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कांतिमोहन 'सोज़'
Kavita Kosh से
कांतिमोहन 'सोज़'
जन्म | 14 जून 1936 |
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उपनाम | सोज़ |
जन्म स्थान | हलद्वानी, उत्तराखंड , भारत। |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
रात गए (ग़ज़ल-संग्रह) | |
विविध | |
पहले सिर्फ़ 'कांतिमोहन' के नाम से लिखते थे। पूरा नाम कांतिमोहन शर्मा है। | |
जीवन परिचय | |
कांतिमोहन 'सोज़' / परिचय |
कविता-संग्रह=
- क़दम मिलाके चलो / कांतिमोहन 'सोज़'
- [[गुनाहे-सुख़न / कांतिमोहन 'सोज़']
- रात गए / कांतिमोहन 'सोज़'
गीत
- लाल है परचम नीचे हँसिया / कांतिमोहन 'सोज़'
- जब आगे बढ़ते जाएँगे / कांतिमोहन 'सोज़'
- मज़दूर एकता के बल पर / कांतिमोहन 'सोज़'
- बोल मजूरे हल्ला बोल / कांतिमोहन 'सोज़'
- जागो रे मज़दूर किसान / कांतिमोहन 'सोज़'
- आ साथी बढ़े चलें ! / कांतिमोहन 'सोज़'
- चक्का जाम हुआ भई चक्का जाम हुआ ! / कांतिमोहन 'सोज़'
- फ़सल कटाई का गीत / कांतिमोहन 'सोज़'
- मई दिवस का गीत / कांतिमोहन 'सोज़'
- रेल-हड़ताल का गीत / कांतिमोहन 'सोज़'
- बिहार आन्दोलन का गीत / कांतिमोहन 'सोज़'
- इमरजेंसी का गीत / कांतिमोहन 'सोज़'
- नौजवानों से / कांतिमोहन 'सोज़'
- अब आगे बढ़ते जाएंगे मज़दूर-किसान हमारे / कांतिमोहन 'सोज़'
- लाल है परचम नीचे हँसिया ऊपर सधा हथौड़ा है / कांतिमोहन 'सोज़'
- क्रान्ति का गीत / कांतिमोहन 'सोज़'
- आ क़दम मिलाकर चल, चल क़दम मिलाकर चल / कांतिमोहन 'सोज़'
- क़दम बढ़ेंगे गिर-गिरके उठेंगे उठ-उठके चलेंगे आ साथी ! / कांतिमोहन 'सोज़'
- क़िस्मत के नहीं हिकमत के धनी दौलत के नहीं हिम्मत के धनी / कांतिमोहन 'सोज़'
- मंज़िलें दूर हैं पैर मजबूर हैं / कांतिमोहन 'सोज़'
- छब्बीस जनवरी आती है छब्बीस जनवरी जाती है / कांतिमोहन 'सोज़'
- मज़दूर एकता के बल पर हर ताक़त से टकराएँगे / कांतिमोहन 'सोज़'
- जितने भी हुए हैं ज़ुल्मो-सितम / कांतिमोहन 'सोज़'
- जाग उठा मज़दूर रे साथी जाग उठा मज़दूर / कांतिमोहन 'सोज़'
ग़ज़लें
- शाने-हिन्दोस्तान हैं बाबा / कांतिमोहन 'सोज़'
- धीरज ठहर सका न दिले-बेक़रार में / कांतिमोहन 'सोज़'
- हम मक़सद के दीवाने हैं मियाँ हमारी बात न कर / कांतिमोहन 'सोज़'
- ऐ मेरी रूहे-ग़ज़ल साथ निभाना होगा / कांतिमोहन 'सोज़'
- वो देखता नहीं कि इधर देखता नहीं / कांतिमोहन 'सोज़'
- मयख़ाने का हूँ मैं भी मिन्जुमलए-खासाना / कांतिमोहन 'सोज़'
- ग़म से बढ़कर खुशी नहीं लगती / कांतिमोहन 'सोज़'
- ख़राबा अपना न गुलज़ार हम कहाँ जाएँ / कांतिमोहन 'सोज़'
- क्या देखना है और यहाँ कुछ तो बोल तू / कांतिमोहन 'सोज़'
- तेरे कूचे में बिस्मिल ज़िन्दगानी और क्या करते / कांतिमोहन 'सोज़'
- है पेशो-पस कि तेरी आरज़ू करें न करें / कांतिमोहन 'सोज़'
