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13:30, 16 सितम्बर 2015 का अवतरण
सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
www.kavitakosh.org/ssraqeeb
www.kavitakosh.org/ssraqeeb
जन्म | 04 अप्रैल 1961 |
---|---|
उपनाम | रक़ीब लखनवी |
जन्म स्थान | लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
आज़ादी - अगस्त 1992 | |
विविध | |
मुंबई की सामजिक एवं साहित्यिक संस्था आशीर्वाद द्वारा विशेष सम्मान मई 2008 में । | |
जीवन परिचय | |
सतीश शुक्ला 'रक़ीब' / परिचय | |
कविता कोश पता | |
www.kavitakosh.org/ssraqeeb |
प्रतिनिधि रचनाएँ
- ख़ुशी हो तो घर उनके हम कभी जाया नहीं करते / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- सर्द रातों में भी काँपते काँपते / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- बदलें मौसम, बदलें हम / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- बेकार है फ़ितूर दिले-बेक़रार में / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- लोकप्रिय साहित्य को जब हम समर्पित हो गये / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- काश! इक बार मिल सकूँ उससे / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- कुछ को तो शबो-रोज़ कमाने की पड़ी है / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- आँसुओं से अपना दामन तर-बतर होने के बाद / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- पहले तो बिगड़े समाँ पर बोलना है / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- है आदि काल से मानव का आचरण मित्रो / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- चुप कहाँ रहना, कहाँ पर बोलना है / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- बात हक़ की हो तो क्यों चन्द मकाँ तक पहुँचे / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- फिर से शहनाइयाँ, शामियाने में हैं / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- अंजान हैं, इक दूजे से पहचान करेंगे / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- वह सताता है दूर जा जा कर / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- जलवा-ए-हुस्न तो जिगर तक है / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- पास आने की बात करते हैं / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- हर एक लफ़्ज़ पे वो जाँ निसार करता है / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- तीन दिन में आपको दुनिया दिखाने आए हैं / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- प्यार से पौदा कोई आप लगाएं तो सही / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- ये न हरगिज़ सोचना तुम, हम कमाने आए हैं / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- क्यों जुबां पर मेरी आ गयी हैं प्रिये / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- करमचंद और पुतलीबाई के बेटे थे गाँधी जी / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- ऐसे दिल से मेरे धुवाँ निकले / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- होटों पे कभी जिनके दुआ तक नहीं आती / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- रख के मेज़ों पे जो भारत का अलम बैठे हैं / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- फिर अम्न के पैकर की फिज़ा क्यों नहीं आती / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- लाखों अरमान थे काग़ज़ पे, निकाले कितने / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- जब दुबारा कभी मिलूँ उससे / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- ये हक़ीक़त या ख़्वाब है कोई / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- लब पे भूले से मेरा नाम जो आया होगा / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- भटका हुआ था राहनुमा मिल गया मुझे / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- रुख से ज़ुल्फ़ें जब महे-कामिल में सरकाते हैं वो / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- सभी के हक़ के लिए लड़े जो, उसे नयी ज़िन्दगी मिलेगी / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- जी में आया है, मुझे आज वो, कर जाने दे / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- कुछ न पूछूँ न कुछ कहूँ उससे / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- जुस्तजू बोसा-ए-दिलदार नहीं थी, कि जो है / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- कोई इस शहर में अपना नज़र आता ही नहीं / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- दौलत का चंद रोज़ में यूं जादू चल गया / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- दिलों पर वार करने वालों को क़ातिल समझ लेना / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- ज़र है जन्नत, ज़र न दोज़ख, हाए हम आए कहाँ / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- आज़ादी की सालगिरह पर, तुम सबका अभिनन्दन है / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- ज़िन्दगी तेरी कहानी भी कहानी है कोई / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- हम कहते हैं बात बराबर / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- न चल, के चलती है जैसे हिरन ख़ुदा के लिए / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- यूं तो लोगों के बीच रहता हूँ / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- मिलती नहीं है चाल कोई मेरी चाल से / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- मौत इक दिखावा है मर के भी नहीं मरते / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- मैं हूँ ज़माने की हर शय से बेख़बर फिर भी / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- जिगर से गर जिगर ख़ुद का, मिला देते तो अच्छा था / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- मुझे कोई परेशानी नहीं है / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- पी के आँखों से मसरूर हो जाएंगे / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- राहे-वफ़ा में जब भी कोई आदमी चले / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- राहे वफ़ा में जो चलता है तनहा तनहा / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- रत्तीभर झूठ नहीं इसमें, सपनों में मेरे आते हो तुम / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- सच कहता हूँ पानी कि फ़ितरत में रवानी है / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- तज़करा है तेरा मिसालों में / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- तेरे सर से तेरी बला जाए जब तक / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- तेरी यादें हैं सहारा मेरी तन्हाई का / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- तेरी बातें मैंने मानी / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- तुझको दिलबर तो मिला था, क्या हुआ / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- वो पास अगर मेरे होती, भर लेता उसे मैं बाहों में / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- वतन पे वीर हमेशा निसार होते हैं / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- तुम्हारे शहर में मशहूर नाम किसका था / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- याद आया मुझे तू ऐ मेरे वतन / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- क़तआत / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- ले के ख़ुशबू सू -ए-सहरा रोज़ो-शब जाते हैं हम / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- लौट कर आना था, लो आ गया, आने वाला / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- कोई भी चल न सका, साहिबे अफ़कार चले / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- मिलकर आओ हम सैर करें, इस मेगामाल में निफ़टी की / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- जब भी तू मेहरबान होता है / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- गर तुम्हें साथ मेरा गवारा नहीं / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- इल्तिजा कर रहा हूँ मैं तुमसे यही, नंगे पाँवों गली में न आया करो / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- मैं हूँ तेरी यादें हैं सागर का किनारा है / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- तू जो मुझसे प्यार करता, तू जो मेरा यार होता / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- ज़रा सा हौसला होता तो तूफां से गुज़र जाते / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- मेरा दिल जिस दिन मचलेगा, यार तुझे बहलाना होगा / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- मीठे अल्फ़ाज़ की जज़्बात पे बारिश करना / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- जो कहते थे के देंगे जान भी हम प्यार की ख़ातिर / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- है ग़ैब की सदा जो सुनाई न दे मुझे / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- दो सज़ा शौक़ से सज़ा क्या है / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- दिल से रक्खेंगे लगाकर हर निशानी आपकी / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- दिल में घर किए अपना ग़म हज़ार बैठे हैं / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- दूर रहना तो अब दूर की बात है, पास भी अब तो आया नहीं जाएगा / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- देखकर बस इक नज़र उसको दिवाना कर दिया / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- छा जाए घटा जब ज़ुल्फ़ों की / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- बिजलियों सी चमक है तेरी / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- भारत के शहनशाहों में एक ऐसा बशर था / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- बेवफ़ा को भी जहाँ में बावफ़ा मिल जाएगा / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- बेकसों को सताने से क्या फ़ायदा / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- ऐ काश मेरी भी बन जाए, जो बात है, बातों बातों में / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- आँचल जब भी लहराते हो / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- जाए जाकर, बेवफाई, कोई उनसे सीख आए / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- जब प्यार तेरा मुझको मयस्सर न हुआ था / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- ख़ुद को तुम मेरी कायनात कहो / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- आप से तुम, तुम से तू , कहने लगे / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- जिस्मे खाक़ी में क्या बला है वो / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- तुम लाजवाब थे और लाजवाब हो / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- बताऊँ क्यों अजीब हूँ / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- अपनी ज़ुल्फ़ें जब महे-कामिल में सरकाते हैं वो / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- आपकी शरारत भी आपकी इनायत है / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- छोड़ा था जहाँ मुझको उसी जा पे खड़ा हूँ / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- होता नहीं है प्यार भी अब प्यार की तरह / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- अब हमें टाटा का तोहफ़ा, ख़ुशनुमा मिल जाएगा / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- ख़ामोश रहेंगी पीपल पर, बैठी हुई ये चिड़ियाँ कब तक / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- नदी किनारे पानी में लड़की एक नहाती है / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- परेशाँ है मेरा दिल, मेरी आँखें भी हैं नम कुछ-कुछ / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- ज़हनो दिल में हर इक के उतर जाइए / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- शहीदे वतन का नहीं कोई सानी / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- गुज़री है रात कैसे सबसे कहेंगी आँखें / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- हवा के दोश पे किस गुलबदन की ख़ुशबू है / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- दिलों में फिर वो पहली सी, मोहब्बत हो अगर पैदा / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- चाहते हैं अब भुला दें उसको अपने दिल से हम / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- आँखों ने कह दिया जो कभी कह न पाए लब / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- खाक़ में मिल गए हम अगर देखिए / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- सुब्ह नौ की है तू रौशनी भी सनम / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- इनकार मोहब्बत का करेगा तू कहाँ तक / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- आज माहौल दुनिया का खूंरेज़ है / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- अश्के ग़म से अपना दामन तर-बतर होने के बाद / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'