भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"रवि सिन्हा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 19: | पंक्ति 19: | ||
* [[अब उस फ़लक पे चान्द सजाता है कोई और / रवि सिन्हा]] | * [[अब उस फ़लक पे चान्द सजाता है कोई और / रवि सिन्हा]] | ||
* [[अब तबस्सुम भी कहाँ हुस्न का इज़हार लगे / रवि सिन्हा]] | * [[अब तबस्सुम भी कहाँ हुस्न का इज़हार लगे / रवि सिन्हा]] | ||
+ | * [[अब तसव्वुर में हक़ीक़त को भी लाना शामिल / रवि सिन्हा]] | ||
* [[अब लकीरों की तसव्वुर से ठना करती है / रवि सिन्हा]] | * [[अब लकीरों की तसव्वुर से ठना करती है / रवि सिन्हा]] | ||
* [[आइने पे इताब कौन करे / रवि सिन्हा]] | * [[आइने पे इताब कौन करे / रवि सिन्हा]] | ||
पंक्ति 28: | पंक्ति 29: | ||
* [[उनकी आँखों में दिखे है जो इशारा कोई / रवि सिन्हा]] | * [[उनकी आँखों में दिखे है जो इशारा कोई / रवि सिन्हा]] | ||
* [[एक पत्ता कहीं हिला होता / रवि सिन्हा]] | * [[एक पत्ता कहीं हिला होता / रवि सिन्हा]] | ||
+ | * [[एक होता कि दूसरा होता / रवि सिन्हा]] | ||
+ | * [[कभी न आने की क़समें हज़ार खाओगे / रवि सिन्हा]] | ||
* [[किस बीज से कैसा शजर इस बार हो पैदा / रवि सिन्हा]] | * [[किस बीज से कैसा शजर इस बार हो पैदा / रवि सिन्हा]] | ||
* [[ख़ला की बून्द थी, फैली तो कायनात हुई / रवि सिन्हा]] | * [[ख़ला की बून्द थी, फैली तो कायनात हुई / रवि सिन्हा]] | ||
* [[ख़ला में ख़ाक के ज़र्रे फ़साद करते हैं / रवि सिन्हा]] | * [[ख़ला में ख़ाक के ज़र्रे फ़साद करते हैं / रवि सिन्हा]] | ||
* [[ख़िरद को ख़्वाब दिखाओ के कायनात चले / रवि सिन्हा]] | * [[ख़िरद को ख़्वाब दिखाओ के कायनात चले / रवि सिन्हा]] | ||
+ | * [[ख़ैर-मक़्दम है ये किसका शहर में / रवि सिन्हा]] | ||
* [[ग़ैब होगा सुराग़ भी होगा / रवि सिन्हा]] | * [[ग़ैब होगा सुराग़ भी होगा / रवि सिन्हा]] | ||
* [[चलती है क़लम जब कभी उनवान से आगे / रवि सिन्हा]] | * [[चलती है क़लम जब कभी उनवान से आगे / रवि सिन्हा]] | ||
* [[ज़िन्दगी है तो कुछ सुकूँ भी हो, और कुछ इज़्तिराब भी होवे / रवि सिन्हा]] | * [[ज़िन्दगी है तो कुछ सुकूँ भी हो, और कुछ इज़्तिराब भी होवे / रवि सिन्हा]] | ||
* [[जो दिल में हौसला होता तो ये अंजाम ना होता / रवि सिन्हा]] | * [[जो दिल में हौसला होता तो ये अंजाम ना होता / रवि सिन्हा]] | ||
+ | * [[तहे-शुऊर में उल्टे सभी हिसाब हुए / रवि सिन्हा]] | ||
* [[तिश्नगी धूप है, उजाला है / रवि सिन्हा]] | * [[तिश्नगी धूप है, उजाला है / रवि सिन्हा]] | ||
