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"शलभ श्रीराम सिंह" के अवतरणों में अंतर
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21:25, 23 मार्च 2023 के समय का अवतरण
शलभ श्रीराम सिंह
जन्म | 05 नवम्बर 1938 |
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निधन | 22 अप्रैल 2000 |
जन्म स्थान | ग्राम मसोढ़ा, जलालपुर, फ़ैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
कल सुबह होने के पहले (1966), अतिरिक्त पुरुष (1976),त्रयी-२ में संकलित (1977), राहे-हयात (1982), निगाह-दर-निगाह (1983), नागरिकनामा (1983), उँगली में बँधी हुई नदियाँ, कविता की पुकार, अपराधी स्वयं (1985), पृथ्वी का प्रेम गीत(1991), ध्वंस का स्वर्ग (1991), उन हाथों से परिचित हूँ मैं (1993), कविता की पुकार (लम्बी कविताओं का संग्रह) 1995, जीवन बचा है अभी (1996) | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
शलभ श्रीराम सिंह / परिचय |
विषय सूची
कविता संग्रह
कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
- अगली सुबह तक / शलभ श्रीराम सिंह
- अंततः / शलभ श्रीराम सिंह
- अन्धेरे के बाहर एक निगाह / शलभ श्रीराम सिंह
- अनैतिक कहा गया / शलभ श्रीराम सिंह
- अनुभव किया जा सकता है तुमको / शलभ श्रीराम सिंह
- अपने लिए / शलभ श्रीराम सिंह
- अब तक की यात्रा में / शलभ श्रीराम सिंह
- अब भी / शलभ श्रीराम सिंह
- आख़िरी तस्वीर / शलभ श्रीराम सिंह
- आनेवाले ! स्वागत / शलभ श्रीराम सिंह
- उजाले के पक्ष में / शलभ श्रीराम सिंह
- उतना ही है जीवन / शलभ श्रीराम सिंह
- उन हाथों से परिचित हूँ मैं / शलभ श्रीराम सिंह
- उस दिन / शलभ श्रीराम सिंह
- एक और नया गीत / शलभ श्रीराम सिंह
- एक ख़याल / शलभ श्रीराम सिंह
- एक दिन / शलभ श्रीराम सिंह
- एक फूल का खिलना / शलभ श्रीराम सिंह
- औरों की तरह नहीं / शलभ श्रीराम सिंह
- क़दम ये इंक़लाब के / शलभ श्रीराम सिंह
- कामरेड नछत्तर सिंह / शलभ श्रीराम सिंह
- काव्य-पाठ / शलभ श्रीराम सिंह
- केवल तुम / शलभ श्रीराम सिंह
- कौन / शलभ श्रीराम सिंह
- ख़तरा / शलभ श्रीराम सिंह
- घाव / शलभ श्रीराम सिंह
- छोड़ देना पड़ता है सब कुछ / शलभ श्रीराम सिंह
- ज़माने को बदलना है / शलभ श्रीराम सिंह
- जिस दिन / शलभ श्रीराम सिंह
- जीवन बचा है अभी / शलभ श्रीराम सिंह
- जो सपने हमने बोए थे नीम की ठंडी छावों में / शलभ श्रीराम सिंह
- डर / शलभ श्रीराम सिंह
- ताल भर सूरज / शलभ श्रीराम सिंह
- तुमने कहाँ लड़ा है कोई युद्ध / शलभ श्रीराम सिंह
- तुम्हारा अकेलापन / शलभ श्रीराम सिंह
- तुम्हारा शरीर है यह / शलभ श्रीराम सिंह
- दिल्ली के जाने का समय / शलभ श्रीराम सिंह
- दिल्लियाँ / शलभ श्रीराम सिंह
- दैनिक उत्सर्ग / शलभ श्रीराम सिंह
