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"शलभ श्रीराम सिंह" के अवतरणों में अंतर
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* [[प्रति विकास / शलभ श्रीराम सिंह]] | * [[प्रति विकास / शलभ श्रीराम सिंह]] |
04:16, 3 मई 2021 का अवतरण
शलभ श्रीराम सिंह
जन्म | 05 नवम्बर 1938 |
---|---|
निधन | 22 अप्रैल 2000 |
जन्म स्थान | ग्राम मसोढ़ा, जलालपुर, फ़ैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
कल सुबह होने के पहले (1966), अतिरिक्त पुरुष (1976),त्रयी-२ में संकलित (1977), राहे-हयात (1982), निगाह-दर-निगाह (1983), नागरिकनामा (1983), उँगली में बँधी हुई नदियाँ, कविता की पुकार, अपराधी स्वयं (1985), पृथ्वी का प्रेम गीत(1991), ध्वंस का स्वर्ग (1991), उन हाथों से परिचित हूँ मैं (1993) | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
शलभ श्रीराम सिंह / परिचय |
विषय सूची
कविता संग्रह
कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
- अंततः / शलभ श्रीराम सिंह
- अन्धेरे के बाहर एक निगाह / शलभ श्रीराम सिंह
- अनैतिक कहा गया / शलभ श्रीराम सिंह
- अनुभव किया जा सकता है तुमको / शलभ श्रीराम सिंह
- अपने लिए / शलभ श्रीराम सिंह
- अब तक की यात्रा में / शलभ श्रीराम सिंह
- अब भी / शलभ श्रीराम सिंह
- आख़िरी तस्वीर / शलभ श्रीराम सिंह
- आनेवाले ! स्वागत / शलभ श्रीराम सिंह
- उजाले के पक्ष में / शलभ श्रीराम सिंह
- उतना ही है जीवन / शलभ श्रीराम सिंह
- उन हाथों से परिचित हूँ मैं / शलभ श्रीराम सिंह
- उस दिन / शलभ श्रीराम सिंह
- एक और नया गीत / शलभ श्रीराम सिंह
- एक ख़याल / शलभ श्रीराम सिंह
- एक दिन / शलभ श्रीराम सिंह
- एक फूल का खिलना / शलभ श्रीराम सिंह
- औरों की तरह नहीं / शलभ श्रीराम सिंह
- क़दम ये इंक़लाब के / शलभ श्रीराम सिंह
- कामरेड नछत्तर सिंह / शलभ श्रीराम सिंह
- काव्य-पाठ / शलभ श्रीराम सिंह
- केवल तुम / शलभ श्रीराम सिंह
- कौन / शलभ श्रीराम सिंह
- ख़तरा / शलभ श्रीराम सिंह
- घाव / शलभ श्रीराम सिंह
- छोड़ देना पड़ता है सब कुछ / शलभ श्रीराम सिंह
- ज़माने को बदलना है / शलभ श्रीराम सिंह
- जिस दिन / शलभ श्रीराम सिंह
- जीवन बचा है अभी / शलभ श्रीराम सिंह
- जो सपने हमने बोए थे नीम की ठंडी छावों में / शलभ श्रीराम सिंह
- डर / शलभ श्रीराम सिंह
- ताल भर सूरज / शलभ श्रीराम सिंह
- तुमने कहाँ लड़ा है कोई युद्ध / शलभ श्रीराम सिंह
- तुम्हारा अकेलापन / शलभ श्रीराम सिंह
- तुम्हारा शरीर है यह / शलभ श्रीराम सिंह
- दिल्ली के जाने का समय / शलभ श्रीराम सिंह
- दिल्लियाँ / शलभ श्रीराम सिंह
- दैनिक उत्सर्ग / शलभ श्रीराम सिंह
