भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पद-रत्नाकर / भाग- 3 / हनुमानप्रसाद पोद्दार" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(श्रीकृष्ण के प्रेमोद्गार)
(श्रीकृष्ण के प्रेमोद्गार)
पंक्ति 111: पंक्ति 111:
 
* [[राधा मेरी प्राण-प्रतिमा / हनुमानप्रसाद पोद्दार]]
 
* [[राधा मेरी प्राण-प्रतिमा / हनुमानप्रसाद पोद्दार]]
 
* [[राधिके! तुम सौं होड़ लगी / हनुमानप्रसाद पोद्दार]]
 
* [[राधिके! तुम सौं होड़ लगी / हनुमानप्रसाद पोद्दार]]
 +
* [[गोपिका! हौं नित रिनी तिहारौ / हनुमानप्रसाद पोद्दार]]
 +
* [[निर्मल प्रेम नित्य यौं बोलै / हनुमानप्रसाद पोद्दार]]

14:28, 3 अप्रैल 2014 का अवतरण

पद

श्रीकृष्ण के प्रेमोद्गार