भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

फिर कबीर / मुनव्वर राना

3 bytes added, 14:40, 23 नवम्बर 2009
*[[तू कभी देख तो रोते हुए आकर मुझको / मुनव्वर राना]]
*[[अगर दौलत से ही सब क़द का अंदाज़ा लगाते हैं / मुनव्वर राना]]
*[[कुछ मेरी वफादारी वफ़ादारी का इनाम इनआम दिया जाए / मुनव्वर राना]]
*[[न मैं कंघी बनाता हूँ न मैं चोटी बनाता हूँ / मुनव्वर राना]]
*[[मेरे कमरे में अँधेरा नहीं रहने देता / मुनव्वर राना]]