- धड़कनों में कहीं / शलभ श्रीराम सिंह
- धरे हथेली गाल पर / शलभ श्रीराम सिंह
- नफ़रत का माहौल / शलभ श्रीराम सिंह
- नफ़स-नफ़स क़दम-क़दम / शलभ श्रीराम सिंह
- नया नर्क / शलभ श्रीराम सिंह
- नाम पे मेरे हामी भर थी पर हामी से जल गए लोग / शलभ श्रीराम सिंह
- निजता के पक्ष में / शलभ श्रीराम सिंह
- पढाई / शलभ श्रीराम सिंह
- प्यार / शलभ श्रीराम सिंह
- पूरे हुए पचास-वर्ष / शलभ श्रीराम सिंह
- पृथ्वी के मोह-भंग का समय / शलभ श्रीराम सिंह
- प्रेम-कविता / शलभ श्रीराम सिंह
- प्रतिप्रेम / शलभ श्रीराम सिंह
- प्रति विकास / शलभ श्रीराम सिंह
- पूर्वाभास / शलभ श्रीराम सिंह
- बच गया मैं / शलभ श्रीराम सिंह
- बहुत दिनों तक / शलभ श्रीराम सिंह
- बाढ़ में ज़रूरतें क्यों नहीं बहतीं / शलभ श्रीराम सिंह
- बेटियाँ / शलभ श्रीराम सिंह
- भाषा की विपत्ति / शलभ श्रीराम सिंह
- मज़ाक़ नहीं होने दूँगा मैं / शलभ श्रीराम सिंह
- मुर्गी कुड़कुड़ाई है / शलभ श्रीराम सिंह
- मोची की आँखों में / शलभ श्रीराम सिंह
- यह रास्ता / शलभ श्रीराम सिंह
- राग-बोध / शलभ श्रीराम सिंह
- रात के अन्धेरे में ट्रैक्टर / शलभ श्रीराम सिंह
- रास्ता है / शलभ श्रीराम सिंह
- लड़की अकेली है इस वक़्त / शलभ श्रीराम सिंह
- लम्बा रास्ता / शलभ श्रीराम सिंह
- व्यर्थता / शलभ श्रीराम सिंह
- वह / शलभ श्रीराम सिंह
- वापस आने के लिए / शलभ श्रीराम सिंह
- विकास / शलभ श्रीराम सिंह
- विजयकांत / शलभ श्रीराम सिंह
- विध्वंस का स्वर्ग / शलभ श्रीराम सिंह
- शायद / शलभ श्रीराम सिंह
- शिन्नी / शलभ श्रीराम सिंह
- समय / शलभ श्रीराम सिंह
- सुबह / शलभ श्रीराम सिंह
- स्त्री / शलभ श्रीराम सिंह
- स्त्री का अपने अंदाज़ में आना / शलभ श्रीराम सिंह
- सम्वाद मृत्यु का था / शलभ श्रीराम सिंह
- स्वाद में हस्तक्षेप / शलभ श्रीराम सिंह
- स्वातंत्र्योत्तर भारत / शलभ श्रीराम सिंह
- सज़ा / शलभ श्रीराम सिंह
- सार्थकता / शलभ श्रीराम सिंह
- सोये हुए लोगों के बीच जागना पड़ रहा है मुझे / शलभ श्रीराम सिंह
- सौन्दर्यवान है सब कुछ / शलभ श्रीराम सिंह
ग़ज़लें
- अन्धेरे में भी कोहरा हो गया है / शलभ श्रीराम सिंह
- कल भी मैं सफ़र में था,आज भी सफ़र में हूँ / शलभ श्रीराम सिंह
- हर ज़र्रा यहाँ शोला दहन है कि नहीं? है / शलभ श्रीराम सिंह
- रस्ते में कहीं चाहने वाले भी पड़ेंगे / शलभ श्रीराम सिंह
- हस्ती को हसरत की नई रह गुज़र करो / शलभ श्रीराम सिंह
- ये सदाओं की बात चलने दो / शलभ श्रीराम सिंह
- रुत की नई किताब-सी खुलने लगी है वह / शलभ श्रीराम सिंह
- आपने जिसमें रंग भरा था, वह तस्वीर बदल गई है / शलभ श्रीराम सिंह
- आपकी नज़रों तक हम पहुँचे कुछ मख़सूस ख़यालों से / शलभ श्रीराम सिंह