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+ | * [[हवा में हाँफ़ती उम्मीद की सूखी नदी रख दी / अनिरुद्ध सिन्हा]] |
17:35, 31 मई 2020 के समय का अवतरण
अनिरुद्ध सिन्हा
जन्म | 02 मई 1957 |
---|---|
जन्म स्थान | मुंगेर |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
नया साल, दहेज़ (दोनों कविता संग्रह); और वे चुप हो गए (कहानी-संग्रह); तिनके भी डराते हैं, तपिश, तमाशा, तड़प, तो ग़लत क्या है, ताकि हम बचे रहें, तो मैं ग़ज़ल कहूँ (सात ग़ज़ल-संग्रह); हिन्दी ग़ज़ल सौन्दर्य और यथार्थ, हिन्दी ग़ज़ल का यथार्थवादी दर्शन, उद्भ्रान्त की ग़ज़लों का सौन्दर्यात्मक विश्लेषण, हिन्दी ग़ज़ल-परम्परा और विकास, हिन्दी ग़ज़ल का नया पक्ष, हिन्दी ग़ज़ल के युवा चेहरे, किताबों का सफ़र (सातआलोचना पुस्तकें) | |
विविध | |
बिहार उर्दू अकादेमी, राजभाषा, विद्यावाचस्पति, नई धारा का रचना सम्मान, लक्ष्मीकान्त मिश्र स्मृति सम्मान, संकल्प साहित्य संस्थान, राऊरकेला का वार्षिक सम्मान, हिन्दी भाषा साहित्य परिषद, खगड़िया का स्वर्ण सम्मान के अतिरिक्त दर्जनों साहित्यिक सम्मान। दो कविता-संग्रह और चार ग़ज़ल-संग्रह, एक कहानी-संग्रह और दो आलोचना की पुस्तकें। | |
जीवन परिचय | |
अनिरुद्ध सिन्हा / परिचय |
ग़ज़लें
- सहरा उदास है न समन्दर उदास है / अनिरुद्ध सिन्हा
- तहों में दलदल सतह पे साज़िश धुआँ-धुआँ-सा हरेक घर है / अनिरुद्ध सिन्हा
- सुलग रहा है ये अपना वतन ज़रा सोचो / अनिरुद्ध सिन्हा
- नगर में आए हैं तो ख़ानदान है ग़ायब / अनिरुद्ध सिन्हा
- क्या कहा ज़िन्दगी ज़रा-सी है / अनिरुद्ध सिन्हा
- अपनी परछाई के पीछे खौफ़ के आँसू पिये / अनिरुद्ध सिन्हा
- अपनी ही खुद्दारियों से क्या ज़रा घायल हुए / अनिरुद्ध सिन्हा
- अपने भीतर झाँक लें अपनी कमी को देख लें / अनिरुद्ध सिन्हा
- अब किसी से न गिला है न शिकायत अपनी / अनिरुद्ध सिन्हा
- आँखों के दिये रौशन हैं तेरी अदाओं से / अनिरुद्ध सिन्हा
- आपका अपना कोई चेहरा नहीं / अनिरुद्ध सिन्हा
- इज़हारे-मुहब्बत की जो हिम्मत नहीं करते / अनिरुद्ध सिन्हा
- इस दौर में जीना कोई आसान नहीं है / अनिरुद्ध सिन्हा
- इस मफ़लिसी के दौर से बचकर रहा करे / अनिरुद्ध सिन्हा
- उलझनों से तो कभी प्यार से कट जाती है / अनिरुद्ध सिन्हा
- किसी की आँख में इक घर तलाशते रहिए / अनिरुद्ध सिन्हा
- कोई किसी की तरफ है कोई किसी की तरफ़ / अनिरुद्ध सिन्हा
- क्या है अपने वक़्त की रफ़्तार पढ़िये / अनिरुद्ध सिन्हा
- गुज़रे दिनों / अनिरुद्ध सिन्हा
- घर की नाज़ुक बातों से / अनिरुद्ध सिन्हा
- चल दिए वो सभी राब्ता तोड़कर / अनिरुद्ध सिन्हा
