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सायों के साए में / शीन काफ़ निज़ाम
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सायों के साए में
रचनाकार | शीन काफ़ निज़ाम |
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प्रकाशक | वाग्देवी प्रकाशन, सुगन निवास, चंदन सागर, बीकानेर-334001 |
वर्ष | 1996 |
भाषा | हिंदी |
विषय | |
विधा | ग़ज़ल |
पृष्ठ | 152 |
ISBN | 81-85127-48-4 |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
ग़ज़लें
- दरवाज़ा कोई घर से निकालने के लिए दे / शीन काफ़ निज़ाम
- वो गुनगुनाते रास्ते ख्वाबों के क्या हुए / शीन काफ़ निज़ाम
- बूँद बन-बन के बिखरता जाए / शीन काफ़ निज़ाम
- और कुछ देर यूँ ही शोर मचाए रखिए / शीन काफ़ निज़ाम
- फिर आश्ना अजनबी सा कोई उदास लम्हा ठहर गया क्या / शीन काफ़ निज़ाम
- वही न मिलने का ग़म और वही गिला होगा / शीन काफ़ निज़ाम
- नज्रे-बानी / शीन काफ़ निज़ाम
- दम घुट रहा है रात दिन की सर्द जंग से / शीन काफ़ निज़ाम
- जंगल से जलते बुझते नगर मेरे नाम क्यूँ / शीन काफ़ निज़ाम
- ख़ाक भी हो गई ख़ला अब के / शीन काफ़ निज़ाम
- फिर बोले सन्नाटे सूने / शीन काफ़ निज़ाम
- मिरे खुश्क़ खेतों को बरसात दे / शीन काफ़ निज़ाम
- जंगल के झरने की धार / शीन काफ़ निज़ाम
- छीन कर वो लज़्ज़्त-ए-सोतो सदा ले जाएगा / शीन काफ़ निज़ाम
- चेहरों की चोरी करता है / शीन काफ़ निज़ाम
- उन में से बच रहे जो हम हैं मियाँ / शीन काफ़ निज़ाम
- उम्र लंबी तो है मगर बाबा / शीन काफ़ निज़ाम
- पुरखों से जो मिली है वो दौलत भी ले न जाय / शीन काफ़ निज़ाम
- मंज़िल-ए-ख़्वाब और सफ़र अब तक / शीन काफ़ निज़ाम
- गए दिनों की याद सा वो फिर कहीं से आ गया / शीन काफ़ निज़ाम
- तुम्हें भी शहर के चौराहे पर सजा देंगे / शीन काफ़ निज़ाम
- बर्फ़ है रात, मगर यार पिघलती ही नहीं / शीन काफ़ निज़ाम
- झील के जज़ीरे लिख / शीन काफ़ निज़ाम
- अब बाम-ओ-दर का सर्द बदन चाटती है धूप / शीन काफ़ निज़ाम
- कहता है अपने आप को जो पैकर-ए-वफ़ा / शीन काफ़ निज़ाम
- आज वो भी घर से बेघर हो गया / शीन काफ़ निज़ाम
- पत्थरों की नदी बह गई शहर में / शीन काफ़ निज़ाम
- किसी के साथ अब साया नहीं है / शीन काफ़ निज़ाम
- आज हर सम्त भागते हैं लोग / शीन काफ़ निज़ाम
- ग़म की नदी में उम्र का पानी ठहरा-ठहरा लगता है / शीन काफ़ निज़ाम
- पहले ज़मीन बाँटी थी फिर घर भी बँट गया / शीन काफ़ निज़ाम
- तेरा पता बताता है / शीन काफ़ निज़ाम
- तो आँखों से अश्कों की बरसात होगी / शीन काफ़ निज़ाम
- खुद से भी उलझा तो होगा / शीन काफ़ निज़ाम
- आरजू थी एक दिन तुझ से मिलूं / शीन काफ़ निज़ाम
- जहाँ कल था वहीँ फिर आ गया हूँ / शीन काफ़ निज़ाम
- शुक्रिया यूँ अदा करता है गिला हो जैसे / शीन काफ़ निज़ाम
- मंज़र को किसी तरह बदलने के लिए दुआ दे / शीन काफ़ निज़ाम
- क्या खबर थी आतिशीं आब-ओ-हवा हो जाऊँगा / शीन काफ़ निज़ाम
- अक्स ने आईने का घर छोड़ा / शीन काफ़ निज़ाम
- इक सायं-सायं घेरे है गिरते मकान को / शीन काफ़ निज़ाम
