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"मधुभूषण शर्मा 'मधुर'" के अवतरणों में अंतर
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00:07, 1 अक्टूबर 2016 के समय का अवतरण
मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
जन्म | 01 अप्रैल 1952 |
---|---|
जन्म स्थान | पंजाब |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
मधुभूषण शर्मा 'मधुर' / परिचय |
रचनाएँ
- दस्तक / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- लोगों की शक्लों में ढल कर सड़कों पे जो लड़ने निकले हैं / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- उस ने सब कुछ सुन के भी न सुना कि आखिर क्या हुआ / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- बना एक मक़सद से आलम तो होगा/ मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- देखते ही रह गए हम लफ़्ज़ हर मिटता हुआ / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- जो सर को उठाना नहीं छोड़ सकता / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- तसव्वुर किसी ने किया हो किसी का / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- सहर के जो होने पे रोया था सपना / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- कभी इस कदर भी सँवरना नहीं / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- घरों की कभी वो बनावट न देखी / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- लिखा दिल पे जब दर्द का हर्फ़ पिघले / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- सनम यह न देखो कहां क्या कमी है / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- जब फ़िज़ा में गूंजती हो बाग़बां की दास्तां / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- ख़फ़ा जिनसे अक्सर चमनज़ार होंगे / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- समन्दर का छोटा-सा क़तरा सही / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- देख अपनी बदनसीबी दिल यूं धड़कता यारो / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- ऐ दिल नहीं ये मंज़िल रुकना यहां नहीं है / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- न हसरत हो कोई न सपना ऐ दुनिया / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- हुक़ूमतें बदल गईं उसी का यह कमाल है / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- है हक़ीक़त दूर जब तो बस गुमां है ज़िन्दगी / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- ये बादल अँधेरे बढ़ाएँगे लेकिन / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- अगर आप होते भुलाने के क़ाबिल / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- हज़ार टुकड़े हों मगर चलो किसी तरह से भी / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- आशिकी से बहुत हूं परीशां मगर / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- नहीं वाद कोई यहां निर्विवादित / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- हसीन ख़ुद को शाम से जवां सहर से देखिए / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- कई लोग ऐसे मिलें इस जहां में / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- ले हाथों में अपने जो हल लिख रहा है / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- जिन्हें ज़िन्दगी में बहुत ग़म मिलें / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- यहां सात पर्दों में हर शै छुपी है / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- बुना हुआ फ़रेब का न कोई जाल फेंकिए / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- पढ़ेगी जब तलक दुनिया लिखा दीवान ग़ालिब का / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- जिस ज़मीं से तू जुड़ा है बस उसी की बात कर / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- इक बार क्या मिले हैं किसी रोशनी से हम / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- ख़ता है वफ़ा तो सज़ा दीजिए / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- सियासत की जो भी ज़बाँ जानता है / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- मेरे सनम के पास जो कहां वो ताज़गी मिले / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- ज़ेहन में रहे इक अजब खलबली सी / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- वहशतों की है अगर कुछ कातिलों से दोस्ती / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- न बस में किसी के ये हालात होंगे / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- वही रोज़ मिलना वही चार बातें / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- आग-सी इक बुझाने लगा हूं / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- ख़ुदा इस शहर को ये क्या हो चला है / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- अगर आदमी ख़ुद से हारा न होता / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- जब से हम लोग ज़मीं पे हैं / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- पत्थरों में भी बनाता राह पानी देखिए / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- मुख़ातिब बस ग़मे-दिल हो तो ऐसा हो भी सकता है / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
- बुझा दो चिराग़े-मुहब्बत मुझे इन फ़रेबी उजालों की क्या है ज़रूरत / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'