- चाक दामन जब हुआ उसको रफू करते रहे / अनिरुद्ध सिन्हा
- चुभते रहते हैं खार- से दिल में / अनिरुद्ध सिन्हा
- जंग में हूँ बहार मुश्किल है / अनिरुद्ध सिन्हा
- ज़ख्म को करके हरा इस बार भी / अनिरुद्ध सिन्हा
- ज़ख्म खाकर भी मुस्कुरा देंगे / अनिरुद्ध सिन्हा
- जब भी उठा है दर्द तेरा मुस्कुरा लिये / अनिरुद्ध सिन्हा
- जाँ बदन से जुदा है रहने दे / अनिरुद्ध सिन्हा
- जो आँसू पीके हँसना जानता है / अनिरुद्ध सिन्हा
- जो हुआ जैसा हुआ अच्छा हुआ / अनिरुद्ध सिन्हा
- तमाम रात तेरा इंतज़ार रहता है / अनिरुद्ध सिन्हा
- दरो - दीवार के परदे उठा दो / अनिरुद्ध सिन्हा
- दिखाई दे न जो उसका हिसाब क्या रखता / अनिरुद्ध सिन्हा
- दिलकशी वक़्त की बढ़ी होगी / अनिरुद्ध सिन्हा
- दिल की हालत संभाली गई / अनिरुद्ध सिन्हा
- दुआ के बदले में लोगों की बद दुआ लेकर / अनिरुद्ध सिन्हा
- धूप को सर पर लिये चलता रहा / अनिरुद्ध सिन्हा
- निकल न पाया कभी उसके दिल से डर मेरा / अनिरुद्ध सिन्हा
- पाले हुए जो ज़ख्म जुबां पर उतर गए / अनिरुद्ध सिन्हा
- फिर -से मेरा आईना धुँधला हुआ / अनिरुद्ध सिन्हा
- बढ़ रहा है तनाव क्या देखूँ / अनिरुद्ध सिन्हा
- बारहा लाजवाब आता है / अनिरुद्ध सिन्हा
- मंज़िल न मिल सकी कोई रस्ता न मिल सका / अनिरुद्ध सिन्हा
- मजबूरियाँ के खौफ़ / अनिरुद्ध सिन्हा
- मुझको सीने में पालकर रखिए / अनिरुद्ध सिन्हा
- मुहब्बत बेच डाली है विरासत बेच डाली है / अनिरुद्ध सिन्हा
- मेरी आँखों में आँसू हैं / अनिरुद्ध सिन्हा
- मेरे चेहरे पे सजाता है मेरे ज़ख़्मों को / अनिरुद्ध सिन्हा
- मेरे जज़्बात मेरे नाम बिके / अनिरुद्ध सिन्हा
- मौसमे-गुल / अनिरुद्ध सिन्हा
- याद तेरी जो आँखों में आने लगी / अनिरुद्ध सिन्हा
- रगों में रेत भरकर रोज़ घटता जा रहा है / अनिरुद्ध सिन्हा
- रहा कुछ खौफ़ का ऐसा असर हर एक सीने में / अनिरुद्ध सिन्हा
- राह दुनिया की अब बदल आए / अनिरुद्ध सिन्हा
- लोग पीछे थे मेरे हाथ में पत्थर लेकर / अनिरुद्ध सिन्हा
- वो मेरे दिल तलक आता मगर दाख़िल नहीं होता / अनिरुद्ध सिन्हा
- शुभ-लाभ और स्वराज के दीपक जलाइए / अनिरुद्ध सिन्हा
- सभी की सोच अलग है अलग दिशाओं में / अनिरुद्ध सिन्हा
- सर्दी की तेज़ लू में / अनिरुद्ध सिन्हा
- साथ चलते हैं काँपते साए / अनिरुद्ध सिन्हा
- हम तुझे प्यार करते रहते हैं / अनिरुद्ध सिन्हा
- हर झूठ और सच के दारोमदार हम हैं / अनिरुद्ध सिन्हा
- हर नई रात की आहट से ही डर जाऊँ मैं / अनिरुद्ध सिन्हा
- हवाओं में दीपक जलाए हुए हैं / अनिरुद्ध सिन्हा
- हवा खिलाफ़ है या बदगुमान है अब तक / अनिरुद्ध सिन्हा
- हवा में हाँफ़ती उम्मीद की सूखी नदी रख दी / अनिरुद्ध सिन्हा