हरि फ़ैज़ाबादी
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हरि फ़ैज़ाबादी / परिचय |
कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
- नाव काग़ज़ की लहर पर छोड़ दो / हरि फ़ैज़ाबादी
- आदमी को आदमी से प्यार है / हरि फ़ैज़ाबादी
- आजकल किरदार की क़ीमत नहीं / हरि फ़ैज़ाबादी
- शोहरतों में आप जैसे हम नहीं / हरि फ़ैज़ाबादी
- बात मुझको आपकी कड़वी लगी / हरि फ़ैज़ाबादी
- जब तलक जान पर नहीं आता / हरि फ़ैज़ाबादी
- हल कोई मसअला नहीं होगा / हरि फ़ैज़ाबादी
- वक़्त जल्दी बुरा नहीं जाता / हरि फ़ैज़ाबादी
- जब भी जीवन में हार जाना तुम / हरि फ़ैज़ाबादी
- कुछ भी तू कर ले यार पैसे से / हरि फ़ैज़ाबादी
- ख़ूबियाँ देखिए सिकन्दर की / हरि फ़ैज़ाबादी
- नफ़रतें देख प्यारी आँखों में / हरि फ़ैज़ाबादी
- कौन उस आदमी के घर जाये / हरि फ़ैज़ाबादी
- रात-दिन आह ही कमाते हैं / हरि फ़ैज़ाबादी
- भूल जायेगा वो भुलाएँ तो / हरि फ़ैज़ाबादी
- पूछ अपना सवाल जल्दी से / हरि फ़ैज़ाबादी
- आन पर लोग जान देते हैं / हरि फ़ैज़ाबादी
- कोई भूखा न कोई बेघर हो / हरि फ़ैज़ाबादी
- सारी दुनिया भुलाए बैठे हैं / हरि फ़ैज़ाबादी
- कह दो खुल के अगर शिकायत है / हरि फ़ैज़ाबादी
- कुछ करो, कुछ बचा ही रहता है / हरि फ़ैज़ाबादी
- मुझको लगता है क्यों अजब तन्हा / हरि फ़ैज़ाबादी
- मौत से भागता नहीं कोई / हरि फ़ैज़ाबादी
- ढूँढ रहा नादान दूसरा / हरि फ़ैज़ाबादी
- कुछ मत सोचो कल क्या होगा / हरि फ़ैज़ाबादी
- सब सुधरेगा लेकिन कब तक / हरि फ़ैज़ाबादी
- देख रहा है वो तो सब कुछ / हरि फ़ैज़ाबादी
- जलना या जल जाना अच्छा / हरि फ़ैज़ाबादी
- दरवाज़े के बाहर भी है / हरि फ़ैज़ाबादी
- करना मुश्किल सैर दूर तक / हरि फ़ैज़ाबादी
- किसे चढ़ाएँ फूल आजकल / हरि फ़ैज़ाबादी
- गाँव मेरा मशहूर नहीं है / हरि फ़ैज़ाबादी
- आँगन सबको प्यारा, कैसे / हरि फ़ैज़ाबादी
- जिसको सबने अच्छा समझा / हरि फ़ैज़ाबादी
- प्यार हमेशा लड़कर जीता / हरि फ़ैज़ाबादी
- मोती तो गहराई में है / हरि फ़ैज़ाबादी
- घर में घुस कर डपट गयी थी / हरि फ़ैज़ाबादी
- जाने कैसा भाई है वो / हरि फ़ैज़ाबादी
- ग़म से जब घबराओगे तुम / हरि फ़ैज़ाबादी
- अपनों की जब शह पायेगा / हरि फ़ैज़ाबादी
- दिल से दिल का तार मिलेगा / हरि फ़ैज़ाबादी
- बड़ा कठिन है यारी करना / हरि फ़ैज़ाबादी
- धरती जब पथराव करेगी / हरि फ़ैज़ाबादी
- रिश्ता निर्धन और धनी में / हरि फ़ैज़ाबादी
- अभी जाइये मत महफ़िल से / हरि फ़ैज़ाबादी
- एक ही पीड़ा हर लब की है / हरि फ़ैज़ाबादी
- काँटों से मुँह मोड़ रहे हो / हरि फ़ैज़ाबादी
- बात किसी ने ख़ूब कही है / हरि फ़ैज़ाबादी
- तुमको मेरी चाह नहीं / हरि फ़ैज़ाबादी
- मक्खी पड़ी मलाई में / हरि फ़ैज़ाबादी
- हे प्रभु! जिसको बेटी दो / हरि फ़ैज़ाबादी
- बच्चे तो स्कूल गये / हरि फ़ैज़ाबादी
- उसके ऊपर मरते हैं / हरि फ़ैज़ाबादी
- क्या अनमोल जवानी है / हरि फ़ैज़ाबादी
- अच्छा ही है मुझे भरम है / हरि फ़ैज़ाबादी
- दुश्मन को लाचार क्या करे / हरि फ़ैज़ाबादी
- ज्यों-ज्यों सूरज निखर रहा है / हरि फ़ैज़ाबादी
- आयेगी ही वो थकान में / हरि फ़ैज़ाबादी
- हँसी-ख़ुशी के गीत रहे दिन / हरि फ़ैज़ाबादी
- दुःखी भले इन्सान रहेंगे / हरि फ़ैज़ाबादी
- बेटी सुन्दर नहीं बनेगी / हरि फ़ैज़ाबादी
- या रब कैसे इतनी आई / हरि फ़ैज़ाबादी
- मंज़र दिन का देख रात में / हरि फ़ैज़ाबादी
- कब तक देगा धोखा मुझको / हरि फ़ैज़ाबादी
- ज़ख़्म किसी का हरा मत करें / हरि फ़ैज़ाबादी
- मुश्किल है मरहला आपका / हरि फ़ैज़ाबादी
- बड़े-बड़े बेकार हो गये / हरि फ़ैज़ाबादी
- रूप सजाकर रखना मुश्किल / हरि फ़ैज़ाबादी
- घर में सब सामान हो गया / हरि फ़ैज़ाबादी
- बस में होता तो हर इन्सां / हरि फ़ैज़ाबादी
- हक़ पर चलकर दुःख होता है / हरि फ़ैज़ाबादी
- दूर रक्खे ख़ुदा ज़लालत से / हरि फ़ैज़ाबादी
- जो नहीं है उसी की चाहत है / हरि फ़ैज़ाबादी
- आदमी को है डर आदमी का / हरि फ़ैज़ाबादी
- न सही आज तो कल मिलेगा / हरि फ़ैज़ाबादी
- सुनते-सुनते झूठ जब बेबस हुआ / हरि फ़ैज़ाबादी
- फ़िक्र करते हम अगर नुक़सान की / हरि फ़ैज़ाबादी
- शख़्स मैं आदी ज़लालत का नहीं / हरि फ़ैज़ाबादी
- एक आप ही दुःखी नहीं हैं जीवन में / हरि फ़ैज़ाबादी
- दिन-ब-दिन दूरी बढ़ा के सादगी से आदमी / हरि फ़ैज़ाबादी
- आप और हम क्या मिलें ये सिलसिला अच्छा नहीं / हरि फ़ैज़ाबादी