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तुमने कहा था / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
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तुमने कहा था
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रचनाकार | प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान' |
---|---|
प्रकाशक | दर्पण पब्लिकेशनज़ |
वर्ष | 2012 |
भाषा | उर्दू |
विषय | शायरी |
विधा | ग़ज़ल |
पृष्ठ | 97 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ
- भूमिका / राजेन्द्र नाथ रहबर / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- हो इनायत दर्दो-ग़म रंजो-अलम / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- वो शाम / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- तू इसे माने न माने बात है मानी हुई / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- मौत भी उनसे घबराती है डर को भी लगता है डर / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- जो हमें करना था हम उल्फ़त में जलकर कर चुके / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- वही दहर के ग़म वही है फ़साना / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- तुम्हारी शोख़ नज़रों का जिगर पर तीर चलता है / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- दिल तड़पता है आप ही के लिए / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- एक याद / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- नज़रें ही मिली हैं न कोई बात हुई है / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- दिल पे रुकते हैं तीर क़ातिल के / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- इस से पहले कि हम में तुम हम हो / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- ज़ख़्मे दिल दर्द का जब दिल को मज़ा देता है / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- फ़िक्र सब को है आबो-दाने की / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- मुजतरिब तमन्ना / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- कहने वाले किया नहीं करते / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- ये आज मुझ पे किस का एहसान हो गया है / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- क्या पिलाया है मुझे तुम ने निगाहे नाज़ से / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- हम से / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- जा के इक बार फिर आता नहीं / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- कौन जाने मुझे हुआ क्या है / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- तवज्जो का सबब शायद तेरा आज़ार हो जाये / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- मुझ को तेरी दीद का अरमान है / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- खुशी से हो गया क़ुर्बान दिल उस पर घड़ी भर में / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- सलाम / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- मुझ पे जीना भी आज भारी है / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- अब अगर घबरा के हम मर जाएंगे / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- फ़िराके-सनम में दिल इतना हजीं है / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- फिर मेरे दिल ने चोट खाई है / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- गिला है कुछ मुक़द्दर से न शिकवा है सितमगर से / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- मुझे हो के अपना दिये हैं वो तू ने / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- दर्दे दिल और भी सवा होगा / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- क्या बसाया तुम्हें निगाहों में / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- सोते फ़ितनों को फिर जगाया है / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- क्या ख़तर है मौत का और ख़ौफ़ क्या तक़दीर से / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- न हो मक़सूद तेरी जुस्तजू तो फिर सफ़र क्या है / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- रोज़ हम आह आह करते हैं / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- नहीं जाती कभी उस दिल की वीरानी नहीं जाती / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- हक़ारत से देखो न मुझ को ख़ुदारा / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- मुझ से वो दूर हैं तो क्या ग़म है / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- दर्दो-ग़म, आहो-फुगां, आज़ार है / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- लम्हे कुछ ऐसे ज़ीस्त में आ कर चले गये / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- साथ उन का जो मिल गया होता / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- जब से दिल में उसे बसाया है / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- तुम से नज़र में मुझ को उठाया न जायेगा / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- शीशाए दिल को हमारे तोड़ कर / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- हम उन की बज़्मे-नाज़ में मुख़्तार भी नहीं / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- कौन है जो इश्क़ में जलता नहीं / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- तेरी नवाज़िशों का करम बे हिसाब है / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- जान रहते ही मिट गया होता / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- तेरी नज़रों से क्या गिरा हूँ मैं / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- आप का इंतिज़ार रहता है / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- अपने दिल से, आप के नग़मों से हम / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- जान पहचान हो गई ग़म से / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- कोई रह रह के मुस्कुराता है / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- हर गाम पे यास और अलम देख रहा हूँ / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- तुम ने हर एक गाम पे सदमा नया दिया / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- इंतिज़ार / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- आना जाना है बार बार उनका / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- अंधा राही अंधी राहें होनी का जल उठा दिया / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- उठ के पहलू से वो मेरे क्या गया / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- ये कैसा खेल उल्फ़त का मेरी सरकार होता है / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- मुझ को अपने दिल पे बेहद नाज़ है / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- नफ़रत की ये कैसी बस्ती है / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- तेरी नज़रें इनायत हो जाये / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- दर्दे दिल क़ाबिले शिफ़ा न रहा / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- सीखने से दिल को कुछ मतलब नहीं / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
- मुतफ़र्रिक अशआर / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'