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देखें (पिछले 100 | अगले 100) (20 | 50 | 100 | 250 | 500)- केसरि से बरन सुबरन / बिहारी (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- सौंह कियें ढरकौहे से नैन / बिहारी (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- बिरहानल दाह दहै तन ताप / बिहारी (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- जानत नहिं लगि मैं / बिहारी (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- नील पर कटि तट / बिहारी (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- कबित्त (कवित्त) / इब्ने इंशा (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- लाजनि लपेटि चितवनि / घनानंद (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- छवि को सदन मोद मंडित / घनानंद (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- वहै मुसक्यानि / घनानंद (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- जासों प्रीति ताहि निठुराई / घनानंद (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- भए अति निठुर / घनानंद (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- हो झालौ दे छे रसिया नागर पनाँ / बिहारी (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- उड़ि गुलाल घूँघर भई / बिहारी (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- रतनारी हो थारी आँखड़ियाँ / बिहारी (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- मैं अपनौ मनभावन लीनों / बिहारी (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- पावस रितु बृन्दावनकी / बिहारी (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- फूट गये हीरा की बिकानी कनी हाट हाट / गँग (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- सोई सही राजा दान धारा न रुकति जाकी / हरिकेश (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- हाव भाव विविध दिखावै भली भाँतिन सों / बेनी (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- चंद्रिका चकोर देखै निसि दिन करै लेखै / आलम (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- सोलह कला सरिस पंच दस हैँ बरिस / आत्मा (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- उझकि झरोखे झाँकि परम नरम प्यारी / गँग (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- वहै मुसक्यानि, वहै मृदु बतरानि, वहै / घनानंद (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- भए अति निठुर, मिटाय पहचानि डारी / घनानंद (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- पास बैठे हो / माखनलाल चतुर्वेदी (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- मन की साख / माखनलाल चतुर्वेदी (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- मंगलाचरण / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- न्हात जमुना मैं जलजात एक दैख्यौ जात / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- आए भुजबंध दये ऊधव सखा कैं कंध / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- देखि दूरि ही तैं दौरि पौरि लगि भेंटि ल्याइ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- विरह-बिथा की कथा अकथ अथाह महा / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- नंद और जसोमति के प्रेम पगे पालन की / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- चलत न चारयौ भाँति कोटिनि बिचारयौ तऊ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- रूप-रस पीवत अघात ना हुते जो तब / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- गोकुल की गैल-गैल गोप ग्वालिन कौ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- मोर के पखौवनि को मुकुट छबीलौ छोरि / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- कहत गुपाल माल मंजुमनि पुंजनि की / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- राधा मुख-मंजुल सुधाकर के ध्यान ही सौं / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- सील सनी सुरुचि सु बात चलै पूरब की / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- प्रेम-भरी कातरता कान्ह की प्रगट होत / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- हेत खेत माँहि खोदि खाईं सुद्ध स्वारथ की / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- पाँचौ तत्व माहिं एक तत्व ही की सत्ता सत्य / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- दिपत दिवाकर कौं दीपक दिखावै कहा / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- हा! हा! इन्हैं रोकन कौं टोक न लगावौ तुम / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- प्रेम-नेम निफल निवारि उर-अंतर तैं / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- बात चलैं जिनकी उड़ात धीर धूरि भयौ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- ऊधव कैं चलत गुपाल उर माहिं चल / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- आइ ब्रज-पथ रथ ऊधौ कौं चढ़ाइ कान्ह / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- हरैं-हरैं ज्ञान के गुमान घटि जानि लगे / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- धाईं धाम-धाम तैं अवाई सुनि ऊधव की / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- दुख-सुख ग्रीषम और सिसिर न ब्यापै जिन्हें / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- भेजे मनभावन के उद्धव के आवन की / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- देखि-देखि आतुरी बिकल-ब्रज-बारिन की / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- दीन दशा देखि ब्रज-बालनि की उद्धव कौ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- मोह-तम-राशि नासिबे कौं स-हुलास चले / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- चाहत जौ स्वबस संयोग स्याम-सुन्दर कौ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- पंच तत्त्व मैं जो सच्चिदानन्द की सत्ता सो तौ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- सोई कान्ह सोई तुम सोई सबही हैं लखौ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- सुनि सुनि ऊधव की अकथ कहानी कान / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- रस के प्रयोगनि के सुखद सु जोगनि के / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- ऊधो कहौ सूधौ सौ सनेस पहिले तौ यह / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- षटरस-व्यंजन तौ रंजन सदा ही करें / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- कान्ह-दूत कैंधौं ब्रह्म-दूत ह्वै पधारे आप / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- चोप करि चंदन चढ़ायौ जिन अंगनि पै / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- वैस की निकाई, सोई रितु सुखदाई / घनानंद (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- घनआनँद जीवन मूल सुजान की / घनानंद (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- सावन आवन हेरि सखी / घनानंद (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- चिंता-मनि मंजुल पँवारि धूरि-धारनि मैं / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- आए हो सिखावन कौं जोग मथुरा तैं तोपै / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- चुप रहौ ऊधौ पथ मथुरा कौ गहौ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- जग सपनौ सौ सब परत दिखाई तुम्हैं / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- सरग न चाहें अपबरग न चाहैं सुनो / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- जोग को रमावै और समाधि को जगावै इहाँ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- ऊधौ यह ज्ञान कौ बखान सब बाद हमैं / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- वाही मुख मंजुल की चहतिं मरीचैं सदा / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- ऊधौ जम-जातना की बात न चलाबौ नैकु / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- जोगिनि की भोगिनि की बिकल बियोगिनी की / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- कठिन करेजौ जो न करक्यौ बियोग होत / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- नैननि के नीर और उसीर सौ पुलकावलि / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- जोहैं अभिराम स्याम चित की चमक ही मैं / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- कीजै ज्ञान भानु कौ प्रकास गिरि-सृंगनि पै / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- नैननि के आगे नित नाचत गुपाल रहैं / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- सुनीं गुनीं समझी तिहारी चतुराई जिती / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- नेमु ब्रत संजम के आसन अखंड लाइ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- साधि लैहैं जोग के जटिल जे बिधान ऊधौ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- साधिहैं समाधि औ’ अराधिहैं सबै जो कहो / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- कान्ह हूँ सौं आन ही विधान करिबै कौं ब्रह्म / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- ढोंग जात्यौ ढरकि परकि उर सोग जात्यौ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- धरि राखौ ज्ञान-गुन गौरव गुमान गोइ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- चाव सौं चले हौं जोग-चरचा चलाइबै कौं / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- प्रथम भुराई चाह-नाय पै चढ़ाइ नीकै / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- प्रेम-पाल पलटि उलटि पतवारि-पति / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- प्रथम भुराई प्रेम-पाठनि पढ़ाइ उन / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- एते दूरि देसनि सौं सखनि-सँदेसनि सौं / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- द्रौनाचल कौ ना यह छटकयौ कनुका जाहि / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- सुधि-बुधि जाति उड़ि जिनकी उसाँसनि सौं / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- सुघर सलोने स्यामसुन्दर सुजान कान्ह / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- कान्ह कूबरी के हिये हुलसे-सरोजनि तैं / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- सीता असगुन कौं कटाई नाक एक बेरि / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)
- आए कंसराइ के पठाए वे प्रतच्छ तुम / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’ (मिलाईयें) (← कड़ियाँ)