* [[थोड़ी वज़ाहतें भी तो हस्ती में डाल दूँ / रवि सिन्हा]] | * [[थोड़ी वज़ाहतें भी तो हस्ती में डाल दूँ / रवि सिन्हा]] | ||
पंक्ति 45: | पंक्ति 50: | ||
* [[बेआबरू जिस दर से निकाले हुए हैं हम / रवि सिन्हा]] | * [[बेआबरू जिस दर से निकाले हुए हैं हम / रवि सिन्हा]] | ||
* [[बे-थाह समन्दर में सतह ढूँढ रहा हूँ / रवि सिन्हा]] | * [[बे-थाह समन्दर में सतह ढूँढ रहा हूँ / रवि सिन्हा]] | ||
+ | * [[बे-रुख़ी आपकी हम फिर से गवारा करते / रवि सिन्हा]] | ||
* [[यादों में यादों का एक शहर छूटा / रवि सिन्हा]] | * [[यादों में यादों का एक शहर छूटा / रवि सिन्हा]] | ||
* [[यादों में ही आएँ उन्हें आने को कहूँगा / रवि सिन्हा]] | * [[यादों में ही आएँ उन्हें आने को कहूँगा / रवि सिन्हा]] | ||
पंक्ति 52: | पंक्ति 58: | ||
* [[रात अटकी है क़मर देखने वाले न गए / रवि सिन्हा]] | * [[रात अटकी है क़मर देखने वाले न गए / रवि सिन्हा]] | ||
* [[वक़्त को मुख़्तलिफ़ रफ़्तार से चला लेंगें / रवि सिन्हा]] | * [[वक़्त को मुख़्तलिफ़ रफ़्तार से चला लेंगें / रवि सिन्हा]] | ||
+ | * [[वहशतें वीरानियों से दर-ब-दर होती रहीं / रवि सिन्हा]] | ||
* [[शाइस्तगी को बीच की दीवार करोगे / रवि सिन्हा]] | * [[शाइस्तगी को बीच की दीवार करोगे / रवि सिन्हा]] | ||
* [[शाम उतरी है जगाओ पीरे-उम्रे-दराज़ को / रवि सिन्हा]] | * [[शाम उतरी है जगाओ पीरे-उम्रे-दराज़ को / रवि सिन्हा]] | ||
पंक्ति 57: | पंक्ति 64: | ||
* [[हर हुनर हासिल किया दिल में उतरने के सिवा / रवि सिन्हा]] | * [[हर हुनर हासिल किया दिल में उतरने के सिवा / रवि सिन्हा]] | ||
* [[हाफ़िज़ा-ए-ज़िन्दगी है ज़िन्दगी से पेशतर / रवि सिन्हा]] | * [[हाफ़िज़ा-ए-ज़िन्दगी है ज़िन्दगी से पेशतर / रवि सिन्हा]] | ||
+ | * [[हाफ़िज़ा गोश में गुनगुनाती रही / रवि सिन्हा]] | ||
* [[ख़ला में ख़ाक के ज़र्रे फ़साद करते हैं / रवि सिन्हा]] | * [[ख़ला में ख़ाक के ज़र्रे फ़साद करते हैं / रवि सिन्हा]] | ||
− | |||
− | |||
* [[ज़िक्रे-उल्फ़त में अब है दम कितना / रवि सिन्हा]] | * [[ज़िक्रे-उल्फ़त में अब है दम कितना / रवि सिन्हा]] | ||
* [[ख़ाम नाला-ए-दिले-ज़ार है गाने वाले / रवि सिन्हा]] | * [[ख़ाम नाला-ए-दिले-ज़ार है गाने वाले / रवि सिन्हा]] | ||
* [[रोज़ो-शब ताज़ा कहानी चाहिए / रवि सिन्हा]] | * [[रोज़ो-शब ताज़ा कहानी चाहिए / रवि सिन्हा]] | ||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
* [[खेलता है खेल ही दिन-रात अपने आप को / रवि सिन्हा]] | * [[खेलता है खेल ही दिन-रात अपने आप को / रवि सिन्हा]] | ||
* [[जागती है सोच सारी रात सोने की बजाय / रवि सिन्हा]] | * [[जागती है सोच सारी रात सोने की बजाय / रवि सिन्हा]] | ||
