सुहाना / कैलाश झा ‘किंकर’
- सुना है वह दिल का बड़ा मोतबर है / कैलाश झा ‘किंकर’
- खामोश ज़ुबां हमदम कैसे / कैलाश झा ‘किंकर’
- ग़म में जो सदा बे-ग़म कैसे / कैलाश झा ‘किंकर’
- जीऊँगा बिना हमदम कैसे / कैलाश झा ‘किंकर’
- रुके पाँव मेरे ज़रा चलते-चलते / कैलाश झा ‘किंकर’
- भेंट होना भी है मुश्किल चाँद-तारों से / कैलाश झा ‘किंकर’
- आ रहा है आज तुम पर प्यार अच्छा है / कैलाश झा ‘किंकर’
- हजार बार मनाही हुई कि मत जाओ / कैलाश झा ‘किंकर’
- यहाँ था मेरा जो झोला नज़र नहीं आता / कैलाश झा ‘किंकर’
- कोई दुनिया में है आप जैसा नहीं / कैलाश झा ‘किंकर’
- कौन किसके काम आए क्या पता है / कैलाश झा ‘किंकर’
- झूठ से भी दिल बहल जाता है हज़रत / कैलाश झा ‘किंकर’
- पढ़ रहे हम आपकी आँखों की भाषा / कैलाश झा ‘किंकर’
- चलो यार अब घर / कैलाश झा ‘किंकर’
- मुझे भी सुनाना / कैलाश झा ‘किंकर’
- बहुत हो गया अब / कैलाश झा ‘किंकर’
- दुश्मनी से क्या मिलेगा दोस्ती कर ले / कैलाश झा ‘किंकर’
- हुई है देर बहुत आपको भी आने में / कैलाश झा ‘किंकर’
- दिल हमेशा आपको ही याद करता है / कैलाश झा ‘किंकर’
- दाग़ दिखलाते चलें हम कब तलक संसार को / कैलाश झा ‘किंकर’
- जिसने जीवन में कभी भी हाथ फैलाया नहीं / कैलाश झा ‘किंकर’
- हम तुम्हारे तुम हमारे इसमें है शंका नहीं / कैलाश झा ‘किंकर’
- राज़ को तो राज़ रहने दीजिए / कैलाश झा ‘किंकर’