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मैं यशोधरा बोल रही हूँ / संजय तिवारी
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मैं यशोधरा बोल रही हूँ
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रचनाकार | संजय तिवारी |
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भाषा | हिन्दी |
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विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ
- समर्पण / संजय तिवारी
- गौतम / संजय तिवारी
- मेरी भी सुनो सिद्धार्थ / संजय तिवारी
- नहीं बता पाया तुम्हारा धर्म / संजय तिवारी
- मैं यशोधरा बोल रही हूँ (कविता) / संजय तिवारी
- तुम्हें क्या मिला गौतम? / संजय तिवारी
- तुम अबुद्ध ही रह गए / संजय तिवारी
- यह ज्ञान तो नहीं है गौतम? / संजय तिवारी
- कैसे कर दूँ क्षमा तुमको? / संजय तिवारी
- यह भारत तभी से रो रहा है / संजय तिवारी
- यहाँ कुछ भी अबुद्ध नहीं सिद्धार्थ / संजय तिवारी
- गौतम, तुम अपनी राह भटक गए / संजय तिवारी
- अपने ही इतिहास से पलायन? / संजय तिवारी
- क्यों नहीं बन पाए विदेह के उत्तराधिकारी / संजय तिवारी
- बुद्ध, यानी सृष्टि के विरुद्ध / संजय तिवारी
- और तुम तथागत ही कहलाये? / संजय तिवारी
- गौतम, कैसे मिटेगा यह कलंक / संजय तिवारी
- तुम तो नष्ट हो गए / संजय तिवारी
- सृष्टि का पर्याय पलायन नहीं है / संजय तिवारी
- यह तो देह है,एक दिन जरूर छूटेगी। / संजय तिवारी
- कलिकाल की झोली में कुछ नया डाल पाए? / संजय तिवारी
- जगत के लिए बेमानी ही रहे तुम्हारे शब्द / संजय तिवारी
- अपनी सनातनता से कुछ चुना तो होता / संजय तिवारी
- एक नया पांथिक दम्भ / संजय तिवारी
- पांचजन्य कहाँ बजा है? / संजय तिवारी
- तुम हो या दधीचि हैं महान? / संजय तिवारी
- ययाति की व्याकुलता ही सब पाते हैं / संजय तिवारी
- तुम्हारे ज्ञान के संज्ञान में / संजय तिवारी
- आँचल, आँगन या कि देहरी / संजय तिवारी
- बहुत से प्रश्न हैं जिनसे अकेले जूझ रही हूँ / संजय तिवारी
- सनातन के विरूद्ध प्रथम पंथ प्रवर्तक / संजय तिवारी
- तुम्हारा ज्ञान परशुराम से बहुत छोटा है / संजय तिवारी
- भौमासुर को जानते हो? / संजय तिवारी
- भारत होकर भी भारत के विरुद्ध हो / संजय तिवारी
- गया की माटी में ज्ञान का ढेला / संजय तिवारी
- सनातन की जड़ों को बेवजह हिला दिया / संजय तिवारी
- गौतम, तुम नेवले से बहुत छोटे रह गए / संजय तिवारी
- बताओ, तुम्हारे ज्ञान को क्या कहूँ / संजय तिवारी
- जिसका जन्म हुआ है वह अवश्य मरेगा / संजय तिवारी
- गौतम, तुमने जीवन से भी छल किया / संजय तिवारी
- बार बार मरती रहूँगी / संजय तिवारी
- तुम्हें तो भगवान् बनने की जल्दी थी / संजय तिवारी
- जरा और जीवन से न डरते / संजय तिवारी
- तुम तो पलायन के राही हो / संजय तिवारी
- नचिकेता को देखती हूँ / संजय तिवारी
- तुम्हारे ज्ञान को जाँच रही हूँ / संजय तिवारी
- गार्गी ने पायी स्थापना / संजय तिवारी
- ज्ञान कोई औजार नहीं है / संजय तिवारी
- मगध में प्रतिशोध ही पल रहा है / संजय तिवारी
- भारतीयता को निहार रही हूँ / संजय तिवारी
- वह केवल भारत की ही नारी है / संजय तिवारी
- यशोधरा अब नहीं बोलेगी / संजय तिवारी