दीवान
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रचनाकार | नासिर काज़मी |
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प्रकाशक | |
वर्ष | |
भाषा | उर्दू |
विषय | शायरी |
विधा | ग़ज़ल |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ
- रात ढल रही है / नासिर काज़मी
- देस सब्ज़ झीलों का / नासिर काज़मी
- कब तक बैठे हाथ मलें / नासिर काज़मी
- ऐसा कोई सपना जागे / नासिर काज़मी
- सारी रात जगाती है / नासिर काज़मी
- तू है या तेरा साया है / नासिर काज़मी
- जन्नत माहीगीरों की / नासिर काज़मी
- ग़म है या ख़ुशी है तू / नासिर काज़मी
- सुब्ह का तारा उभरकर रह गया / नासिर काज़मी
- बर्फ गिरती रहे आग जलती रहे / नासिर काज़मी
- तेरी मजबूरियां दुरुस्त मगर / नासिर काज़मी
- मुसलसल बेकली दिल को रही है / नासिर काज़मी
- शहर सुनसान है किधर जाएँ / नासिर काज़मी
- फिर नई फ़स्ल के उनवां चमके / नासिर काज़मी
- तिरे आने का धोका सा रहा है / नासिर काज़मी
- अहले-दिल आंख जिधर खोलेंगे / नासिर काज़मी
- दर्द कांटा है उसकी चुभन फूल है / नासिर काज़मी
- कुंज-कुंज नग़माज़न बसन्त आ गई / नासिर काज़मी
- आज तुझे क्यूँ चुप सी लगी है / नासिर काज़मी
- प्यारे देस की प्यारी मिट्टी / नासिर काज़मी
- शोला-सा पेचो-ताब में देखा / नासिर काज़मी
- चंद घरानों ने मिल जुलकर / नासिर काज़मी
- नीयत-ए-शौक़ भर न जाए कहीं / नासिर काज़मी
- जल्वा-सामां है रंगो-बू हमसे / नासिर काज़मी
- कल जिन्हें ज़िन्दगी थी रास बहुत / नासिर काज़मी
- फूल ख़ुशबू से जुदा है अब के / नासिर काज़मी
- इस दुनिया में अपना क्या है / नासिर काज़मी
- शौक़ क्या क्या दिखाये जाता है / नासिर काज़मी
- दिल में और तो क्या रक्खा है / नासिर काज़मी
- दिल में आओ अजीब घर है ये / नासिर काज़मी
- सरे-मक़तल भी सदा दी हमने / नासिर काज़मी
- धूप निकली दिन सुहाने हो गए / नासिर काज़मी
- ज़िन्दगी भर वफ़ा हमीं से हुई / नासिर काज़मी
- दिल में इक लहर सी उठी है अभी / नासिर काज़मी
- कब तलक मुद्दआ कहे कोई / नासिर काज़मी
- अपनी धुन में रहता हूँ / नासिर काज़मी
- आज तो बेसबब उदास है जी / नासिर काज़मी
- हुस्न कहता है इक नज़र देखो / नासिर काज़मी
- गुल नहीं, मैं नहीं, पियाला नहीं / नासिर काज़मी
- सो गई शहर की हरेक गली / नासिर काज़मी
- सुनाता है कोई भूली कहानी / नासिर काज़मी
- कारवाँ सुस्त राहबर ख़ामोश / नासिर काज़मी
- गा रहा था कोई दरख़्तों में / नासिर काज़मी
- फिर लहू बोल रहा है दिल में / नासिर काज़मी
- जब ज़रा तेज़ हवा होती है / नासिर काज़मी
- मैं हूँ रात का एक बजा है / नासिर काज़मी
- दुख की लहर ने छेड़ा होगा / नासिर काज़मी
- हंसते गाते रोते फूल / नासिर काज़मी
- मौसमे-गुलज़ारे-हस्ती इन दिनों क्या है न पूछ / नासिर काज़मी
- कोई सूरत-आश्ना अपना न बेगाना कोई / नासिर काज़मी
- दिल भी अजब आलम है नज़र भर के तो देखो / नासिर काज़मी
- छुप जाती हैं आईना दिखाकर तेरी यादें / नासिर काज़मी
