भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दर्द बस्ती का / विनोद तिवारी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 7 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 31: पंक्ति 31:
 
*[[जीना है तो बदलते रहो मौसमों के साथ/ विनोद तिवारी]]
 
*[[जीना है तो बदलते रहो मौसमों के साथ/ विनोद तिवारी]]
 
*[[आँखें तो ढूँढती रहीं सपन-सपन-सपन / विनोद तिवारी]]
 
*[[आँखें तो ढूँढती रहीं सपन-सपन-सपन / विनोद तिवारी]]
 +
*[[कुछ चाल बाज़  ले उड़े पते ख़ुशियों से भरे ख़ज़ानों के / विनोद तिवारी]]
 +
*[[इस शहर में कुछ नई बातें हुई हैं / विनोद तिवारी]]
 +
*[[क़ीमतें चढ़ती गई हैं इस क़दर बाज़ार की / विनोद तिवारी]]
 
*[[इस शहर की हर गली में बस रहे बीमार लोग / विनोद तिवारी]]
 
*[[इस शहर की हर गली में बस रहे बीमार लोग / विनोद तिवारी]]
 
*[[ज़िंदगी जीने का कोई तो बहाना चाहिए / विनोद तिवारी]]
 
*[[ज़िंदगी जीने का कोई तो बहाना चाहिए / विनोद तिवारी]]
पंक्ति 46: पंक्ति 49:
 
*[[कुछ विरासत थी कुछ कमाए भी / विनोद तिवारी]]
 
*[[कुछ विरासत थी कुछ कमाए भी / विनोद तिवारी]]
 
*[[उनकी हर रात-जूही फूल हुआ करती है / विनोद तिवारी]]
 
*[[उनकी हर रात-जूही फूल हुआ करती है / विनोद तिवारी]]
*[[रात के सुनसान मेँ मिलती है आग / विनोद तिवारी]]
+
*[[रात के सुनसान में मिलती है आग / विनोद तिवारी]]
*[[तुम्हारे कोष में वक्तव्य तो सुनहरे हैं / विनोद तिवारी]]
+
*[[तुम्हारे कोश में वक्तव्य तो सुनहरे हैं / विनोद तिवारी]]
 
*[[आपके झूठे सहारों का भरम टूट गया / विनोद तिवारी]]
 
*[[आपके झूठे सहारों का भरम टूट गया / विनोद तिवारी]]
 
*[[रास्तों के घुमाव देख लिए / विनोद तिवारी]]
 
*[[रास्तों के घुमाव देख लिए / विनोद तिवारी]]
पंक्ति 54: पंक्ति 57:
 
*[[कुछ इस क़दर ग़ुबार भरे दिन हैं आजकल / विनोद तिवारी]]
 
*[[कुछ इस क़दर ग़ुबार भरे दिन हैं आजकल / विनोद तिवारी]]
 
*[[क्या करें और कहाँ जाएँ बताए कोई / विनोद तिवारी]]
 
*[[क्या करें और कहाँ जाएँ बताए कोई / विनोद तिवारी]]
*[[कभी तो जागेहगा वैताल देखते रहिए / विनोद तिवारी]]
+
*[[कभी तो जागेगा वैताल देखते रहिए / विनोद तिवारी]]
 
*[[कह दो धन से बल से शोहरत हासिल करने वालों से / विनोद तिवारी]]
 
*[[कह दो धन से बल से शोहरत हासिल करने वालों से / विनोद तिवारी]]
 
*[[किताब खोले कभी यूँ ही सोचता हूँ मैं / विनोद तिवारी]]
 
*[[किताब खोले कभी यूँ ही सोचता हूँ मैं / विनोद तिवारी]]
 +
*[[लिख गया नारे कोई दीवार पर / विनोद तिवारी]]
 
*[[सुबह बनने चली दोपहर / विनोद तिवारी]]
 
*[[सुबह बनने चली दोपहर / विनोद तिवारी]]
 
*[[दुनिया मस्त खिलौने पाकर हम सन्नाटा बुनते हैं / विनोद तिवारी]]
 
*[[दुनिया मस्त खिलौने पाकर हम सन्नाटा बुनते हैं / विनोद तिवारी]]
 
*[[कहीं भी लेश अपनापन नहीं है / विनोद तिवारी]]
 
