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पद-रत्नाकर / भाग- 3 / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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पद
- पल भर नहीं छोड़ते प्यारे / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कान्ह बर मेरे जीवन-प्रान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- बिछुरे होयँ जु मिलैं प्रान-धन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सरबस छीन लै गयौ मेरौ वो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- पता नहीं कुछ रात-दिवस का / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सखि! क्या हुआ मुझे / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सुनौ सखि! यह अनुभव की बात / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नैन-मन जब तैं आइ बसे / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सखी री! यह अनुभव की बात / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- निरखि सखि! मोहन की मुसकान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सखी! हौं स्याम-रंग-रँगी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सखी! हौं प्रीतम-प्रीति पगी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्रियतम मेरे, मैं प्रियतम की / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- रूप अनूप सुधा-रस-सागर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- स्याम-सो साँचौ स्नेही कौन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- शुद्ध सच्चिदानन्द, परम निज महिमा / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मैं तो सदा बस्तु हूँ उनकी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मेरे इक जीवन-धन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मैं हूँ एकमात्र उनकी ही / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सखि! संयोग-वियोग श्याम का / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- तुम उनकी, वे नित्य तुहारे / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सखी! यह अतुल अनोखी बात / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- स्रवननि भरि निज गिरा मनोहर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मिले रहते मुझसे दिन रात / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- हृदय-भवन में बसे निरन्तर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सखी री! तू क्यौं भई उदास / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सखी! जो रूठे स्याम / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- अरी सखि! मेरे तन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सखी! जनि करौ अयानी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सुनु प्यारी मम बैन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- याद आ रही थी मुझको / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सखी री! हौं अवगुन की खान/ हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सखी! तुम इतनौ करियो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
श्रीकृष्ण के प्रेमोद्गार
- बरबस करषौं मुनि-मनहि निज / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- राधा बिना अशोभन नित मैं / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मैं हूँ पूर्णानन्द परम शुचि / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मुझ ‘रस’को, मेरे ‘रस' के / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नहीं चुका सकता मैं बदला / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कहत स्याम निज मुख / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- अन्त-विहीन, अनादि, नित्य / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- दूर रहें या पास / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कैसे किसे बताऊँ अब मैं / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मो मन राधा-छबि / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- राधा से भी लगता मुझको / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जिह्वा के मम अग्र भाग पर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मानो या मत मानो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- ‘मैं प्रियतम, तू प्रेयसि मेरी’ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्रिये! लखौ तुम सर्व-बिलच्छन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सुन्दर-मधुर सदा मैं मुनि-मन को / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- राधिके! तुम मम जीवन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- हे आराध्या राधा! / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- हे वृषभानु राजनन्दिनि! / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- हे प्रियतमे राधिके / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- राधे! हे प्रियतमे, प्राण-प्रतिमे / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मेरा तन-मन सब तेरा ही / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- राधे! तू ही चिरजनी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- राधा! तुम-सी तुहीं एक हो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- हे राधे वृषभानुनन्दिनी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्रिये! तुहारा-मेरा यह अति / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्रिये! तुहारा-मेरा यह अति है / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्रिये! तुहारी महान महिमा / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मिली सदा रहतीं तुम मुझमें / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सुमधुर स्मरण तुहारा-मेरा बना / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- तेरी चिन्ता, तेरी पीड़ा / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- आतुर मैं अत्यन्त सदा तुमसे / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- विषय-कामना, भोग-रति / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्रिये! तुम्हारी मूर्ति नित अपृथक् / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- राधे! क्यों मैं रीझा तुम पर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- है कर्तव्य नहीं कुछ मुझको / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- एक तुम्हारे सिवा न राधे / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नहीं जानता मैं भगवा / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कभी न होता, कभी न होगा / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जिससे मुझ ‘आनन्द-रूप’ को / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्रिये! तुम्हारी मधुर मनोहर स्मृति / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- अन्तर की रस-धारा की हो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- एक तुम्हीं में मन अटका है / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्रिये! प्राण-प्रतिमे! / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्रिये! तुम्हारी वाणी सुनने को / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- पल भर नहीं छोड़ते बनता / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- तेरे उर की शुचि सुन्दरता / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- देख छबीली छटा / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कैसे तुम्हें दिखाऊँ, हे बृषभानुलली! / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जब तुम कहती हो- हे छलिया / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- तुम्हें क्या कहूँ, क्या न कहूँ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मैं न तुमसे एक क्षण भी दूर हूँ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- तुमने मुझे दिया सुख नित ही / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- रोज की आदत मेरी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्रियतमे! मैं नित रिनी तिहारौ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- तुम कभी मन में तनिक भी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्राणाधिके! प्रियतमे! / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- तोसे मिलहौं, हे राधिके! / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जबसे छूटा था राधे! / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- भूल गया मैं अन्य सभी कुछ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- राधा! तेरे दर्शनको मैं उत्सुक रहता / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्रिये! तुम्हारी विरह-वेदना / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- विधु-बदनी श्रीराधिके! / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- राधिके! तुम सलिल / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- तुम्हारी स्मृति नित बन साकार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- रहता पुरी द्वारिका में मैं / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- तुम यह शायद समझ रही / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- हे ब्रजरमणि-मुकुटमणि राधे! / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सर्वनियन्ता सर्वेश्वर मैं / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- राधा मेरी प्राण-प्रतिमा / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- राधिके! तुम सौं होड़ लगी / हनुमानप्रसाद पोद्दार