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प्रेम व श्रृंगार रस की रचनाएँ / महेन्द्र मिश्र
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प्रेम व श्रृंगार रस की रचनाएँ
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रचनाकार | महेन्द्र मिश्र |
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प्रकाशक | |
वर्ष | |
भाषा | भोजपुरी |
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विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- कर जोरी पूछेली जात के भीलीनियाँ / महेन्द्र मिश्र
- कोहबर में अइलें राम इहो चारों भइया / महेन्द्र मिश्र
- राम लखन मोरा बनके गवन कइलें / महेन्द्र मिश्र
- अतना बता के जइहऽ कइसे दिन बीती राम / महेन्द्र मिश्र
- घोड़वा चढ़ल उइलें राम जी पहुनवाँ / महेन्द्र मिश्र
- जेवहीं बइठेलें दुलहा महादेव संगे / महेन्द्र मिश्र
- अवध नगरिया से अइली बरियतिया सुनुरे सजनी / महेन्द्र मिश्र
- सभवा बइठल राजा दशरथ दरपन मुँह देखेले हो / महेन्द्र मिश्र
- कोमल कुमार गात देखि कामहुँ लजात / महेन्द्र मिश्र
- भोरहीं के भूखे होइहें चले पग दूखे होइहें / महेन्द्र मिश्र
- अवध नगरिया के राम दूनू भइया / महेन्द्र मिश्र
- कबहीं ना देखली मैं अइसन ललनवाँ से जियरा सालेला / महेन्द्र मिश्र
- छोटकी धोबिनियाँ बड़ा रगड़ी गुंजराइची लाइची / महेन्द्र मिश्र
- कवना नगरिया के इहो दुनू भइया / महेन्द्र मिश्र
- अजिर बिहारी चारों भइया हो रामा खेलत अंगनवाँ / महेन्द्र मिश्र
- राम जी का सोहेला लाली चदरिया से / महेन्द्र मिश्र
- कवना नगरिया के ईहो दुनू जोगिया / महेन्द्र मिश्र
- तोहरो सूरत देखि हम मुरूछइलीं से / महेन्द्र मिश्र
- जेंवहीं बइठेलें राम चारो भइया से / महेन्द्र मिश्र
- मोरा राम जी पहुनवाँ के घुंघुर वाली बाल / महेन्द्र मिश्र
- हम त सुनीले सखी राम जी पहुनवाँ से / महेन्द्र मिश्र
- साँची कहो नृपलाल सँवलिया रे / महेन्द्र मिश्र
- मोरा राम दुनू भइया राम से बनवाँ गइलें ना / महेन्द्र मिश्र
- चकुनी जे हथिया पर बइठे राजा दशरथ हे / महेन्द्र मिश्र
- राम जी जे अइलें पहूनवाँ गुजराइची लाइची / महेन्द्र मिश्र
- घूमि-फिरी अइलों रामा अंगना बहरलों से / महेन्द्र मिश्र
- मँड़वा में अइलें राम जी इहों चारो भइया / महेन्द्र मिश्र
- झनक-झनक झन बिछुआ बाजे / महेन्द्र मिश्र
- एसो के सवनवाँ जोबनवाँ रहि-रहि उमकेला / महेन्द्र मिश्र
- हरे-हरे निमुआँ के हरे-हरे पातवा से ताही तले / महेन्द्र मिश्र
- आज राम जी से खेलब होरी सखी / महेन्द्र मिश्र
- देखो राम लखन खेले होरी / महेन्द्र मिश्र
- मिथिला सहरिया के पतरी तिरियवा / महेन्द्र मिश्र
- मिथिला सहरिया के पतरी तिरियवा हे / महेन्द्र मिश्र
- फूल तूड़े गइली राम राजा जी के बगिया / महेन्द्र मिश्र
- कइसे के तुड़िहें रामजी शिव के धनुहिया / महेन्द्र मिश्र
