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अशुद्ध सारंग
रचनाकार | हेमन्त शेष |
---|---|
प्रकाशक | पंचशील प्रकाशन, जयपुर |
वर्ष | 1992 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविताएँ |
विधा | |
पृष्ठ | 120 |
ISBN | 81-7056-089-6 |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- जल गई है कोई कंदील मेरे भीतर/ हेमन्त शेष
- रोज़ समय का चाकू / हेमन्त शेष
- बन्द एक घर / हेमन्त शेष
- मायने बदल जाएंगे / हेमन्त शेष
- अहा! आपके दाँत / हेमन्त शेष
- स्वप्न में आप सर्वशक्तिमान हैं / हेमन्त शेष
- एक पहाड़ को बहुत देर देखकर / हेमन्त शेष
- प्रेम से हम हँसेंगे / हेमन्त शेष
- पालतू घोड़े / हेमन्त शेष
- कमरे में आओ तो डर लगता है / हेमन्त शेष
- सालों से कोई चीज़ जल रही है / हेमन्त शेष
- मेनका अब भी इन्द्रपुरी में होगी / हेमन्त शेष
- लोग अब परिंदों के रंगीन परों को निहारते नहीं / हेमन्त शेष
- तुम करोगे दुख / हेमन्त शेष
- अरे अरे घंटी तेरी आवाज़ / हेमन्त शेष
- दोस्त की नई पत्नी के गाल पर / हेमन्त शेष
- चिड़िया निहत्थी गा रही है / हेमन्त शेष
- सामाजिकता का तकाजा है / हेमन्त शेष
- गाड़ी नहीं चलती बाधा जब चलती है / हेमन्त शेष
- ब्रह्मा ने स्वप्न में कहा था / हेमन्त शेष
- चीख़ते वक़्त भी यह याद रखो / हेमन्त शेष
- वॄक्ष को ईर्ष्या है / हेमन्त शेष
- चलेगी दुनिया की गाड़ी उसी तरह / हेमन्त शेष
- तुतलाता है बच्चा और रोता है / हेमन्त शेष
- अब नई नई माँ / हेमन्त शेष
- मेरा वह अपराध कौन क्षमा करेगा, प्रभु! / हेमन्त शेष
- संभलो दर्शको / हेमन्त शेष
- चाहे सुनो शास्त्रीय संगीत / हेमन्त शेष
- जितने दिन ख़ुश रह सकें ग़लतफ़हमी में / हेमन्त शेष
- वाह कलियुग! / हेमन्त शेष
- चादरें बनती हैं / हेमन्त शेष
- वृक्षों की मासूमियत उस छाल में निहित है / हेमन्त शेष
- जेब में बटुआ नहीं रखना चाहते लोग / हेमन्त शेष
- बहुत से शिकारियों के हमले में / हेमन्त शेष
- उन ध्वनियों का अर्थ / हेमन्त शेष
- गर्वोन्मत, स्तब्ध और मंत्रमुग्ध / हेमन्त शेष
- मुखपृष्ठ पर हिल रहा है / हेमन्त शेष
- कविता के तीर का शिकार / हेमन्त शेष
- लकड़ियाँ जब बदल जाएंगी / हेमन्त शेष
- बहुत दिनों बाद ज़रा-सी फ़ुर्सत में / हेमन्त शेष
- एक बेहद लम्बी सुरंग है समय / हेमन्त शेष
- बहुत विकसित है बदतमीजियों का अर्थशास्त्र / हेमन्त शेष
- राजा बादाम का शर्बत पी रहा है / हेमन्त शेष
- तुम्हारी आँख के बादल / हेमन्त शेष
- संबंधों और शकरकन्दों में साम्य / हेमन्त शेष
- अंतत: सूख जाना गीले कपड़ों की नियति है / हेमन्त शेष
- तितलियों के दाँत नहीं होते / हेमन्त शेष
- शब्दों की सीमाएँ / हेमन्त शेष
- नागपंचमी के पर्व पर / हेमन्त शेष
- तकलीफ़ का कोई पड़ाव नहीं / हेमन्त शेष
- श्रीमान आपके मोजों से बहुत बू आ रही है / हेमन्त शेष
- नई क्राकरी के जो बर्तन हाथ से छूटेंगे / हेमन्त शेष
- न जाने किस हाथ के लिए / हेमन्त शेष
- एक अदद रात, एक याद, एक एकान्त / हेमन्त शेष
- बीतना समय का / हेमन्त शेष
- भूगोल की क़िताब में लिखा है / हेमन्त शेष
- हे आमो! / हेमन्त शेष
- हमें जानने वाले / हेमन्त शेष
- बैंगन की तरह सरल / हेमन्त शेष
- ज़िन्दगी भर समारोह ज़िन्दगी के / हेमन्त शेष
