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जज़्बात
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रचनाकार | अजय अज्ञात |
---|---|
प्रकाशक | शब्दांकुर प्रकाशन |
वर्ष | |
भाषा | हिंदी |
विषय | शायरी |
विधा | ग़ज़ल |
पृष्ठ | 100 |
ISBN | |
विविध |
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इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ
- भूमिका / अजय अज्ञात
- इस क़लम को रोशनाई दे ख़ुदा / अजय अज्ञात
- अंजाम जो भी हो कभी सोचा नहीं करते / अजय अज्ञात
- वो मेरे हौसलों को आज़माना चाहता है / अजय अज्ञात
- आपकी सच्ची दुआओं का असर है / अजय अज्ञात
- होता हुआ आसान सफ़र देख रहा हूँ / अजय अज्ञात
- क्या पता था आईना यूँ बेवफ़ा हो जाएगा / अजय अज्ञात
- दर्द से उपजा हुआ इक गीत लिख / अजय अज्ञात
- हों ऋचाएँ वेद की या आयतें कुरआन की / अजय अज्ञात
- बुजुर्गों से निभाना भूल बैठे / अजय अज्ञात
- ख़ुद को तू आईने में नज़रिया बदल के देख / अजय अज्ञात
- वक्त ने हर वक्त ही ज़ेरो ज़बर जारी रखा / अजय अज्ञात
- हम किसी हाल में ऐसा नहीं होने देंगे / अजय अज्ञात
- हम से तो कभी ऐसी, शाइरी नहीं होती / अजय अज्ञात
- राहे तलब में कब से यूँ बैठा हुआ हूँ मैं / अजय अज्ञात
- इज़्ज़त से इसे देखिये, बेटी है किसी की / अजय अज्ञात
- ज़िंदगी में प्यार ही सरहद है बस / अजय अज्ञात
- जैसा भी है अच्छा या बुरा काट रहे हैं / अजय अज्ञात
- एहसासे कमतरी को न यूँ दिल में पालिए / अजय अज्ञात
- पराया ग़म मेरे दिल की ख़ुशी को छीन लेता है / अजय अज्ञात
- ‘लौट कर आऊंगा’ कोई कह गया / अजय अज्ञात
- जहाँ से ख़ुशबुओं का सिलसिला है / अजय अज्ञात
- तबस्सुम के उजालों से ज़रा सी रौशनी कर दो / अजय अज्ञात
- महक आती है यूँ उर्दू ज़बां से / अजय अज्ञात
- हर कोई अपनी अना की क़ैद में मक्फूल है / अजय अज्ञात
- माना कि इस ज़हान में दो-चार मिले हैं / अजय अज्ञात
- उसूलों से बग़ावत कर रहे हो / अजय अज्ञात
- एक नन्हा सा दिया, क्या बात है / अजय अज्ञात
- समझते हो बड़ी आसानियाँ हैं / अजय अज्ञात
- वफ़ा के बदले जफ़ा मिलेगी / अजय अज्ञात
- सफलता का उधर से रास्ता है / अजय अज्ञात
- सभी के सामने सज्दा हमें करना नहीं आता / अजय अज्ञात
- मैंने हँसी को चेहरे से जाने नहीं दिया / अजय अज्ञात
- झूठे को सारे लोग क्यूँ सच्चा समझते हैं / अजय अज्ञात
- मंज़िलों पर पहुँच कर डगर खत्म हो / अजय अज्ञात
- लोग अपने आप में उलझे दिखे / अजय अज्ञात
- अच्छा लगता है हमें गौहर निकलते देखना / अजय अज्ञात
- धूप से मैं रौशनी थोड़ी चुरा लूँ / अजय अज्ञात
- राई में सीप के भीतर जैसे गौहर रहता है / अजय अज्ञात
