भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
उजाले अपनी यादों के / बशीर बद्र
Kavita Kosh से
उजाले अपनी यादों के
रचनाकार | बशीर बद्र |
---|---|
प्रकाशक | वाणी प्रकाशन |
वर्ष | 2003 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | ग़ज़ल |
पृष्ठ | 115 |
ISBN | |
विविध | बशीर बद्र जी की कुछ चुनिंदा ग़ज़लों का यह ग़ज़ल संग्रह विजय वाते जी द्वारा संपादित है |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- एक चेहरा साथ साथ रहा जो मिला नहीं / बशीर बद्र
- लोग टूट जाते हैं / बशीर बद्र
- जहाँ पेड़ पर चार दाने लगे / बशीर बद्र
- यूँ ही बेसबब न फिरा करो / बशीर बद्र
- कभी यूँ भी आ मेरी आँख में / बशीर बद्र
- मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला / बशीर बद्र
- सर झुकओगे तो पत्थर / बशीर बद्र
- न जी भर के देखा न कुछ बात की / बशीर बद्र
- सियाहियों के बने हर्फ़ हर्फ़ धोते हैं / बशीर बद्र
- हर जन्म में उसी की चाहत थे / बशीर बद्र
- रात इक ख़्वाब हमने देखा है / बशीर बद्र
- अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जायेगा / बशीर बद्र
- कोई लश्कर है कि बढ़ते हुए गम / बशीर बद्र
- चमक रही है परों में उड़ान की खुश्बू / बशीर बद्र
- वो चांदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है / बशीर बद्र
- अच्छा तुम्हारे शहर का दस्तूर हो गया / बशीर बद्र
- अब किसे चाहें किसे ढूँढा करें / बशीर बद्र
- कोई चिराग़ नहीं है मगर उजाला है / बशीर बद्र
- उदासी आसमाँ है दिल मेरा / बशीर बद्र
- उदासी का ये पत्थर आँसुओं से / बशीर बद्र
- दालानों की धूप छतों की शाम कहाँ / बशीर बद्र
- होंठों पे मुहब्बत के फ़साने नहीं आते / बशीर बद्र
- सर से चादर बदन से कबा ले गई / बशीर बद्र
- प्यार की नयी दस्तक / बशीर बद्र
- उनको आईना बनाया / बशीर बद्र
- उदास आँखों से आँसू नहीं निकलते हैं / बशीर बद्र
- कोई फूल धूप की पत्तियों में / बशीर बद्र
- सोए कहाँ थे आँखों ने तकिये भिगोये थे / बशीर बद्र
- सर से पा तक वो गुलाबों का शजर / बशीर बद्र
- कौन आया रास्ते आईनाख़ाने हो गये / बशीर बद्र
- अज़्मतें सब तिरी ख़ुदाई की / बशीर बद्र
- मैं ग़ज़ल कहूँ मैं ग़ज़ल पढूँ / बशीर बद्र
- याद किसी की चाँदनी बन कर / बशीर बद्र
- माटी की कच्ची गागर को क्या खोना / बशीर बद्र
- मेरे सीने पर सर रक्खे हुए / बशीर बद्र
- आँखों में रहा दिल में उतरकर नहीं देखा / बशीर बद्र
- सन्नाटा क्या चुपके-चुपके कहता है / बशीर बद्र
- किसे खबर थी तुझे इस तरह सजाऊंगा / बशीर बद्र
- शबनम हूँ सुर्ख़ फूल पे बिखरा हुआ हूँ मैं / बशीर बद्र
- सुनो पानी में यह किसकी सदा है / बशीर बद्र
- तारों के चिलमनों से कोई झांकता भी हो / बशीर बद्र
- आँसुओं से धुली ख़ुशी की तरह / बशीर बद्र