- इधर हैं रीते पियाले इधर भी एक नज़र / कांतिमोहन 'सोज़'
- बालू से चिनी जाएगी दीवार कहाँ तक / कांतिमोहन 'सोज़'
- चलके लुट जाएँ ग़मे-सूद-ओ-ज़ियां के पहले / कांतिमोहन 'सोज़'
- या तो हरेक बशर के लिए मय हराम हो / कांतिमोहन 'सोज़'
- इस लम्हा मेरे दिल न परेशान ज़रा हो / कांतिमोहन 'सोज़'
- ये भी किसकी समझ में आया है / कांतिमोहन 'सोज़'
- दाद की तो बात क्या बेदाद तक बाक़ी नहीं / कांतिमोहन 'सोज़'
- मैं जानता हूँ इधर से तेरा गुज़र भी नहीं / कांतिमोहन 'सोज़'
- मैं जी रहा हूँ मगर जी ज़रा नहीं लगता / कांतिमोहन 'सोज़'
- कभी जुनूँ के कभी मांदगी के साथ चलें / कांतिमोहन 'सोज़'
- मीठी है इस क़दर उसे कैसे चुभन कहें / कांतिमोहन 'सोज़'
- अपना वुजूद बाइसे-तूफ़ां हुआ तो है / कांतिमोहन 'सोज़'
- किया इस दरजा तनहा ज़िन्दगी ने / कांतिमोहन 'सोज़'
- गर उसकी ज़ुल्फ़ परीशां नहीं तो कुछ भी नहीं / कांतिमोहन 'सोज़'
- तमाम उम्र सितम हमपे वो हज़ार करे / कांतिमोहन 'सोज़'
- बाग़े-हयात की हुई आबो-हवा कुछ और ही / कांतिमोहन 'सोज़'
- कभी ख़ुशी के कभी ग़म के गीत गाते रहे / कांतिमोहन 'सोज़'
- कोई जज़ा कोई मनसब कोई सिला भी नहीं / कांतिमोहन 'सोज़'
- क्यूँ फिर दिले-मफ़लूज में हरकत-सी हुई है / कांतिमोहन 'सोज़'
- क्या उसे इतना भा गया हूँ मैं / कांतिमोहन 'सोज़'
- आजमाना भी जानता है वो / कांतिमोहन 'सोज़'
- यकायक उसको क्या सूझा क़लम कर दी ज़बां मेरी / कांतिमोहन 'सोज़'
- करम काफ़ी है जानेजां सितम की क्या ज़रुरत है / कांतिमोहन 'सोज़'
- आहें भरके देखेंगे / कांतिमोहन 'सोज़'
- ग़ज़ल गा रहे हैं सवेरे-सवेरे / कांतिमोहन 'सोज़'
- किसी ने बर्फ़ सी भर दी थी तोपों के दहानों में / कांतिमोहन 'सोज़'
- तू एक आईनागर है संभल के चल बाबा / कांतिमोहन 'सोज़'
- बताएं क्या तुम्हें कैसा है अपना हाल मियां / कांतिमोहन 'सोज़'
- नए अंदाज़ से दाख़िल वो हमलावर यहां होगा / कांतिमोहन 'सोज़'
- जाग रहा है फिर भी पड़ा है / कांतिमोहन 'सोज़'
- ग़ैर के वास्ते दुआ करना / कांतिमोहन 'सोज़'
- किस बला का जोश जानां तेरे दीवाने में है / कांतिमोहन 'सोज़'
- एक दिन मेरी मान लो यूं ही / कांतिमोहन 'सोज़'
- दिल की धड़कन अजीब क्या कहिए / कांतिमोहन 'सोज़'
- तू लिख रहा है नस्र तरन्नुम की बात कर / कांतिमोहन 'सोज़'
- क्या क्या पापड़ बेल चुके हैं अब ग़म से घबराना क्या / कांतिमोहन 'सोज़'
- शेख़ का एहतराम करते हैं / कांतिमोहन 'सोज़'
- कोई बिजली खला में कौंध जाए यूूं भी होता / कांतिमोहन 'सोज़'
- ए साक़िआ मस्ताना मेरी कौन सुनेगा / कांतिमोहन 'सोज़'
- अब उसकी बज़्म में कौन आएगा खुदा जाने / कांतिमोहन 'सोज़'
- अब सिवा मेरे कहीं उसका गुज़ारा भी नहीं / कांतिमोहन 'सोज़'
- क्या क्या पापड़ बेल चुके हैं अब ग़म से घबराना क्या / कांतिमोहन 'सोज़'
- बात अब जब भी चलेगी तोप की तलवार की / कांतिमोहन 'सोज़'