- चउथेपन आए तब पुत्र हम पायो नाथ / महेन्द्र मिश्र
- राम तन राम मन राम ही हमारो धन / महेन्द्र मिश्र
- गंग गोदावरी ओ नदी नार पहार निहार रहे चहुँ ओरी / महेन्द्र मिश्र
- छूट जात बड़े-बडे़ मुनियन के ग्यान ध्यान / महेन्द्र मिश्र
- माघ ले जनवरी जरूर कहे आवन को / महेन्द्र मिश्र
- सावन में स्याम सुन्दर किस देस में सिधारे / महेन्द्र मिश्र
- ललित कलित कुसुमिति वन फूले पपिहा धूम मावे री / महेन्द्र मिश्र
- ऊधो तुम सूधो हाये चले जाहू गोकुल से / महेन्द्र मिश्र
- चढली जवनिया के विरहिनिया ए हरी / महेन्द्र मिश्र
- बिरहिन बैठी राह में, नागिन आई धाय / महेन्द्र मिश्र
- रून झुन बाजे रामा पाँव के पैजनिया / महेन्द्र मिश्र
- हमरा से छोटी-छोटी भइली लरकोरिया / महेन्द्र मिश्र
- पुरूब से आन्हीं भाइल पच्छिम से बरखा / महेन्द्र मिश्र
- सूतल सेजरिया सखी देखेली सपनवाँ / महेन्द्र मिश्र
- लाजो ना लागे स्याम गइलऽ मधुबनवाँ से / महेन्द्र मिश्र
- लाजो ना लागे स्याम गइलऽ मधुबनवाँ से / महेन्द्र मिश्र
- रात कन्हइया कहाँ जाके हो रामा / महेन्द्र मिश्र
- मोरा घरे अइलें हो दशरथ के लाल / महेन्द्र मिश्र
- पिया मोरा गइलें रामा पूरबी बनिजिया / महेन्द्र मिश्र
- ऊधो स्याम करे निठुराई हमसे प्रीत लगाई ना / महेन्द्र मिश्र
- आहो कान्हा ई का कइलऽ / महेन्द्र मिश्र
- स्याम-स्याम रटते-रटते पीयर भइलें देहिया / महेन्द्र मिश्र
- बन के गोदनहरी कान्हा चललें जहँवा रहली राधा / महेन्द्र मिश्र
- सूतल में रहनी सखिया देखनी सपनवाँ / महेन्द्र मिश्र
- तोरे से बचन मैं तो हारी बालमा / महेन्द्र मिश्र
- चढ़ली जवनिया भइली जिउआ के जंजाल / महेन्द्र मिश्र
- आधी-आधी रतिया के पिहिके पपीहरा / महेन्द्र मिश्र
- काँचे काँचे कलियन पर भँवरा लोभइलें / महेन्द्र मिश्र
- अइसन करेजऊ के कइसे के बिसारी हो / महेन्द्र मिश्र
- पानी भरे गइली राम जमुना किनारवा / महेन्द्र मिश्र
- कइसे के आईं कान्हा तोहरी सेजरिया / महेन्द्र मिश्र
- करि के गवनवाँ स्याम छोड़ ले भवनवाँ / महेन्द्र मिश्र
- बिरहा सतावेला बिरहा सतावेला / महेन्द्र मिश्र
- हँसी-हँसी पूछेली ललिता विसाखा से / महेन्द्र मिश्र
- जबसे गइलें स्याम नीको नाही लागे धाम / महेन्द्र मिश्र
- सासु मोरा मारे रामा बांस के छिऊँकिया / महेन्द्र मिश्र
- नेहिवा लगाके दुखवा दे गइलें परदेसी / महेन्द्र मिश्र
- पिया मोरा गइले सखि हे पुरूबी बनिजीया / महेन्द्र मिश्र
- सखि हे चहुँ दिसि घेरे बदरिया / महेन्द्र मिश्र
- पानी भरे जात रहीं पकवा इनारवा बनवारी हो / महेन्द्र मिश्र
- गोखुला नगरिया में बाजेला बधइया से / महेन्द्र मिश्र
- दगा दे के ना हो स्याम दगा दे के ना / महेन्द्र मिश्र
- कृष्ण कन्हइया मोरा संग के खेलवना / महेन्द्र मिश्र
- सावन में कन्हइया जरूर कहे आवन की / महेन्द्र मिश्र
- गरजत असाढ़ मास पागल घन घोर चहुँ / महेन्द्र मिश्र