- दीवार-ओ-दर खामोश दरीचों प' यास है / शीन काफ़ निज़ाम
- चाल हम सब से चल गया सूरज / शीन काफ़ निज़ाम
- एक दिन फिर लौट आऊंगा कहता था वो / शीन काफ़ निज़ाम
- जाएगा किधर सम्त ए सफ़र भी तो नहीं है / शीन काफ़ निज़ाम
- एक इक जिस की अदा हम को भी हरजाई लगे / शीन काफ़ निज़ाम
- सरनगूं हैं साअतों के सिलसिले सहमे हुए / शीन काफ़ निज़ाम
- शाख मेरी न अब समर मेरा / शीन काफ़ निज़ाम
- अपनी पलकें वो बंद रखता है / शीन काफ़ निज़ाम
- मेरी गज़लों में ढल गया होगा / शीन काफ़ निज़ाम
- कहीं से बोलता कोई नहीं है / शीन काफ़ निज़ाम
- मैं मौसमों की मसाफ़त का दास्तांगो हूँ / शीन काफ़ निज़ाम
- फ़र्द बाक़ी है ख़ानदान कहाँ / शीन काफ़ निज़ाम
- किसी को कुछ न बताओ किसी से कुछ न कहो / शीन काफ़ निज़ाम
- मौज-ए-हवा से फूलों के चेहरे उतर गए / शीन काफ़ निज़ाम
- रेत पर जितने भी नविश्ते हैं / शीन काफ़ निज़ाम
- मकानों के थे या ज़मानों के थे / शीन काफ़ निज़ाम
- मंजिलों का निशान कब देगा / शीन काफ़ निज़ाम
- दरीचा राह कोई देखता है / शीन काफ़ निज़ाम
- वो कुछ इस तरह चाहता है मुझे / शीन काफ़ निज़ाम
- बहर-ए-हस्ती को बेकरानी दे / शीन काफ़ निज़ाम
- रास्ते में वो मिला अच्छा लगा / शीन काफ़ निज़ाम
- कई शक्लों में खुद को सोचता है / शीन काफ़ निज़ाम
- मैंने तो ऐसा कोई मंज़र कभी देखा न था / शीन काफ़ निज़ाम
- अब ख्यालों में है न ख्वाबों में / शीन काफ़ निज़ाम
- दर्द-ओ-ग़म का घना अँधेरा था / शीन काफ़ निज़ाम
- पत्तियाँ हो गईं हरी देखो / शीन काफ़ निज़ाम
- धूप बारिश की बरकतें मांगे / शीन काफ़ निज़ाम
- मन रख के अपना गुम्बद-ए-बेदार के आस-पास / शीन काफ़ निज़ाम
- तू जब से बाहर निकला है / शीन काफ़ निज़ाम
- बाग़ में बस गया है डर लिखना / शीन काफ़ निज़ाम
- मौसम-ए-ग़म गुज़र न जाए कहीं / शीन काफ़ निज़ाम
- कभी जंगल कभी सहरा कभी दरिया लिखना / शीन काफ़ निज़ाम
- कागजी कश्तियाँ ख्वाबों में चलाने वाले / शीन काफ़ निज़ाम
- आँखें दें आइना दें / शीन काफ़ निज़ाम
- अब कोई दोस्त नया क्या करना / शीन काफ़ निज़ाम
- सराबी सिलसिले अच्चे लगेंगे / शीन काफ़ निज़ाम
- निगाहों पर निगाहबानी बहुत है / शीन काफ़ निज़ाम
- इस कदर भी तो बेमिसाल न हो / शीन काफ़ निज़ाम
- मिरे अफ्कार को इम्कान देना / शीन काफ़ निज़ाम
- न दरिया है न अब कच्चे घड़े हैं / शीन काफ़ निज़ाम
- परबत पर इक फूल खिला है / शीन काफ़ निज़ाम
- आज का दिन कितना अच्छा है / शीन काफ़ निज़ाम
- कतरे में दरिया होता है / शीन काफ़ निज़ाम
- जब से गई है छोड़ कर आवारगी मुझे / शीन काफ़ निज़ाम
नज़्में
- तराई में शाम / शीन काफ़ निज़ाम
- माहो-माही / शीन काफ़ निज़ाम
- इतना तो होगा ही / शीन काफ़ निज़ाम
- चांद कँवल / शीन काफ़ निज़ाम
- घाटी में चांद / शीन काफ़ निज़ाम
- तुम्हारी याद / शीन काफ़ निज़ाम
- कैवेन्टर्स ईस्ट-1 / शीन काफ़ निज़ाम
- कैवेन्टर्स ईस्ट-2 / शीन काफ़ निज़ाम
- दुख / शीन काफ़ निज़ाम
- शाम : एक मंज़र / शीन काफ़ निज़ाम
- तुम्हे देखे ज़माने हो गए हैं / शीन काफ़ निज़ाम
- जाड़े की दोपहर / शीन काफ़ निज़ाम