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शब्दवेध / रामगोपाल 'रुद्र'
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शब्दवेध
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रचनाकार | रामगोपाल 'रुद्र' |
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इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ
- रस की ऋतु बीत गई / रामगोपाल 'रुद्र'
- पंगु मुझे करके / रामगोपाल 'रुद्र'
- फिर पागलपन घेर रहा है / रामगोपाल 'रुद्र'
- मैं विहँसता चल रहा हूँ / रामगोपाल 'रुद्र'
- ममता मेरी, मुझको / रामगोपाल 'रुद्र'
- जागो प्राणों के दीप / रामगोपाल 'रुद्र'
- मेरा कच्चा घट / रामगोपाल 'रुद्र'
- तू अपना घर अगर / रामगोपाल 'रुद्र'
- तुम न हो सके मन के / रामगोपाल 'रुद्र'
- मैं तुमको संदेश सुनाऊँ / रामगोपाल 'रुद्र'
- व्यथाकुल प्राण को जब / रामगोपाल 'रुद्र'
- मेरे लिए कष्ट न करो / रामगोपाल 'रुद्र'
- साजन के ढिग कैसे जाऊँ / रामगोपाल 'रुद्र'
- आई कुछ ऐसी नींद हमें / रामगोपाल 'रुद्र'
- रहूँ ठाठ से / रामगोपाल 'रुद्र'
- ऊमस की है रात / रामगोपाल 'रुद्र'
- अपनी गति का सोच / रामगोपाल 'रुद्र'
- मैं लुटा रहा हूँ दिल अपना / रामगोपाल 'रुद्र'
- पपीहा बोल उठा / रामगोपाल 'रुद्र'
- मेरे श्रम का मोल / रामगोपाल 'रुद्र'
- ताल से तीर पर / रामगोपाल 'रुद्र'
- मैं कहाँ हूँ, क्या हूँ / रामगोपाल 'रुद्र'
- मेरी छोड़ो / रामगोपाल 'रुद्र'
- माँ, मुझको यह जग प्यारा है / रामगोपाल 'रुद्र'
- माँ, यह अश्वमेध का घोड़ा / रामगोपाल 'रुद्र'
- मैं बजने को तैयार हूँ / रामगोपाल 'रुद्र'
- देर हो गई / रामगोपाल 'रुद्र'
- आज चैत चढ़ गया / रामगोपाल 'रुद्र'
- आज भी न आए / रामगोपाल 'रुद्र'
- अभुआते रात कटी / रामगोपाल 'रुद्र'
- मुझे ईख-सा पेर दे / रामगोपाल 'रुद्र'
- नींद उड़ गई है / रामगोपाल 'रुद्र'
- कलरवों के नीड़ पर / रामगोपाल 'रुद्र'
- गीतों में ही फूटता रहा हूँ मैं / रामगोपाल 'रुद्र'
- प्रणव-धनु पर / रामगोपाल 'रुद्र'
- चरण में मन को शरण दो / रामगोपाल 'रुद्र'
- आशिष उनकी नहीं फली / रामगोपाल 'रुद्र'
- मुझे हारने का दुख कम है / रामगोपाल 'रुद्र'
- साध सुध की बीन / रामगोपाल 'रुद्र'
- सुध रहे तब तो पुकारूँ / रामगोपाल 'रुद्र'
- जाग दीप मेरे / रामगोपाल 'रुद्र'
- मुझसे मेरी छाँव छुड़ा दो / रामगोपाल 'रुद्र'
- केवल मेरे पास बसो तुम / रामगोपाल 'रुद्र'
- मेरी ऐसी गति पर / रामगोपाल 'रुद्र'
- माटी के तन में / रामगोपाल 'रुद्र'
- भ्रम ही है यह / रामगोपाल 'रुद्र'
- तुम बिन कौन गुने / रामगोपाल 'रुद्र'
- कैसे चैन लहे / रामगोपाल 'रुद्र'
- अब तुमसे क्या और कहूँ मैं / रामगोपाल 'रुद्र'
- मन है, यों मन-प्राण / रामगोपाल 'रुद्र'
- चित्र तुम, पट मैं / रामगोपाल 'रुद्र'
- अलग भी है / रामगोपाल 'रुद्र'
- कौन कहे / रामगोपाल 'रुद्र'
- मिला करें चरणों के / रामगोपाल 'रुद्र'
- नदी बहती है / रामगोपाल 'रुद्र'
- आरती बने / रामगोपाल 'रुद्र'
- गीत नहीं, करुणा के कण हैं / रामगोपाल 'रुद्र'
- भर देते हो / रामगोपाल 'रुद्र'
- नयन आकाश होना चाहिए / रामगोपाल 'रुद्र'
- आप कब आए / रामगोपाल 'रुद्र'
- प्यारी तुमको कला / रामगोपाल 'रुद्र'
- करुणा, जो पत्थर को / रामगोपाल 'रुद्र'
- ओ नीली छतरीवाली / रामगोपाल 'रुद्र'
- मेरे भीतर आभास तुम्हारा / रामगोपाल 'रुद्र'
- सुनते ही शिशु का रुदन / रामगोपाल 'रुद्र'
- विश्वास जहाँ / रामगोपाल 'रुद्र'
- दिन जाते देर नहीं लगती / रामगोपाल 'रुद्र'
- हे सौम्य सूर्य / रामगोपाल 'रुद्र'
- प्रतिदिन, अपने पदगत होते ही / रामगोपाल 'रुद्र'
- तेरे चरणों की शपथ / रामगोपाल 'रुद्र'
- बस तेरी कृपा भरोसे / रामगोपाल 'रुद्र'
- क्या करूँ रोज़ ही तो / रामगोपाल 'रुद्र'
- हर स्वरूप में जब तक / रामगोपाल 'रुद्र'
- अपने चरणों का रंग / रामगोपाल 'रुद्र'
- हर सुबह लाल चादर / रामगोपाल 'रुद्र'
- कब तक आँखों पर / रामगोपाल 'रुद्र'
- निर्वात-कि दल तक / रामगोपाल 'रुद्र'
- व्याकुल तो हूँ / रामगोपाल 'रुद्र'
- एकांत प्रांत में / रामगोपाल 'रुद्र'
- यह शिला बड़ी चिकनी है / रामगोपाल 'रुद्र'
- जब कभी प्रियपदनखच्छवि / रामगोपाल 'रुद्र'
- और कुछ न सही / रामगोपाल 'रुद्र'
- खिलौना बनाकर / रामगोपाल 'रुद्र'
- चमन का दिल बहुत / रामगोपाल 'रुद्र'
- उनको जब मेरी याद / रामगोपाल 'रुद्र'
- नाम जो पाया / रामगोपाल 'रुद्र'
- मौसमेगुल उधर सुहावन है / रामगोपाल 'रुद्र'
- इधर तोपते हैं / रामगोपाल 'रुद्र'