पंक्ति 79: | पंक्ति 80: | ||
* [[हसरत अभी तवाफ़ में आवारगी के साथ / रवि सिन्हा]] | * [[हसरत अभी तवाफ़ में आवारगी के साथ / रवि सिन्हा]] | ||
* [[संग से क्या है रवानी पूछ ले / रवि सिन्हा]] | * [[संग से क्या है रवानी पूछ ले / रवि सिन्हा]] | ||
− | * [[ | + | * [[क्या पूछते हैं दौर क्यूँ अफ़्सुर्दगी का है / रवि सिन्हा]] |
+ | * [[कौन रहता है यहाँ क़ुर्ब में काशाने में / रवि सिन्हा]] | ||
+ | * [[शाम तन्हा तो नहीं चाँद सितारे निकले / रवि सिन्हा]] | ||
+ | * [[ / रवि सिन्हा]] | ||
+ | * [[ / रवि सिन्हा]] |
22:22, 26 नवम्बर 2020 का अवतरण
रवि सिन्हा
जन्म | 1952 |
---|---|
जन्म स्थान | सिवान, बिहार, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
पूंजी का वैश्वीकरण (1997), क्वेण्टम के सौ साल | |
विविध | |
’न्यू सोशलिस्ट इनिश्येटिव’ संस्था के सक्रिय सदस्य। ’संधान’ पत्रिका के एक संस्थापक। भारत और दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं और भारत में वामपन्थ की चुनौतियों सम्बन्धी मार्क्सवादी अवधारणा के विषय पर अनेक निबन्धों के लेखक। विज्ञान के दर्शन और इतिहास पर अनेक निबन्धों के लेखक। | |
जीवन परिचय | |
रवि सिन्हा / परिचय |
कुछ प्रतिनिधि ग़ज़लें
- अब उस फ़लक पे चान्द सजाता है कोई और / रवि सिन्हा
- अब तबस्सुम भी कहाँ हुस्न का इज़हार लगे / रवि सिन्हा
- अब तसव्वुर में हक़ीक़त को भी लाना शामिल / रवि सिन्हा
- अब लकीरों की तसव्वुर से ठना करती है / रवि सिन्हा
- आइने पे इताब कौन करे / रवि सिन्हा
- आज़माया है समन्दर ने यहाँ आने तक / रवि सिन्हा
- आज हर क़तरे को अपने आप में दरिया किया / रवि सिन्हा
- आप का आधा-सा कुछ वादा रहा / रवि सिन्हा
- आलमे-नासूत की आधी हक़ीक़त जान कर / रवि सिन्हा
- इस भीड़ में वो याद पुरानी भी कहीं है / रवि सिन्हा
- उनकी आँखों में दिखे है जो इशारा कोई / रवि सिन्हा
- एक पत्ता कहीं हिला होता / रवि सिन्हा
- एक होता कि दूसरा होता / रवि सिन्हा
- कभी न आने की क़समें हज़ार खाओगे / रवि सिन्हा
- किस बीज से कैसा शजर इस बार हो पैदा / रवि सिन्हा
- ख़ला की बून्द थी, फैली तो कायनात हुई / रवि सिन्हा
- ख़ला में ख़ाक के ज़र्रे फ़साद करते हैं / रवि सिन्हा
- ख़िरद को ख़्वाब दिखाओ के कायनात चले / रवि सिन्हा
- ख़ैर-मक़्दम है ये किसका शहर में / रवि सिन्हा
- ग़ैब होगा सुराग़ भी होगा / रवि सिन्हा
- चलती है क़लम जब कभी उनवान से आगे / रवि सिन्हा
- ज़िन्दगी है तो कुछ सुकूँ भी हो, और कुछ इज़्तिराब भी होवे / रवि सिन्हा
- जो दिल में हौसला होता तो ये अंजाम ना होता / रवि सिन्हा
