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एक पर्दा जो उठा / सरवर आलम राज़ 'सरवर'
Kavita Kosh से
(एक पर्दा जो उठा / सरवर आलम राज 'सरवर' से पुनर्निर्देशित)
एक पर्दा जो उठा
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रचनाकार | सरवर आलम राज़ 'सरवर' |
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इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- ढूँढते ढूँढते ख़ुद को मैं कहाँ जा निकला / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- दिल दुखाए कभी, जाँ जलाए कभी / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- बयान-ए-हुस्न-ओ-शबाब होगा / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- बात ऐसी क्या हुई साहिब! / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- नहीं मुझ को फ़िक्र-ए-साहिल ग़म-ए-नाख़ुदा नहीं है / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- तिरा यूँ फ़ैसला ऐ गर्दिश-ए-अय्याम हो जाए / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- दिल को यूँ बहला रख़्ख़ा है / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- जो अता करते हैं वो नाम-ए-ख़ुदा देते हैं / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- जब भी तेरा ख़याल आया है / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- आ भी जा कि इस दिल की शाम होने वाली है / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- जब नाम तिरा सूझै जब ध्यान तिरा आवै / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- कहाँ से आ गए तुम को न जाने / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- खेल इक बन गया ज़माने का / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- दिल पे गुज़री है जो बता ही दे / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- शाम-ए-अलम क्या शाम थी वो और रात भी क्या तनहाई की! / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- छोड़िए छोड़िए यह ढंग पुराना साहिब! / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- मुहब्बत आश्ना हो कर वफ़ा ना-आश्ना होना / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- क्या ख़ूब तुम ने मेरी वफ़ा का सिला दिया / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- कोई आज बैठा है नज़रें चुराए / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- हम हैं काबे से ही वाबस्ता, न बुतख़ाने से / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- उम्मीद-ओ-आरज़ू मेरी दमसाज़ बन गई / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- न सोज़ आह में मिरी, न साज़ है दिल में / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- हो गई मेराज-ए-इश्क़-ओ-आशिक़ी हासिल मुझे / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- माहौल साजगार फ़िज़ा ख़ुश्गवार है / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- दामन-ए-तार-तार ये सदक़ा है नोक-ए-ख़ार का / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- दिल दुखाना तिरी आदत है भुलाई न गई / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- हूँ ख़स्ता नफ़स आँख भी भर आई है / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- हम हुए गर्दिश-ए-दौरां से परिशां क्या क्या / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- जिगर सुलगता हुआ दिल बुझा बुझा होगा / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- मरीज-ए-इश्क़ पर पल में क़ियामत का गुज़र जाना / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- क्या तमाशा देखिए तहसील-ए-लाहासिल में है / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- कहने को यूँ तो ज़िन्दगी अपनी ख़राब की / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- दिल ही दिल में डरता हूँ तुझे कुछ न हो जाए / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- इलाही! हो गया क्या आख़िर इस ज़माने को / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- सब मिट गए माँगे हैं मगर तेरी नज़र और / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- मुझे ज़िन्दगी पे अपनी अगर इख्तियार होता / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- दयार-ए-जौर में दिल हार, जान वार आए / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- अफ़्सोस ख़ुद को ख़ुद पे नुमायां न कर सके / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- करे कर्ज़ तेरे अदा कोई, ऐ निग़ाह-ए-यार! कहाँ तलक? / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- आश्ना थे ख़ुद से फिर ना-आश्ना होते गए / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- रोज़-ओ-शब रुलाएगी आप की कमी कब तक? / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- कभी तुझ पे मेरी निगाह है, कभी ख़ुद से मुझ को ख़िताब है / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- रह-ए-वफ़ा में ग़म-ए-जुदाई कभी मिरा हम क़दम न होता / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- तमाम दुनिया में ढूँढ आया मैं ग़ुमशुदा ज़िन्दगी की सूरत / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- ज़माना एक जालिम है किसी का हो नहीं सकता / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- रह-ए-उल्फ़त निहायत मुख़्तसर मालूम होती है / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- नज़र मिली बज़्म-ए-शौक़ जागी, पयाम अन्दर पयाम निकला / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- नफ़स नफ़स सर-ब-सर परेशां, नज़र नज़र इज़्तिराब में है / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- जिस