भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पहला दिन मेरे आषाढ़ का / नईम
Kavita Kosh से
Hemendrakumarrai (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:00, 10 सितम्बर 2010 का अवतरण
पहला दिन मेरे आषाढ़ का
क्या आपके पास इस पुस्तक के कवर की तस्वीर है?
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
रचनाकार | नईम |
---|---|
प्रकाशक | आलेख प्रकाशन, वी-8, नवीन शाहदरा, दिल्ली-110032 |
वर्ष | 2004 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | नवगीत |
विधा | |
पृष्ठ | 192 |
ISBN | 81-8187-085-9 |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- नन्हा मुन्ना बसंत / नईम
- जीवन भर / नईम
- सगुनपाखी जा बसे / नईम
- ठीक सत्र से पहले / नईम
- पुरवाई के ताने / नईम
- धूप तापते आँगन / नईम
- स्वपन टूटते रहे / नईम
- मछली-मछली पानी दे / नईम
- आसों के सूरज हों / नईम
- बहस रहे हैं / नईम
- दिन ये ज़ोर-ज़बरदस्ती के / नईम
- तुमने वस्त्र भिगोए / नईम
- रात खाई में पड़ी है / नईम
- दूर से आते ठहाके / नईम
- आओ हम पतवार / नईम
- आकाशे मँडराते / नईम
- सुबह-शाम हम / नईम
- चौके की बोली से हटकर / नईम
- प्रिया हो गई खाँटी गृहिणी / नईम
- ससुरे सुनें, सुनें जामाता / नईम
- अंतरंग से ख़ारिज / नईम
- गाली से क्या कम है / नईम
- टेसू आज प्रसंग हुए हैं / नईम
- जिह्वा पर सरस्वती / नईम
- ढेर सारे प्रश्न पूछे आपने / नईम
- आप मेरी पूछते क्यों / नईम
- सेमलों-से भाई ओ / नईम
- लिखना तो चाहा था / नईम
- कहाँ हैं वे पाँव / नईम
- नागर दिन हो न सक / नईम
- दुर्योधन : सुयोधन उवाच / नईम
- ग़लत हाथ के हथियारों ने / नईम
- अक्षर-अक्षर बाँचूँ / नईम
- दीवारों पर खूँटी / नईम
- लिखकर रख छोड़े हैं / नईम
- बिरहा सुबुक-सुबुक रोए है / नईम
- शाम वाली डाक से ख़त / नईम
- अब नहीं लगती निबौली / नईम
- कोशिशें हुई जातीं रेत / नईम
- एक नदी / नईम
- धुँधले प्रतिबिंब / नईम
- काँव-काँव करती / नईम
- एक पथ पर जो मिला / नईम
- एक भाव, सही दाम / नईम
- प्यार के प्रतीक बंधु / नईम
- पहला दिन मेरे आषाढ़ का (कविता) / नईम
- फूले-फले दिन / नईम
- जाने कब बौराए आम / नईम
- याद तुम्हारी आती / नईम
- आज के बाद / नईम
- आदमी क्यों आज / नईम
- आज अपने आपसे / नईम
- चाँद बेतुका-सा लगता / नईम
- कल तक जो फूली थी / नईम
- किसे आज दोषी ठहराएँ / नईम
- ये हैं नखलिस्तानी / नईम
- आज बहुत महँगा है मरना / नईम
- चूँ-चुनाँचे...अगर-मगर.. / नईम
- हिलीं मसीतें, मंदिर हिलते / नईम
- अपनों से, अपने ही बरबस / नईम
- जबसे होश संभाले हमने / नईम
- लटके हुए अधर में जब दिन / नईम
- सुबह गए थे / नईम
- कतई ज़रूरी नहीं / नईम
- किसे... फेर दिनों का / नईम
- लाजिमी तो नहीं था / नईम
- अच्छी तरह याद है मुझको / नईम
- भीड़-भाड़ में / नईम
- कल तक जो सूखी थी / नईम
- हाँ, बबूल में / नईम
- किसे शिकायत नहीं / नईम
- मौसम से ज़्यादा बेमौसम / नईम
- आठों पहर, महीनों, बरसों / नईम
- नोटिस या वारंट न आया / नईम
- मन ये हुमक रहा गाने को / नईम
- मेरे ख़त बस ख़त होते हैं / नईम
- रूपमती सी रेवा / नईम
- बाजबहादुर-रूपमती / नईम
- हो न सका जो / नईम
- लगने जैसा लिखा नहीं कुछ / नईम
- चौपाटी, चौराहों पर / नईम
- चलो कहीं सतपुड़ा / नईम