- धड़कनों में कहीं / शलभ श्रीराम सिंह
- धरे हथेली गाल पर / शलभ श्रीराम सिंह
- नफ़रत का माहौल / शलभ श्रीराम सिंह
- नफ़स-नफ़स क़दम-क़दम / शलभ श्रीराम सिंह
- नया नर्क / शलभ श्रीराम सिंह
- नाम पे मेरे हामी भर थी पर हामी से जल गए लोग / शलभ श्रीराम सिंह
- निजता के पक्ष में / शलभ श्रीराम सिंह
- पढाई / शलभ श्रीराम सिंह
- प्यार / शलभ श्रीराम सिंह
- पूरे हुए पचास-वर्ष / शलभ श्रीराम सिंह
- पृथ्वी के मोह-भंग का समय / शलभ श्रीराम सिंह
- प्रेम-कविता / शलभ श्रीराम सिंह
- प्रतिप्रेम / शलभ श्रीराम सिंह
- प्रति विकास / शलभ श्रीराम सिंह
- पूर्वाभास / शलभ श्रीराम सिंह
- बच गया मैं / शलभ श्रीराम सिंह
- बहुत दिनों तक / शलभ श्रीराम सिंह
- बाढ़ में ज़रूरतें क्यों नहीं बहतीं / शलभ श्रीराम सिंह
- बेटियाँ / शलभ श्रीराम सिंह
- भाषा की विपत्ति / शलभ श्रीराम सिंह
- मज़ाक़ नहीं होने दूँगा मैं / शलभ श्रीराम सिंह
- मुर्गी कुड़कुड़ाई है / शलभ श्रीराम सिंह
- मोची की आँखों में / शलभ श्रीराम सिंह
- यह रास्ता / शलभ श्रीराम सिंह
- राग-बोध / शलभ श्रीराम सिंह
- रात के अन्धेरे में ट्रैक्टर / शलभ श्रीराम सिंह
- रास्ता है / शलभ श्रीराम सिंह
- लड़की अकेली है इस वक़्त / शलभ श्रीराम सिंह
- लम्बा रास्ता / शलभ श्रीराम सिंह
- व्यर्थता / शलभ श्रीराम सिंह
- वह / शलभ श्रीराम सिंह
- वापस आने के लिए / शलभ श्रीराम सिंह
- विकास / शलभ श्रीराम सिंह
- विजयकांत / शलभ श्रीराम सिंह
- विध्वंस का स्वर्ग / शलभ श्रीराम सिंह
- शायद / शलभ श्रीराम सिंह
- शिन्नी / शलभ श्रीराम सिंह
- समय / शलभ श्रीराम सिंह
- सुबह / शलभ श्रीराम सिंह
- स्त्री / शलभ श्रीराम सिंह
- स्त्री का अपने अंदाज़ में आना / शलभ श्रीराम सिंह
- सम्वाद मृत्यु का था / शलभ श्रीराम सिंह
- स्वाद में हस्तक्षेप / शलभ श्रीराम सिंह
- स्वातंत्र्योत्तर भारत / शलभ श्रीराम सिंह
- सज़ा / शलभ श्रीराम सिंह
- सार्थकता / शलभ श्रीराम सिंह
- सोये हुए लोगों के बीच जागना पड़ रहा है मुझे / शलभ श्रीराम सिंह
- सौन्दर्यवान है सब कुछ / शलभ श्रीराम सिंह
ग़ज़लें
- अन्धेरे में भी कोहरा हो गया है / शलभ श्रीराम सिंह
- आपने जिसमें रंग भरा था, वह तस्वीर बदल गई है / शलभ श्रीराम सिंह
- आपकी नज़रों तक हम पहुँचे कुछ मख़सूस ख़यालों से / शलभ श्रीराम सिंह
- कल भी मैं सफ़र में था,आज भी सफ़र में हूँ / शलभ श्रीराम सिंह
- ये सदाओं की बात चलने दो / शलभ श्रीराम सिंह
- रस्ते में कहीं चाहने वाले भी पड़ेंगे / शलभ श्रीराम सिंह
- रात थम-थम के ढल रही होगी / शलभ श्रीराम सिंह
- रुत की नई किताब-सी खुलने लगी है वह / शलभ श्रीराम सिंह
- हर ज़र्रा यहाँ शोला दहन है कि नहीं? है / शलभ श्रीराम सिंह
- हस्ती को हसरत की नई रह गुज़र करो / शलभ श्रीराम सिंह