- नज़र से गुफ़्तगू ख़ामोश लब तुम्हारी तरह / बशीर बद्र
- कोई हाथ नहीं ख़ाली है / बशीर बद्र
- कभी तो शाम ढले अपने घर गए होते / बशीर बद्र
- मैं उदास रस्ता हूँ शाम का / बशीर बद्र
- रेत भरी है इन आँखों में / बशीर बद्र
- हमारे हाथों में इक शक़्ल चाँद जैसी थी / बशीर बद्र
- वो दरुरों के सलामों के नगर याद आये / बशीर बद्र
- दूसरो को हमारी सजाएँ न दें / बशीर बद्र
- हमारा दिल सवेरे का सुनहरा जाम हो जाए / बशीर बद्र
- उदास रात है कोई तो ख़्वाब दे जाओ / बशीर बद्र
- मेरे दिल की राख कुरेद मत / बशीर बद्र
- फूल बरसे कहीं शबनम कहीं गौहर बरसे / बशीर बद्र
- ग़ज़ल को माँ की तरह बाविकार करता हूँ / बशीर बद्र
- निकल आये इधर जनाब कहाँ / बशीर बद्र
- गुलाबों की तरह दिल अपना शबनम में / बशीर बद्र
- जुगनू कोई सितारों की महफ़िल में खो गया / बशीर बद्र
- ख़्वाब इन आँखों का कोई चुराकर ले जाए / बशीर बद्र
- सुबह का झरना हमेशा हंसने वाली औरतें / बशीर बद्र
- धूप आई है मुझको फैलाने / बशीर बद्र
- कहाँ आँसुओं की ये सौगात होगी / बशीर बद्र
- बेवफ़ा रास्ते बदलते हैं / बशीर बद्र
- किसने मुझको सदा दी बता कौन है / बशीर बद्र
- बड़े ताजिरों की सताई हुई / बशीर बद्र
- मेरी आँखों में ग़म की निशानी नहीं / बशीर बद्र
- हमसे मुसाफ़िरों का सफ़र इंतज़ार है / बशीर बद्र
- ख़ुश्बू को तितलियों के परों में छिपाऊंगा / बशीर बद्र
- अगर यकीं नहीं आता तो आजमाए मुझे / बशीर बद्र
- सुनसान रास्तों से सवारी न आएगी / बशीर बद्र
- ख़ाक जब ख़ाकसार लगती है / बशीर बद्र
- बेख़बर कुर्सियाँ आँख मलती रहीं / बशीर बद्र
- वो फूल तेरे होंठों के छूने से जो खिला / बशीर बद्र
- सब्ज़ पत्ते धूप की ये आग जब पी जाएँगे / बशीर बद्र
- अब है टूटा सा दिल ख़ुद से बेज़ार सा / बशीर बद्र
- अब तेरे मेरे बीच में कोई फ़ासला भी हो / बशीर बद्र
- ज़मीं से आँच ज़मीं तोड़कर निकलती है / बशीर बद्र
- सुरमा मिस्सी कंघी चोटी भूली है / बशीर बद्र
- चल मुसाफ़िर बत्तियां जलने लगीं / बशीर बद्र
- अपनी उदास धूप तो घर घर चली गई / बशीर बद्र
- ये कसक दिल की दिल में चुभी रह गयी / बशीर बद्र
- यहाँ सूरज हँसेंगे आसुंओं को कौन देखेगा / बशीर बद्र
- चरवाहा भेड़ों को लेकर घर घर आया / बशीर बद्र
- मुस्कराती हुई धनक है वही / बशीर बद्र
- रात के साथ रात लेटी थी / बशीर बद्र
- हँसी मासूम सी बच्चों की कापी में / बशीर बद्र
- लोबान में चिंगारी जैसे कोई रख जाए / बशीर बद्र
- मैक़दा रात ग़म का घर निकला / बशीर बद्र
- दिल छलक उट्ठा आँख भर आई / बशीर बद्र
- दिखला के यही मंज़र बादल चला जाता है / बशीर बद्र
- मुझसे बिछड़ के ख़ुश रहते हो / बशीर बद्र
- नारियल के दरख्तों की पागल हवा / बशीर बद्र
- उड़ते बादल बुजुर्गों की शफ्क़त / बशीर बद्र
- सोचा नहीं अच्छा बुरा / बशीर बद्र