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गंगादास
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जन्म | 1823 |
---|---|
निधन | 1913 |
जन्म स्थान | रसूलपुर ग्राम, बाबूगढ़ छावनी, मेरठ, उत्तरप्रदेश । |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
लगभग ५० काव्य-ग्रन्थों और अनेक स्फुट निर्गुण पदों की रचना । | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
गंगादास / परिचय |
कुण्डलियाँ <sort order="asc" class="ul">
- बोए पेड़ बबूल के, खाना चाहे दाख / गंगादास
- माया मेरे हरी की, हरें हरी भगवान / गंगादास
- अन्तर नहीं भगवान में, राम कहो चाहे संत / गंगादास
- जो पर के अवगुण लखै, अपने राखै गूढ़ / गंगादास
- गाओ जो कुछ वेद ने गाया, गाना सार / गंगादास
- ऐ अविनाशी ! आपका, जन्म नहीं, ना नास / गंगादास
- महाघोर आया कली, पड़ी पाप की धूम / गंगादास
- मोहताजों की ख़बर ले, तेरी लें भगवान / गंगादास
- माला फेरो स्वास की, जपो अजप्पा जाप / गंगादास
- पावैं शोभा लोक में , जो जन विद्यामान / गंगादास
- चारों चारों युगों से, सुखदायक हैं चार / गंगादास
- मासा ना तिल भर कदी घटै बधै तक़दीर / गंगादास
- देखा देखी जोग से जोगी रोगी होय / गंगादास
- बंधन तो कट जायेंगे, जो लायकवर होय / गंगादास
- मैली चादर मैल से, कदी चढ़े ना रंग / गंगादास
- चेले चातुर करें क्या, जो गुरु हों मतिमन्द / गंगादास
- तोड़े जाल अनादि ये भरम, भये दुःख दूर / गंगादास
- सोवेगा जो कोई कदी, जदी पड़ेंगे चोर / गंगादास
- तेगा ले गुरु ज्ञान का, राम भक्ति की ढाल / गंगादास
- फँस रही है बेदाव में, दाव बिना लाचार / गंगादास
- मारो ठोकर दया कर, नाव मेरी हो पार / गंगादास
- उजर नहीं है आपसे, बेचो या लो मोल / गंगादास
- आता न उस वक़्त पै दारा सुत धन काम / गंगादास
- मानो मेरी आज ये, बात मानने योग / गंगादास
- उल्लू को अचरज लगै, सुन सूरज की बात / गंगादास
- पापी के कोई भूलकर, मत ना बसो पडौस / गंगादास
- टूटी चोंच कुसंग से, सुआ भये उदास / गंगादास
- बीरज में जहाँ खता है, अति खरा है खेत / गंगादास
- केसर के सतसंग में, बसी रहे चाहे रोज / गंगादास
- बाजी खर होते नहीं, चाहे खाय कपूर / गंगादास
- शेरों में घर स्यार ने, छाया क्या है फेर / गंगादास
- मान बड़ाई, इर्षा, आशा, तृष्णा, चार / गंगादास
- तेरे में, मुझमें, तुझे, यही एक है जाल / गंगादास
- मेरे तेरे में तुही, ये दो तुमसे दूर / गंगादास
- विष में अमृत होत है, भगवत वर परसाद / गंगादास
- देखे न इस जगत में, बिन तमा के भेख / गंगादास
- ले ले मंदा बिक रहा, सौदा अति अनमोल / गंगादास
- तेरे बैरी तुझी में, हैं ये तेरे फ़ैल / गंगादास
- लक्षण येई नीच के, तजै वेद मरजाद / गंगादास
- सोई जानो जगत में, उत्तम जीव सुभाग / गंगादास
- बोलो जो कुछ धरा हो कहीं आपका माल / गंगादास
- बाजी तेरी फ़िर पड़ी होगी तेरी जीत / गंगादास
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