भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
एक पर्दा जो उठा / सरवर आलम राज़ 'सरवर'
Kavita Kosh से
एक पर्दा जो उठा
क्या आपके पास इस पुस्तक के कवर की तस्वीर है?
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
रचनाकार | सरवर आलम राज़ 'सरवर' |
---|---|
प्रकाशक | |
वर्ष | |
भाषा | |
विषय | |
विधा | |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- ढूँढते ढूँढते ख़ुद को मैं कहाँ जा निकला / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- दिल दुखाए कभी, जाँ जलाए कभी / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- बयान-ए-हुस्न-ओ-शबाब होगा / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- बात ऐसी क्या हुई साहिब! / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- नहीं मुझ को फ़िक्र-ए-साहिल ग़म-ए-नाख़ुदा नहीं है / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- तिरा यूँ फ़ैसला ऐ गर्दिश-ए-अय्याम हो जाए / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- दिल को यूँ बहला रख़्ख़ा है / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- जो अता करते हैं वो नाम-ए-ख़ुदा देते हैं / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- जब भी तेरा ख़याल आया है / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- आ भी जा कि इस दिल की शाम होने वाली है / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- जब नाम तिरा सूझै जब ध्यान तिरा आवै / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- कहाँ से आ गए तुम को न जाने / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- खेल इक बन गया ज़माने का / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- दिल पे गुज़री है जो बता ही दे / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- शाम-ए-अलम क्या शाम थी वो और रात भी क्या तनहाई की! / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- छोड़िए छोड़िए यह ढंग पुराना साहिब! / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- मुहब्बत आश्ना हो कर वफ़ा ना-आश्ना होना / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- क्या ख़ूब तुम ने मेरी वफ़ा का सिला दिया / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- कोई आज बैठा है नज़रें चुराए / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- हम हैं काबे से ही वाबस्ता, न बुतख़ाने से / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- उम्मीद-ओ-आरज़ू मेरी दमसाज़ बन गई / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- न सोज़ आह में मिरी, न साज़ है दिल में / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- हो गई मेराज-ए-इश्क़-ओ-आशिक़ी हासिल मुझे / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- माहौल साजगार फ़िज़ा ख़ुश्गवार है / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- दामन-ए-तार-तार ये सदक़ा है नोक-ए-ख़ार का / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- दिल दुखाना तिरी आदत है भुलाई न गई / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- हूँ ख़स्ता नफ़स आँख भी भर आई है / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- हम हुए गर्दिश-ए-दौरां से परिशां क्या क्या / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- जिगर सुलगता हुआ दिल बुझा बुझा होगा / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- मरीज-ए-इश्क़ पर पल में क़ियामत का गुज़र जाना / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- क्या तमाशा देखिए तहसील-ए-लाहासिल में है / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- कहने को यूँ तो ज़िन्दगी अपनी ख़राब की / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- दिल ही दिल में डरता हूँ तुझे कुछ न हो जाए / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- इलाही! हो गया क्या आख़िर इस ज़माने को / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- सब मिट गए माँगे हैं मगर तेरी नज़र और / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- मुझे ज़िन्दगी पे अपनी अगर इख्तियार होता / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- दयार-ए-जौर में दिल हार, जान वार आए / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- अफ़्सोस ख़ुद को ख़ुद पे नुमायां न कर सके / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- करे कर्ज़ तेरे अदा कोई, ऐ निग़ाह-ए-यार! कहाँ तलक? / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- आश्ना थे ख़ुद से फिर ना-आश्ना होते गए / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- रोज़-ओ-शब रुलाएगी आप की कमी कब तक? / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- कभी तुझ पे मेरी निगाह है, कभी ख़ुद से मुझ को ख़िताब है / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- रह-ए-वफ़ा में ग़म-ए-जुदाई कभी मिरा हम क़दम न होता / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- तमाम दुनिया में ढूँढ आया मैं ग़ुमशुदा ज़िन्दगी की सूरत / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- ज़माना एक जालिम है किसी का हो नहीं सकता / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- रह-ए-उल्फ़त निहायत मुख़्तसर मालूम होती है / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- नज़र मिली बज़्म-ए-शौक़ जागी, पयाम अन्दर पयाम निकला / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- नफ़स नफ़स सर-ब-सर परेशां, नज़र नज़र इज़्तिराब में है / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- जिस