- क्या लगे आंख कि फिर दिल में समाया कोई / नासिर काज़मी
- मुमकिन नहीं मता-ए-सुख़न मुझ से छीन ले / नासिर काज़मी
- फिर सावन रुत की पवन चली / नासिर काज़मी
- जब तक न लहू दीद-ए-अंजुम से टपक ले / नासिर काज़मी
- हम जिस पेड़ की छांव में बैठा करते थे / नासिर काज़मी
- तिरी निगाह के जादू बिखरते जाते हैं / नासिर काज़मी
- क्या ज़माना था कि हम रोज़ मिला करते थे / नासिर काज़मी
- अब उन से और तक़ाज़ा-ए-बादा क्या करता / नासिर काज़मी
- एक नगर मैं ऐसा देखा दिन भी जहां अंधेर / नासिर काज़मी
- ये ख़्वाबे-सब्ज़ है या रुत वही पलट आई / नासिर काज़मी
- बने-बनाए हुए रास्तों पे जा निकले / नासिर काज़मी
- शिकवा बतर्ज़े-आम नहीं आपसे मुझे / नासिर काज़मी
- कुछ यादगार-ए-शहर-ए-सितमगर ही ले चलें / नासिर काज़मी
- शुआ-ए-हुस्न तिरे हुस्न को छुपाती थी / नासिर काज़मी
- यूँ तिरे हुस्न की तस्वीर ग़ज़ल में आए / नासिर काज़मी
- कहां गये वो सुख़नवर जो मीरे-महफ़िल थे / नासिर काज़मी
- ज़बाँ सुख़न को सुख़न बाँकपन को तरसेगा / नासिर काज़मी
- दफ़अ'तन दिल में किसी याद ने ली अंगड़ाई / नासिर काज़मी
- बदली न उसकी रूह किसी इंक़लाब में / नासिर काज़मी
- तुम आ गए हो तो क्यूँ इंतिज़ार-ए-शाम करें / नासिर काज़मी
- दर्द कम होने लगा आओ कि कुछ रात कटे / नासिर काज़मी
- तू है दिलों की रोशनी तू है सहर का बांकपन / नासिर काज़मी
- ये रंगे-खूं हैं गुलों पर निखार अगर है भी / नासिर काज़मी
- जबीं पे धूप सी आँखों में कुछ हया सी है / नासिर काज़मी
- धुंआ-सा है जो ये आकाश के किनारे पर / नासिर काज़मी
- वो साहिलों पे गाने वाले क्या हुए / नासिर काज़मी
- इन सहमे हुए शहरों की फ़ज़ा कुछ कहती है / नासिर काज़मी
- किसी का दर्द हो दिल बे-क़रार अपना है / नासिर काज़मी
- दिल के लिए दर्द भी रोज़ क्या चाहिए / नासिर काज़मी
- जो गुफ्तनी नहीं वो बात भी सुना दूंगा / नासिर काज़मी
- किस्से हैं ख़ामोशी में निहां और तरह के / नासिर काज़मी
- रक़म करेंगे तिरा नाम इंतसाबों में / नासिर काज़मी
- आराइश-ए-ख़याल भी हो दिल-कुशा भी हो / नासिर काज़मी
- रह-नवर्द-ए-बयाबान-ए-ग़म सब्र कर सब्र कर / नासिर काज़मी
- ऐ हमसुख़न वफ़ा का तक़ाज़ा है अब यही / नासिर काज़मी
- कोई और है, नहीं तू नहीं, मेरे रूबरू कोई और है / नासिर काज़मी
- 'नासिर' क्या कहता फिरता है कुछ न सुनो तो बेहतर है / नासिर काज़मी
- गली गली मिरी याद बिछी है प्यारे रस्ता देख के चल / नासिर काज़मी
- कहीं उजड़ी उजड़ी सी मंज़िलें कहीं टूटे फूटे से बामो-दर / नासिर काज़मी
- नये कपड़े बदल कर जाऊँ कहाँ / नासिर काज़मी
- चेहरा अफ़रोज़ हुई पहली झड़ी, हमनफसो शुक्र करो / नासिर काज़मी
- चराग़ बनके वही झिलमिलाए शामे-फ़िराक़ / नासिर काज़मी
- दयार-ए-दिल की रात में चराग़ सा जला गया / नासिर काज़मी
- तू असीर-ए-बज़्म है हम-सुख़न तुझे ज़ौक़-ए-नाला-ए-नय नहीं / नासिर काज़मी
- ज़मीं चल रही है कि सुब्हे-ज़वाले-जमां है / नासिर काज़मी
- गये दिनों का सुराग़ लेकर / नासिर काज़मी