*[[कहीं भी लेश अपनापन नहीं है / विनोद तिवारी]]
*[[गुलदस्तों में कुछ् कनेर के फूल बचे बीमारों से / विनोद तिवारी]]
+
*[[गुलदस्तों में कुछ कनेर के फूल बचे बीमारों से / विनोद तिवारी]]
 
*[[किसी भी रात जब क़ाग़ज़-कलम उठाता हूँ / विनोद तिवारी]]
 
*[[किसी भी रात जब क़ाग़ज़-कलम उठाता हूँ / विनोद तिवारी]]
 
*[[मिला जो यान वो टूटा हुआ मिला मुझको / विनोद तिवारी]]
 
*[[मिला जो यान वो टूटा हुआ मिला मुझको / विनोद तिवारी]]
पंक्ति 67: पंक्ति 71:
 
*[[अब चलो मेहनतकशों के गीत गाएँ / विनोद तिवारी]]
 
*[[अब चलो मेहनतकशों के गीत गाएँ / विनोद तिवारी]]
 
*[[लिख गया नारे कोई दीवार पर / विनोद तिवारी]]
 
*[[लिख गया नारे कोई दीवार पर / विनोद तिवारी]]
 +
*[[ज़मीन पाँव तले आसमान सर पर है / विनोद तिवारी]]
 
*[[जीए तो आपके हक़ में रहे दुआ करते / विनोद तिवारी]]
 
*[[जीए तो आपके हक़ में रहे दुआ करते / विनोद तिवारी]]
 
*[[कामुकों का गाँव बेवा का शबाब / विनोद तिवारी]]
 
*[[कामुकों का गाँव बेवा का शबाब / विनोद तिवारी]]
*[[छा गए हैं आज फिर बादल घने / विनोद तिवारी]]
+
*[[छा गए हैं आज फिर बादल घने / विनोद तिवारी]]
 
*[[ज़मीन पाँव तले आसमान सर पर है / विनोद तिवारी]]
 
*[[ज़मीन पाँव तले आसमान सर पर है / विनोद तिवारी]]
 
*[[काम सब ठप है कारख़ानों में / विनोद तिवारी]]
 
*[[काम सब ठप है कारख़ानों में / विनोद तिवारी]]
 +
*[[हर दिशा में घने कुहासे हैं / विनोद तिवारी]]
 +
*[[आपके घर रौशनी से भर गए हैं / विनोद तिवारी]]
 +
*[[गीत मन का दर्द सहलाते नहीं / विनोद तिवारी]]
 +
*[[देखिए कितने सोगवार हैं लोग / विनोद तिवारी]]
 +
*[[चलते जाने क धर्म हैं सड्कें / विनोद तिवारी]]
 +
*[[दो बस्तियों के बीच में बनने लगा है पुल / विनोद तिवारी]]
 
*[[आँधियों से थे अनमने तिनके / विनोद तिवारी]]
 
*[[आँधियों से थे अनमने तिनके / विनोद तिवारी]]
*[[ / विनोद तिवारी]]
+
*[[अब सुलगती ज़िन्दगी के नाम अंगारे लिखो / विनोद तिवारी]]
*[[ / विनोद तिवारी]]
+
*[[मत कहो कि बाज़ुओं में शक्ति कम है / विनोद तिवारी]]
*[[ / विनोद तिवारी]]
+
*[[कभी तो जश्ने-चराग़ाँ शहर-शहर होगा / विनोद तिवारी]]
*[[ / विनोद तिवारी]]
+
*[[इस जहाँ से जो भी कुछ सीखा लिखा हमने / विनोद तिवारी]]
*[[ / विनोद तिवारी]]
+
*[[ / विनोद तिवारी]]
+
*[[ / विनोद तिवारी]]
+
*[[ / विनोद तिवारी]]
+
*[[ / विनोद तिवारी]]
+
*[[ / विनोद तिवारी]]
+
*[[ / विनोद तिवारी]]
+
*[[ / विनोद तिवारी]]
+
*[[ / विनोद तिवारी]]
+
*[[ / विनोद तिवारी]]
+

21:45, 22 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण

दर्द बस्ती का
Dardbasteekaa 001.jpg
रचनाकार विनोद तिवारी
प्रकाशक नीलेश प्रकाशन,कृष्ण नगर,दिल्ली-५१
वर्ष १९८४
भाषा हिन्दी
विषय हिन्दी ग़ज़ल संकलन
विधा
पृष्ठ ८०
ISBN
विविध
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।