- शील सतपुड़ा-से / नईम
- हुआ करे है / नईम
- भूल-चूक की मुआफ़ी चाहूँ / नईम
- कंधों पर सिर लिए हुए हम / नईम
- वो ओढ़े बगुलों सी उजली / नईम
- सुर्ख़ गुलाबों जैसे / नईम
- मुद्दत हुई, न किया-धरा कुछ / नईम
- ऋतुओं के अनुक्रम ही सारे / नईम
- हार की ग़ज़लें बहुत परवाज़ / नईम
- रंजोग़म के साथ चिंताएँ सहेजे / नईम
- टुकड़े-टुकड़े आसमान / नईम
- पूछ रहे हो क्यों ग़ैरों से / नईम
- बिना बात के यूँ ही / नईम
- रह गए परदेश में / नईम
- कहने की बातें ही बातें / नईम
- भरे पेट को पानी / नईम
- लौट आ ओ मूर्खता / नईम
- दिख रहे हैं लोग यूँ / नईम
- रक्त सनी हों सुबहें जिनकी / नईम
- कुछ न कुछ तो करना होगा / नईम
- अगर चितरते रहे चाव से / नईम
- मार रही हैं लोकवेद को / नईम
- किसको कहाँ बताने जाएँ / नईम
- ऐसी क्या मजबूरी / नईम
- जीवित के तो न्याय, धरम / नईम
- अधबने, आधे-अधूरे / नईम
- लुट गई इज़्ज़त / नईम
- भैंस मरे पर घर भर रोए / नईम
- ताज़िरात की धाराओं में / नईम
- चिट्ठी-पत्री, ख़तो-किताबत / नईम
- ये सुनने के लिए अप्रस्तुत / नईम
- वेदवाक्य होना था / नईम
- आज महाजन के पिंजरे में / नईम
- कैसे-कैसे मौसम आए / नईम
- पाँव पूजते थे कल तक जो / नईम
- रेशम की साड़ी / नईम
- किनके हाथों में डफली दूँ / नईम
- बार-बार लिख-लिखकर काटे / नईम
- आवत-जात पनहियाँ टूटी / नईम
- नानक की पत्तल / नईम
- कैसे ये सोने / नईम
- न जाने वतन आज क्यों / नईम
- जिनकी अपनी पूँजी न कोई / नईम
- सुनो हो भितरिया जी / नईम
- चलो चलें दो-चार क़दम / नईम
- हाथ मार ले गए बहुत-कुछ / नईम
- ढो रहे हम / नईम
- आप आए तो आइए भीतर / नईम
- कोरे शबद उचारे संतो / नईम
- किस कदर खलने लगे हैं / नईम
- दूसरों पर हँस लिए / नईम
- रखे हुए माथे पर महादेश / नईम
- अब तक नहीं लगाए हमने / नईम
- अंतस को आँटे बिना / नईम
- आइए पढ़ आएँ चलकर / नईम
- रात की शक्ले / नईम
- जन्म पर आयोग / नईम
- बाजबहादुर सधे नहीं गर / नईम
- पार गए तो पौबारह हैं / नईम
- ऐसे साँचे रहे नहीं अब / नईम
- ऐसा भी कोई दिन होगा / नईम
- मिला नहीं अवकाश / नईम
- भौंक-भौंक कर चुप हो जाते / नईम
- एक शाम ऐसी भी कोई / नईम
- सही नाम लेने में / नईम
- नमन जुहारों / नईम
- मेरा पता छोड़कर / नईम
- विरल होते जा रहे / नईम
- ज़रा-ज़रा सी बातों को ले / नईम
- इन अँधेरे-उजालों के बीच / नईम
- चलो चलें उस पार कबीरा / नईम
- चला रहे तीरों का एवज़ / नईम
- दिन अहीर भैरव गाए है / नईम
- अलिफ़ सुलगते हुए दिनों के / नईम
- उलझे हुए हिसाब मिले दिन / नईम
- आठ पहर का दाझणा / नईम
- कोस-कोस पर रोटी-पानी / नईम
- कहीं अशोक, कदंब कहीं पर / नईम
- धौरी आसों हुई न गाभिन / नईम
- काशी साधे नहीं सध रही / नईम
- जीवन को जीने की ज़िद में / नईम
- आप अधूरों की कहते / नईम
- क्या कहेंगे लोग / नईम
- कल तक थे जो भरे-भरे / नईम
- पानी बाबा आया / नईम
- पानी दे / नईम
- असुरों से तो जीत गए रण / नईम
- रात महुए सी / नईम
- लिखना तो चाहे थे टेसूवन / नईम
- भाषा के घिसे-पिटे / नईम
- भीतर से बाहर ही चलो / नईम
- एक भूली बात-सी / नईम
- ठेठ सूनापन बकुल सा / नईम
- आर-पार भीतर बाहर से / नईम
- एक छाप चेहरे पर अंकित / नईम
- आसमान में चीलें उड़तीं / नईम
- रह गई माँ क्षीण क्षिप्रा-सी / नईम
- दामन को मल-मलकर धोया / नईम