क़दर शिकवे थे सब हर्फ़-ए-दुआ होने लगे / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- हमने सब कुछ ही मुहब्बत में तिरे नाम किया / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- हसरत-ओ-यास को रुख़सत किया इकराम के साथ / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- आफ़त हो, मुसीबत हो, क़यामत हो, बला हो / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- कूचा कूचा नगर नगर देखा / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- हयात मौत का ही एक शाखसाना लगे / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- ख़ुशावक़्ते कि वादे कर के तुम हम से मुकरते थे / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- अजीब कैफ़-ओ-सुकूं जूस्तजू में था / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- लरज़ रहा है दिल-ए-सोगवार आँखों में / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- इक रिवायत के सिवा कुछ न था तक़दीर के पास / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- हिकायत-ए-ख़लिश-ए-जान-ए-बेक़रार न पूछ / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- सुना है अर्बाब-ए-अक़्ल-ओ-दानिश, हमें यूँ दाद-ए-कमाल देंगे / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- हमें ख़ुदा की क़सम याद आईयां क्या क्या / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- दिल ये कहता है तवाफ़-ए-कू-ए-जानाना सही / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- जब जब वो सर-ए-तूर तमन्ना नज़र आया / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- सौदा ख़ुदी का था न हमें बेख़ुदी का था / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- याद भी ख़्वाब हुई याद वो आते क्यों हैं? / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- तेरा गुज़र इधर जो ब-रंग-ए-सबा हुआ / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- ग़म-ए-ज़िन्दगी! तिरा शुक्रिया, तिरे फ़ैज़ ही से यह हाल है / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- ’सरवर’ जिगर के दाग़ नुमायां न कीजिए / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- हुस्न इर्फ़ान-ए-हक़ीक़त के सिवा कुछ भी नहीं / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- रंग-ओ-ख़ुश्बू शबाब-ओ-रानाई है / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- आबला पा घूमता हूँ वादी-ए-बेदाद में / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- हर आन मुहब्बत में मिरी जाँ पे बनी है / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- कशाकश-ए-ग़म-ए-हस्ती सताए क्या कहिए / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- यूँ आफ़्ताब-ए-शौक़ शब-ए-ग़म में ढल गया / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- दिल ने दुहराए कितने अफ़साने / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- सुब्ह-ए-इशरत देख कर, शामें ग़रीबां देख कर / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- पास है तुमको अगर पिछली शनासाई का / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- क्यों हर क़दम पे लाख तक्कलुफ़ जताइए? / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- ग़म-ए-फ़ुर्क़त की लौ हर लम्हें मद्धम होती जाती है / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- पूछिए मिरे दिल से इन्तज़ार का आलम / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- निगाह ख़ुद पे जो डाली तो ये हुआ मालूम / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- गो चाक रहा इस दिल-ए-नाशाद का दामन / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- जिगर की, दिल की, निगाहों की, जिस्म-ओ-जां की ख़बर / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- इलाही! क्यों नहीं जाता है ये मेरे जी का आलम / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- सूरत-ए-ज़ख़्म-ए-दिल-ओ-दर्द-ए-जिगर आता है / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- कोई तुम सा हो कज अदा न कभू / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- मजबूर-ए-मुहब्बत हूँ गुनहगार नहीं हूँ / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- हमेशा आर्ज़ूओं पर बसर की / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- न मैं सुब्ह का, न मैं शाम का / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- ज़मीं बाक़ी है पहले सी न ही वो आस्मां बाक़ी / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- कुछ इस तरह से तसव्वुर में बे-हिजाब हुए / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- रसन ये क्यों है बताओ ये दार कैसा है / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- जफ़ाएं देख लिया बे-वफ़ाईयां देखीं / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- दिल ने किसी की एक न मानी / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- रुस्वा रुस्वा सारे ज़माने / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- बता ये जज़्ब-ए-बे-इख़्तियार क्या होगा? / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- शब-ए-ग़म आर्ज़ूओं की फ़िरावानी नहीं जाती / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- आप आए याद की वो फ़ित्ना सामानी हो गई / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- मिरा जौक़-ए-मुहब्बत देखिए क्या गुल खिलाता है / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’
- उम्र भर रोया किए ना-कामियां देखा किए / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’