- उसका यूँ मुझसे रूठना अच्छा लगा मुझे / अजय अज्ञात
- व्यसन में ख़ुद को उलझाये हुए हैं / अजय अज्ञात
- दुआओं के असर को ख़ुद कभी यूँ आज़माना तुम / अजय अज्ञात
- पुरखों ने जो कमाई थी दौलत बची रहे / अजय अज्ञात
- जफ़ा समझे, वफ़ा समझे, भला समझे, बुरा समझे / अजय अज्ञात
- हरिक शै में तेरी मौजूदगी महसूस करता हूँ / अजय अज्ञात
- किसी के हुस्न का नक्शा मुझे कामिल नहीं मिलता / अजय अज्ञात
- हर वक्त दिल पे जैसे कोई बोझ सा रहा / अजय अज्ञात
- सच मानिएगा आप ये अच्छा नहीं करते / अजय अज्ञात
- कभी भी हौसला टूटा नहीं था / अजय अज्ञात
- जवानी आते ही चेहरे पे जब पिंपल निकल आया / अजय अज्ञात
- मिट्टी का खि़लौना क्यूँ ख़ुद ही से हिरासां है / अजय अज्ञात
- यक ब यक दिन में ये कैसा घुप अँधेरा हो गया / अजय अज्ञात
- उलझा हूँ अपने आप में सुलझाऊँ किस तरह / अजय अज्ञात
- किसी कोने में सिमटा सा पड़ा हूँ / अजय अज्ञात
- ज़िंदगी का गीत गाना सीख लो / अजय अज्ञात
- कहाँ कोई हिन्दू मुसल्मां बुरा है / अजय अज्ञात
- मुद्दत के बाद दोस्त पुराना मिला मुझे / अजय अज्ञात
- कहाँ आसानी से मिलते सभी को दोस्त अच्छे / अजय अज्ञात
- हाथों में कुल्हाड़ी को देखा तो बहुत रोया / अजय अज्ञात
- विषमता से भरी क्यूँ ज़िंदगी है / अजय अज्ञात
- जो भी है गिला उसको भुला क्यों नहीं देते / अजय अज्ञात
- चुभेंगे ख़ार तो रस्तों पे चलना छोड़ दोगे क्या / अजय अज्ञात
- वीरान सी डगर है कोई हमसफ़र नहीं / अजय अज्ञात
- यूँ ही गाहे ब गाहे बेख़ुदी में आ ही जाता है / अजय अज्ञात
- बेसबब मुस्कुरा रहा है कोई / अजय अज्ञात
- रास्ते के पत्थरों के रोकने से कब रुका / अजय अज्ञात
- मेरे क़दमों में अगर आवारगी होती नहीं / अजय अज्ञात
- मेरी हर ख़्वाहिश अधूरी रह गयी / अजय अज्ञात
- एक दिन ख़्वाब ये साकार भी हो सकता है / अजय अज्ञात
- दश्ते दिल से गुज़र रहा हूँ मैं / अजय अज्ञात
- कोई बुत में तराशा जा रहा है / अजय अज्ञात
- प्यार का ये आगाज़ बहुत ही अच्छा है / अजय अज्ञात
- दरमियाँ के फ़ासिले सब मिट गए / अजय अज्ञात
- ये बच्चे क्यूँ बिगड़ते जा रहे हैं / अजय अज्ञात
- इक ख़ुशनुमा सा ख़्वाब सजाने नहीं दिया / अजय अज्ञात
- कितना हसीन चाँद था, बादल निगल गया / अजय अज्ञात
- आज इस वातावरण के हम हैं ज़िम्मेदार ख़ुद / अजय अज्ञात
- सदमात हिज्र-ए-यार के जब-जब मचल गए / अजय अज्ञात
- इस जिस्मो ज़ां की क़ैद में रह कर हैं लोग ख़ुश / अजय अज्ञात
- उसका किसी भी ग़म से है रिश्ता नहीं अभी / अजय अज्ञात
- बूढ़ा एक शजर हूँ मैं / अजय अज्ञात
- मुख़्तलिफ़ अशआर / अजय अज्ञात
- एक मतअला, कुछ शेर / अजय अज्ञात