- तहे-शुऊर में उल्टे सभी हिसाब हुए / रवि सिन्हा
- तिश्नगी धूप है, उजाला है / रवि सिन्हा
- थोड़ी वज़ाहतें भी तो हस्ती में डाल दूँ / रवि सिन्हा
- दरिया वहीं बहता रहा मेरे तुम्हारे बाद / रवि सिन्हा
- दिल गया इज़्तिराब बाक़ी है / रवि सिन्हा
- दुनिया समझ से बाहर मसले नहीं पकड़ में / रवि सिन्हा
- पैदा हुए थे आतिशे-कुन के शरार में / रवि सिन्हा
- बातों-बातों में बात कर आए / रवि सिन्हा
- बेआबरू जिस दर से निकाले हुए हैं हम / रवि सिन्हा
- बे-थाह समन्दर में सतह ढूँढ रहा हूँ / रवि सिन्हा
- बे-रुख़ी आपकी हम फिर से गवारा करते / रवि सिन्हा
- यादों में यादों का एक शहर छूटा / रवि सिन्हा
- यादों में ही आएँ उन्हें आने को कहूँगा / रवि सिन्हा
- ये ज़ब्त तो देखो के ज़ुबाँ कुछ ना कहे है / रवि सिन्हा
- ये तसव्वुर मिरे होने की निशानी की तरह / रवि सिन्हा
- ये फ़ैसला मेरा न था जो इस तरफ़ आना हुआ / रवि सिन्हा
- रात अटकी है क़मर देखने वाले न गए / रवि सिन्हा
- वक़्त को मुख़्तलिफ़ रफ़्तार से चला लेंगें / रवि सिन्हा
- वहशतें वीरानियों से दर-ब-दर होती रहीं / रवि सिन्हा
- शाइस्तगी को बीच की दीवार करोगे / रवि सिन्हा
- शाम उतरी है जगाओ पीरे-उम्रे-दराज़ को / रवि सिन्हा
- हम हक़ीक़त ही रहे आप मगर ख़्वाब हुए / रवि सिन्हा
- हर हुनर हासिल किया दिल में उतरने के सिवा / रवि सिन्हा
- हाफ़िज़ा-ए-ज़िन्दगी है ज़िन्दगी से पेशतर / रवि सिन्हा
- हाफ़िज़ा गोश में गुनगुनाती रही / रवि सिन्हा
- ख़ला में ख़ाक के ज़र्रे फ़साद करते हैं / रवि सिन्हा
- ज़िक्रे-उल्फ़त में अब है दम कितना / रवि सिन्हा
- ख़ाम नाला-ए-दिले-ज़ार है गाने वाले / रवि सिन्हा
- रोज़ो-शब ताज़ा कहानी चाहिए / रवि सिन्हा
- खेलता है खेल ही दिन-रात अपने आप को / रवि सिन्हा
- जागती है सोच सारी रात सोने की बजाय / रवि सिन्हा
- टेढ़ी सी इस लकीर में नुक़्ते का सफ़र देख / रवि सिन्हा
- अपना वजूद ख़ुद के मुक़ाबिल हुआ करे / रवि सिन्हा
- मुश्किल तो बहुत हूँ मगर आसान रहूँगा / रवि सिन्हा
- सौ साल मुफ़क्किर थे फिर भी दिल में थोड़ी नादानी क्यूँ / रवि सिन्हा
- रगों में ज़हर तो कूचे में ख़ून बहता है / रवि सिन्हा
- कुछ हिसाबी तो हुए इश्क़ भी करने वाले / रवि सिन्हा
- ख़्वाब में आए दमे-बेदार में आते कभी / रवि सिन्हा
- हसरत अभी तवाफ़ में आवारगी के साथ / रवि सिन्हा
- संग से क्या है रवानी पूछ ले / रवि सिन्हा
- क्या पूछते हैं दौर क्यूँ अफ़्सुर्दगी का है / रवि सिन्हा
- कौन रहता है यहाँ क़ुर्ब में काशाने में / रवि सिन्हा
- शाम तन्हा तो नहीं चाँद सितारे निकले / रवि सिन्हा
- / रवि सिन्हा
- / रवि सिन्हा