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ज्ञान-गिरा
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रचनाकार | रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ' |
---|---|
प्रकाशक | अंगिका संसद, सराय भागलपुर, बिहार |
वर्ष | 2016 |
भाषा | अंगिका |
विषय | |
विधा | विभिन्न छंद |
पृष्ठ | 96 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- ऐलोॅ यमोॅ के सनेश / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- गुरू दरशन करी ले रे मन / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- सर्व शिक्षा अभियान तेॅ चलावै छै / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- जागोॅ मुसाफिर / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- श्री सदगुरू छेकै सुख के सागर / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- केकरा सें करौं तकरार कोय नै सुनै छै / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- ऐलै कोसी में बाढ़ भयंकर सखिया / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- भावोॅ के भुखलोॅ हम्में छी / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- तोरा चाहला पर जीयें तेॅ सकै छै / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- बिहुला, नटुआ, बिसुराउत के भरलोॅ छै अजब गाथा / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- अंगिका माय नें सिखैने छै / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- दर्शन देॅ गुरुदेॅव आय हमरोॅ / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- सच्चा मारग दिखाबोॅ बाबा / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- निज प्रकाश फैलाबो बाबा / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- वोकरा की समझावै छोॅ / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- सुती गेलै सदभावना की करौं / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- पर्यावरण दूषित कैन्हें छै / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- तोरोॅ पूर्वजें लेॅ जाय रहौं सौ कनकठिया / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- जग में शायदे कोय इन्सान छै अखनी / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- हमरोॅ राज बिहार छै भारत के सिरताज। / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- हमरोॅ अंगदेश छै महान, जेकरोॅ माटी ऊर्जावान / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- सांस गति रूकलोॅ जखनी घर सें बाहर करै तखनी / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- हायकू / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- मुकरी / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- लोरी / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- ताँका / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- जनक छंद / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- लौहपुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- सुनोॅ हो भैय्या, सुनें गेॅ बहिना / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- सगुण रूप में सद्गुरू अइलै / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- अइलै माता राजेश्वरी भवनमा / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- गुरू हो, गेलों चारो धाम / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- मिललोॅ मानुष तनमा / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- नैय्या जीवन के डोलै छै डगमग / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- सद्गुरू सतपाल जी अइलै / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- आवोॅ प्रेमी भइया / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- चेतें-चेतें रे अभिमानी / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- बहलै बसंती बयार / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- पियवा गेलै परदेशवा / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- मुन्ना रे तोंय पढ़ै लेॅ जो / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- बच्चा बुतरू केॅ भेजें इस्कूल गे / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- हे रे छौड़ा कहा गेलें / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- धान रोपै छै रोपनियाँ झुकी-झुकी / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- पावस रितु असरेस रात / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- पावस बरसै फुहार, दिल हुलसै हमार / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- सावन में मासें हो / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- गेलै शरद अइलै हेमंत / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- ऐलै बसंत आवोॅ सखि / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- काली रे कोइलिया कुहकै / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- हमरोॅ देश महान छेलै / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- तुलसी छै जग में महान गे / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- सुनोॅ-सुनोॅ सखिया / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- कथिलेॅ केॅ शिवोॅ केॅ / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- औघड़ ऐसनों रूप बनैलोॅ / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- गुरूवर हमरा सें नेहिया / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ''
- आजु के दिनमां, आजु के रतिया / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- चलोॅ सखि मिली-जुली / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- मानुस तनमा दुरलभ / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- हर साल तुलसी-जयन्ती आवै छै / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- महिमा तोरोॅ अपार जगजननी / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- हमरा कहलो नै जाय छै / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- सुनै छेलियै जिनकोॅ नाम बरसो सें / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- प्रारब्ध पहिनें बनै / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- छलिया युग, दानी दिल / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- बिजली—महिमा / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
- गुरू के बतिया / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'