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आँच / सुरेश चन्द्र शौक़
Kavita Kosh से
आँच
रचनाकार | सुरेश चन्द्र शौक़ |
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प्रकाशक | |
वर्ष | |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | ग़ज़ल संग्रह |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- प्यार के जज़्बों को ताबानी देते रहना / सुरेश चन्द्र शौक़
- शहर से दूर भी लोगों का है डेरा जोगी / सुरेश चन्द्र शौक़
- छोड़ दे ए दिल अक़्लो—ख़िरद / सुरेश चन्द्र शौक़
- ऐ दिल नाहक़ रंज न कर तू / सुरेश चन्द्र शौक़
- ज़ियादा चुप ही रहे वो / सुरेश चन्द्र शौक़
- इतने भी तन्हा थे दिल के कब दरवाज़े / सुरेश चन्द्र शौक़
- लोग यूँ हिरासाँ हैं क़ातिलों की बस्ती में / सुरेश चन्द्र शौक़
- यह राहे—महब्बत है गर अज़्मे—सफ़र रखिए / सुरेश चन्द्र शौक़
- ख़ुद को जब तक ख़ुदा न मानियेगा / सुरेश चन्द्र शौक़
- सुना न देना यूँ ही कोई फ़ैसला दिल का / सुरेश चन्द्र शौक़
- उधर रहज़न इधर रहबर ज़ियादा / सुरेश चन्द्र शौक़
- नफ़रतों की आग में किसका / सुरेश चन्द्र शौक़
- शब को हमराह लिये बीते ज़माने मेरे / सुरेश चन्द्र शौक़
- बग़ैर पूछे जो अपनी सफ़ाई देता है / सुरेश चन्द्र शौक़
- चुप है हर वक़्त का रोने वाला / सुरेश चन्द्र शौक़
- हमें कब तक यूँ ही तपती फ़ज़ायें दीजियेगा / सुरेश चन्द्र शौक़
- जो इलाज और कोई न कर सका / सुरेश चन्द्र शौक़
- हर फूल बाग़े—हुस्न का काग़ज़ का फूल है / सुरेश चन्द्र शौक़
- किसी ने रक़्स की बज़्म सजाई / सुरेश चन्द्र शौक़
- हमारी बेख़ुदी अब उस मक़ाम पर है मियाँ / सुरेश चन्द्र शौक़
- रेज़ा—रेज़ा वो बिखेरेगा, बिखर जाउँगा / सुरेश चन्द्र शौक़
- आरिज़ों की धनक में क्या कुछ था / सुरेश चन्द्र शौक़
- अजीब बात है खुद से नज़र चुराता है / सुरेश चन्द्र शौक़
- ग़म के सांचे में ढली हो जैसे / सुरेश चन्द्र शौक़
- दुशमनी को ख़ुदारा भुला दीजिए / सुरेश चन्द्र शौक़
- रात को दिन और अँधेरे को ज़िया कहते रहो / सुरेश चन्द्र शौक़
- वो कसमसाता फूल—सा खिलता हुआ बदन / सुरेश चन्द्र शौक़
- क्या तुम से करें अर्ज़े—तमन्ना सरे—बाज़ार / सुरेश चन्द्र शौक़
- और तो कह दी सारी बात / सुरेश चन्द्र शौक़
- घुटी—घुटी—सी वो बोझल फ़ज़ा न रास आई / सुरेश चन्द्र शौक़
- अगर्चे कहने को हमसायगी है / सुरेश चन्द्र शौक़
- तय किया ज़ात का सफ़र कितना / सुरेश चन्द्र शौक़
- हक़ीक़त कम अदाकारी बहुत है / सुरेश चन्द्र शौक़
- अपने पास और क्या रहा है मियाँ / सुरेश चन्द्र शौक़
- क्यूँ भटकता है जा—ब—जा बाबा / सुरेश चन्द्र शौक़
- भूले बिसरे दर्द जगा कर बीत गई / सुरेश चन्द्र शौक़
- अंग—अंग में रूप रंग है / सुरेश चन्द्र शौक़
- दिल के ज़ख़्मों की जलन और बढ़ा जाती है / सुरेश चन्द्र शौक़
- शदीद-तर तलबे जाम हो गई है मियाँ / सुरेश चन्द्र शौक़
- तेरे हसीन ख़यालों से मेरा साथ रहा / सुरेश चन्द्र शौक़
- कभी इस दिल में उतर कर देखें / सुरेश चन्द्र शौक़
- तुम्हारी हर ग़लत— गोई रवा है / सुरेश चन्द्र शौक़
- तुझ से क्या रिश्ता—ए—वफ़ा टूटा / सुरेश चन्द्र शौक़
- हमें ज़माने की गर्दिश ने क्या मिटाना था / सुरेश चन्द्र शौक़
- जी तो मेरा निढाल है साहिब / सुरेश चन्द्र शौक़
- कशिश ही ऐसी है कुछ मेरे दिल के छालों में / सुरेश चन्द्र शौक़
- कब मेरे दिल में कोई और ख़्याल आता है / सुरेश चन्द्र शौक़
- मुस्कुराते थे कभी जो तेरे होंटों की तरह / सुरेश चन्द्र शौक़
- फ़स्ले—गुल झुक के खड़ी हो जैसे / सुरेश चन्द्र शौक़
- सहराओं में फूल उगाने की ख़्वाहिश है / सुरेश चन्द्र शौक़
- अह्दे —उल्फ़त का हर इक लफ़्ज़ मिटाया होता / सुरेश चन्द्र शौक़
- सलीब—ए—रन्ज है इस दहर में वफ़ा के लिए / सुरेश चन्द्र शौक़
- कभी इधर से कभी हम उधर से गुज़रे हैं / सुरेश चन्द्र शौक़
- हम इक भटके हुए राही को अपना रहनुमा समझे / सुरेश चन्द्र शौक़
- अब अपनी ज़ात का इर्फ़ान हो गया है / सुरेश चन्द्र शौक़
- अश्क आँखों में तो होंटों में फ़ुगाँ होती है / सुरेश चन्द्र शौक़
- किसी सूरत न होगी इल्तिजा हमसे / सुरेश चन्द्र शौक़
- नहीं होतीं बहारें नग़मा—ख़ाँ जब तुम नहीं होते / सुरेश चन्द्र शौक़
- जाना था रास्ते में अगर छोड़ कर मुझे / सुरेश चन्द्र शौक़
- रौशन आरा / सुरेश चन्द्र शौक़
- मुतफ़र्रिक़ अशआर / सुरेश चन्द्र शौक़