श्याम कश्यप बेचैन
जन्म | 01 जुलाई 1948 |
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उपनाम | बेचैन |
जन्म स्थान | छत्तीसगढ़, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
आकाश को पढ़ा जाए, कहीं का तो हूँ (दोनों कविता-सँग्रह) | |
विविध | |
गज़लें, सॉनेट, गीत, दोहे, कवित्त, सवैये, कुण्डलियाँ, पद, मुक्तक आदि सभी काव्य-विधाओं में लेखन। | |
जीवन परिचय | |
श्याम कश्यप बेचैन / परिचय |
- सफ़र है, सफ़र में सबर रख के चल / श्याम कश्यप बेचैन
- अर्से के बाद आज इधर से उधर गया / श्याम कश्यप बेचैन
- हाय घुट-घुट के अपने अंदर लोग / श्याम कश्यप बेचैन
- ख़ुश्क जंगल की मर गईं सड़कें / श्याम कश्यप बेचैन
- सारी दुनिया हरी-भरी होगी / श्याम कश्यप बेचैन
- हम जब तेरे ख़याल में गहरे उतर गए / श्याम कश्यप बेचैन
- न पूछो ये क्या माजरा देखता हूँ / श्याम कश्यप बेचैन
- इस डगर कुछ लोग तो कुछ उस डगर जाते हैं, दोस्त / श्याम कश्यप बेचैन
- आज नहीं तो कल के करते पक्के वादे फिरते हैं / श्याम कश्यप बेचैन
- कैसी मिली है हमको विरासत में ज़िन्दगी / श्याम कश्यप बेचैन
- राह घनघोर है जहाँ मैं हूँ / श्याम कश्यप बेचैन
- क्या हुआ, पीछे अगर शिकवा-गिला करते हैं लोग / श्याम कश्यप बेचैन
- उमस है, प्यास है, गहरी घुटन है / श्याम कश्यप बेचैन
- बाहर से दिखाने के लिए भीड़-भाड़ है / श्याम कश्यप बेचैन
- महज़ एक दोस्ताना अर्ज़ है, समझे कि ना समझे / श्याम कश्यप बेचैन
- कुछ इस तरह शिकंजे में वह सियह वक़्त को कसता है / श्याम कश्यप बेचैन
- कपडे़ जैसा उधड़ उधड़ कर, जगह-जगह से फटता है / श्याम कश्यप बेचैन
- लोगों को बताता हूँ मैं आवाज़ की ताकत / श्याम कश्यप बेचैन
- चाहत ख़्वाबी / श्याम कश्यप बेचैन
- इतने गहरे हैं जब जुबानी में / श्याम कश्यप बेचैन
- दरिंदगी से न मिलती निजात है, यारो ! / श्याम कश्यप बेचैन
- जंग की ख़्वाहिश न दिल में, जे़हन में गारद न हो / श्याम कश्यप बेचैन
- चाह सबकी है, मसला हो हल, दोस्तो ! / श्याम कश्यप बेचैन
- सर के ऊपर फूस की छानी तो है / श्याम कश्यप बेचैन
- ओस है, लू भरी लहर भी है / श्याम कश्यप बेचैन
- मरुस्थल में हरेपन की झलक है / श्याम कश्यप बेचैन
- उर्दू कहेंगे लोग, ना हिन्दी कहेंगे लोग / श्याम कश्यप बेचैन
- शीशे की दीवार में बंद / श्याम कश्यप बेचैन
- पहले दिल से निकाल देते हैं / श्याम कश्यप बेचैन
- दिल कहीं, और कहीं नज़र रख के / श्याम कश्यप बेचैन
- मत कर मगर से बैर अरे यार शिवचरन / श्याम कश्यप बेचैन
- असमंजस में रह-रह के / श्याम कश्यप बेचैन
- बिखरे हुए गहने, फटी साड़ी की चिन्दियाँ / श्याम कश्यप बेचैन
- नफ़रत, वहशत, दहशत का सैलाब दिखाई देता है / श्याम कश्यप बेचैन
- बेक़रारी के क़रारों को न छेड़े कोई / श्याम कश्यप बेचैन
- ज़िंदगी, तेरे क़ैदख़ाने में / श्याम कश्यप बेचैन
- बेकार सर ना खाओ, मेरे सर में दर्द है / श्याम कश्यप बेचैन
- धज्जी-धज्जी हुए कफ़न फट कर कीलों की बस्ती में / श्याम कश्यप बेचैन
- कीजिए मत कमाल की उम्मीद / श्याम कश्यप बेचैन
- उसको देखा था, उसका डर देखा / श्याम कश्यप बेचैन
- अना की गाँठ में जकड़े हुए हैं / श्याम कश्यप बेचैन
- कौन करता है कहाँ भूल उन्हें क्या मालूम / श्याम कश्यप बेचैन
- ख़ुद को चलने से वो लाचार समझ बैठे हैं / श्याम कश्यप बेचैन
- दूसरों से जनाब ज़्यादा हैं / श्याम कश्यप बेचैन
- क्यों वो लगते हैं मुझे चाहने वालों की तरह / श्याम कश्यप बेचैन
- ऐशो-इशरत की ही फ़रमाइश नहीं / श्याम कश्यप बेचैन
- है ये लोहू-लुहान, ठीक नहीं / श्याम कश्यप बेचैन
- अपने लिए खेंची है जो उस हद के आसपास / श्याम कश्यप बेचैन
- मुझको क़तरा जो बनाता है मेरा डर ही तो है / श्याम कश्यप बेचैन
- वो अपने हाल पे राज़ी नहीं है / श्याम कश्यप बेचैन
- चाह रेशम की साड़ियों-सी है / श्याम कश्यप बेचैन
- हर तरफ से जमा रहा है वह / श्याम कश्यप बेचैन
- कहाँ फूलों के दरमियान रहे / श्याम कश्यप बेचैन
- रहा मैं सदा सब्ज़ मंज़र का आदी / श्याम कश्यप बेचैन
- घर बस्ती जंगल पानी में / श्याम कश्यप बेचैन
- कम न होंगे ज़िन्दगी भर काम, री बिटिया ! / श्याम कश्यप बेचैन
- करने का बंदोबस्त रहा, कुछ किया नहीं / श्याम कश्यप बेचैन
- उम्र का रास्ता ढलान पे है / श्याम कश्यप बेचैन
- तन को ढकने की कोई चीज़ तो है / श्याम कश्यप बेचैन
- हादसों से उबर नहीं पाया / श्याम कश्यप बेचैन
- उसकी यादों ने मेहरबानी की / श्याम कश्यप बेचैन
- अपने पसंदीदा सवालों से क़द की नाप / श्याम कश्यप बेचैन
- बात क्या हो सुलह-सफ़ाई की / श्याम कश्यप बेचैन
- उड़ते हुए जुगनू को सितारा समझ लिया / श्याम कश्यप बेचैन
- जिसकी आँखों में कोई ख़्वाब नहीं / श्याम कश्यप बेचैन
- नहीं बेसब्र चाहत होती है / श्याम कश्यप बेचैन
- हलक़े में चल रहा है दौरा अमीन का / श्याम कश्यप बेचैन
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