- पेड़ों की यह एक उदारता ही है / हेमन्त शेष
- याद आती हैं बरबस घटनाएँ / हेमन्त शेष
- मुझे यात्रा करनी है / हेमन्त शेष
- काग़ज़ पर उसी निर्ममता से / हेमन्त शेष
- एक बहुत सक्रिय मच्छर / हेमन्त शेष
- तस्वीर का सपना चौकोर है / हेमन्त शेष
- मूर्छित-समय-संगीत / हेमन्त शेष
- रसगुल्ले अगर कड़वा नीम हों / हेमन्त शेष
- रोज़ लिखता शब्द / हेमन्त शेष
- अबाबीलों के स्वप्नों में / हेमन्त शेष
- महानगर इसलिए महान है / हेमन्त शेष
- देखने जैसी कोशिश / हेमन्त शेष
- लोग जानते हैं राम-राम का अर्थ / हेमन्त शेष
- क्रूरताएँ, प्रहसन और फ़ुर्सत के दिन / हेमन्त शेष
- वे बच्चे हैं / हेमन्त शेष
- काट लिए गए खेत / हेमन्त शेष
- भीतर हिल गई शाख / हेमन्त शेष
- खड़खड़ाते पुल पर / हेमन्त शेष
- ध्वनियाँ क्या हैं / हेमन्त शेष
- कई साल बाद किसी दोस्त से भेंट / हेमन्त शेष
- पालक तभी तक पालक है / हेमन्त शेष
- खूँटी पर टंगे छाते में बन्द हैं / हेमन्त शेष
- गई वह रात / हेमन्त शेष
- केलों से भी थोड़ा-बहुत सीख सकते हैं हम / हेमन्त शेष
- भारहीनता में जीवित रहने के लिए / हेमन्त शेष
- कौन जानता है फ़ुर्सत की रीढ़ में / हेमन्त शेष
- विषण्णतापूर्वक समुद्र भाप बन रहे हैं / हेमन्त शेष
- उम्र के सोए हुए वृक्ष से झर रहे दिन / हेमन्त शेष
- कहीं आसपास फिर शाम हो रही है / हेमन्त शेष
- पछतावे के बहुत से रंग / हेमन्त शेष
- कभी हमारा घर / हेमन्त शेष
- रोज़ उठो / हेमन्त शेष
- वे थीं, हैं, रहेंगी आवाज़ें / हेमन्त शेष
- कट कर गिरती विवशता / हेमन्त शेष
- दिन-रात खिला रहता है काल-पुष्प / हेमन्त शेष
- रोशनी आँख है दृश्यों की / हेमन्त शेष
- नाखूनों के लिए नम्रता अर्थहीन है / हेमन्त शेष
- कविता कोट नहीं / हेमन्त शेष
- जो चीज़ पैरों पर खड़ी है / हेमन्त शेष
- जो ढलेगा शब्द भीतर / हेमन्त शेष
- अक्सर हम कहीं नहीं पहुँचते / हेमन्त शेष
- प्रति क्षण शून्य से भी कम / हेमन्त शेष
- क्या आप झाड़ू में स्त्री की महानता नहीं देखते / हेमन्त शेष
- भीगता हूँ / हेमन्त शेष
- फूट आते शब्द जो कभी / हेमन्त शेष
- हड्डियाँ होते हुए भी दाँत / हेमन्त शेष
- चमक जाते हैं दूर से दिसम्बर में / हेमन्त शेष
- होना ही हमारा शुरू होना है / हेमन्त शेष
- मैं कहाँ था जब मैं वहाँ न था / हेमन्त शेष
- भोंपू किसी को हटाता है मार्ग से / हेमन्त शेष
- मेरे हिस्से की पॄथ्वी / हेमन्त शेष
- आदमी अगर पेड़ होना चाहे / हेमन्त शेष
- देखता हूँ सूर्यास्त / हेमन्त शेष
- घास हम तुमसे कुछ भी नहीं चाहते / हेमन्त शेष
- शब्द एक दृश्य / हेमन्त शेष
- रंग अगर स्मृति हैं / हेमन्त शेष
- अगर आप अब भी नहीं मानेंगे / हेमन्त शेष
- बहुधा हम जीवित नहीं होते / हेमन्त शेष
- क्यों न याद कर लें / हेमन्त शेष
- आत्महत्या न कर पाने की प्रसन्न्ता में / हेमन्त शेष
- हर चीज़ में स्थिर-भाव के लिए / हेमन्त शेष
- देखकर कबूतरों को / हेमन्त शेष
- शाम हो रही है / हेमन्त शेष
- क्रियाओं का विज्ञान / हेमन्त शेष
- कस्बा जो छूट गया पीछे / हेमन्त शेष
- वज्र एक सच होगा कभी / हेमन्त शेष
- वहीं रहते हैं पेड़ / हेमन्त शेष
- मित्र जब-जब तुम / हेमन्त शेष
- किशोरावस्था की साधना / हेमन्त शेष
- कौओं की भाषा / हेमन्त शेष