क़दर शिकवे थे सब हर्फ़-ए-दुआ होने लगे / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- हमने सब कुछ ही मुहब्बत में तिरे नाम किया / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- हसरत-ओ-यास को रुख़सत किया इकराम के साथ / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- आफ़त हो, मुसीबत हो, क़यामत हो, बला हो / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- कूचा कूचा नगर नगर देखा / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- हयात मौत का ही एक शाखसाना लगे / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- ख़ुशावक़्ते कि वादे कर के तुम हम से मुकरते थे / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- अजीब कैफ़-ओ-सुकूं जूस्तजू में था / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- लरज़ रहा है दिल-ए-सोगवार आँखों में / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- इक रिवायत के सिवा कुछ न था तक़दीर के पास / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- हिकायत-ए-ख़लिश-ए-जान-ए-बेक़रार न पूछ / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- सुना है अर्बाब-ए-अक़्ल-ओ-दानिश, हमें यूँ दाद-ए-कमाल देंगे / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- हमें ख़ुदा की क़सम याद आईयां क्या क्या / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- दिल ये कहता है तवाफ़-ए-कू-ए-जानाना सही / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- जब जब वो सर-ए-तूर तमन्ना नज़र आया / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- सौदा ख़ुदी का था न हमें बेख़ुदी का था / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- याद भी ख़्वाब हुई याद वो आते क्यों हैं? / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- तेरा गुज़र इधर जो ब-रंग-ए-सबा हुआ / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- ग़म-ए-ज़िन्दगी! तिरा शुक्रिया, तिरे फ़ैज़ ही से यह हाल है / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- ’सरवर’ जिगर के दाग़ नुमायां न कीजिए / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- हुस्न इर्फ़ान-ए-हक़ीक़त के सिवा कुछ भी नहीं / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- रंग-ओ-ख़ुश्बू शबाब-ओ-रानाई है / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- आबला पा घूमता हूँ वादी-ए-बेदाद में / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- हर आन मुहब्बत में मिरी जाँ पे बनी है / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- कशाकश-ए-ग़म-ए-हस्ती सताए क्या कहिए / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- यूँ आफ़्ताब-ए-शौक़ शब-ए-ग़म में ढल गया / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- दिल ने दुहराए कितने अफ़साने / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- सुब्ह-ए-इशरत देख कर, शामें ग़रीबां देख कर / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- पास है तुमको अगर पिछली शनासाई का / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- क्यों हर क़दम पे लाख तक्कलुफ़ जताइए? / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- ग़म-ए-फ़ुर्क़त की लौ हर लम्हें मद्धम होती जाती है / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- पूछिए मिरे दिल से इन्तज़ार का आलम / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- निगाह ख़ुद पे जो डाली तो ये हुआ मालूम / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- गो चाक रहा इस दिल-ए-नाशाद का दामन / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- जिगर की, दिल की, निगाहों की, जिस्म-ओ-जां की ख़बर / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- इलाही! क्यों नहीं जाता है ये मेरे जी का आलम / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- सूरत-ए-ज़ख़्म-ए-दिल-ओ-दर्द-ए-जिगर आता है / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- कोई तुम सा हो कज अदा न कभू / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- मजबूर-ए-मुहब्बत हूँ गुनहगार नहीं हूँ / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- हमेशा आर्ज़ूओं पर बसर की / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- न मैं सुब्ह का, न मैं शाम का / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- ज़मीं बाक़ी है पहले सी न ही वो आस्मां बाक़ी / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- कुछ इस तरह से तसव्वुर में बे-हिजाब हुए / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- रसन ये क्यों है बताओ ये दार कैसा है / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- जफ़ाएं देख लिया बे-वफ़ाईयां देखीं / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- दिल ने किसी की एक न मानी / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- रुस्वा रुस्वा सारे ज़माने / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- बता ये जज़्ब-ए-बे-इख़्तियार क्या होगा? / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- शब-ए-ग़म आर्ज़ूओं की फ़िरावानी नहीं जाती / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- आप आए याद की वो फ़ित्ना सामानी हो गई / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- मिरा जौक़-ए-मुहब्बत देखिए क्या गुल खिलाता है / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- उम्र भर रोया किए ना-कामियां देखा किए / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’