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चिन्ता / अज्ञेय
Kavita Kosh से
चिन्ता
रचनाकार | अज्ञेय |
---|---|
प्रकाशक | |
वर्ष | 1942 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविता |
विधा | |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
विश्वप्रिया
- छाया, छाया तुम कौन हो / अज्ञेय
- छाया! मैं तुममें किस वस्तु का अभिलाषी हूँ / अज्ञेय
- विश्व-नगर में कौन सुनेगा मेरी मूक पुकार / अज्ञेय
- सब ओर बिछे थे नीरव छाया के जाल घनेरे / अज्ञेय
- हा कि मैं खो जा सकूँ / अज्ञेय
- तेरी आँखों में क्या मद है जिसको पीने आता हूँ / अज्ञेय
- आ जाना प्रिय आ जाना / अज्ञेय
- आज तुम से मिल सकूँगा था मुझे विश्वास / अज्ञेय
- ओ उपास्य! तू जान कि कैसे अब होगा निर्वाह / अज्ञेय
- व्यथा मौन / अज्ञेय
- मैं अपने को एकदम / अज्ञेय
- मेरे उर ने शिशिर-हृदय से सीखा करना प्यार / अज्ञेय
- गए दिनों में औरों से भी मैं ने प्रणय किया है / अज्ञेय
- फूला कहीं एक फूल / अज्ञेय
- जाने किस दूर वन-प्रांतर से उड़ कर / अज्ञेय
- इस कोलाहल भरे जगत में / अज्ञेय
- प्राण तुम आज चिंतित क्यों हो / अज्ञेय
- तुम्हारा जो प्रेम अनंत है / अज्ञेय
- संसार का एकत्व / अज्ञेय
- कैसे कहूँ कि तेरे पास आते समय / अज्ञेय
- हमारा तुम्हारा प्रणय / अज्ञेय
- तुम गूजरी हो / अज्ञेय
- इतने काल से मैं / अज्ञेय
- प्रिये तनिक बाहर तो आओ / अज्ञेय
- प्राण-वधूटी / अज्ञेय
- विद्युद्गति में / अज्ञेय
- आओ एक खेल खेलें / अज्ञेय
- वधुके उठो / अज्ञेय
- सुमुखि मुझको शक्ति दे / अज्ञेय
- जिह्वा ही पर नाम रहे / अज्ञेय
- ये सब कितने नीरस जीवन के लक्षण हैं / अज्ञेय
- मेरे मित्र, मेरे सखा / अज्ञेय
- इस विचित्र खेल का अंत / अज्ञेय
- आकाश में एक क्षुद्र पक्षी / अज्ञेय
- अंत कब कहाँ / अज्ञेय
- तुम्हीं हो क्या वह / अज्ञेय
- मन मुझ को कहता है / अज्ञेय
- मैं हूँ खड़ा देखता / अज्ञेय
- तोड़ दूँगा मैं तुम्हारा आज यह अभिमान / अज्ञेय
- तितली, तितली / अज्ञेय
- जब तुम हँसती हो / अज्ञेय
- जान लिया तब प्रेम रहा क्या / अज्ञेय
- जब मैं तुमसे विलग होता हूँ / अज्ञेय
- मैंने अपने आप को / अज्ञेय
- हा वह शून्य / अज्ञेय
- तुम जो सूर्य को जीवन देती हो / अज्ञेय
- तुम देवी हो नहीं / अज्ञेय
- तुम में यह क्या है / अज्ञेय
- वह इतना नहीं / अज्ञेय
- मैं अब सत्य को छिपा नहीं सकता / अज्ञेय
- यह छिपाए छिपता नहीं / अज्ञेय
- जीवन का मालिन्य / अज्ञेय
- हम एक हैं / अज्ञेय
- यह एक कल्पना है / अज्ञेय
- अपने प्रेम के उद्वेग में / अज्ञेय
- छलने! तुम्हारी मुद्रा खोटी है / अज्ञेय
- चुक गया दिन / अज्ञेय
- इंदु तुल्य शोभने / अज्ञेय
- किंतु छलूँ क्यों अपने को फिर / अज्ञेय
- मैं था कलाकार / अज्ञेय
- मैं तुम्हें किसी भी वस्तु की / अज्ञेय
- इस प्रलयंकर कोलाहल में / अज्ञेय
- बाहर थी तब राका छिटकी / अज्ञेय
- वह प्रेत है / अज्ञेय
- क्षण भर पहले ही आ जाते / अज्ञेय
- देवता / अज्ञेय
- मैं अपने अपनेपन से / अज्ञेय
- कल मुझ में उन्माद जगा था / अज्ञेय
- मैं आम के वृक्ष की छाया में / अज्ञेय
- स्वर्गंगा की महानता में / अज्ञेय
- दीप बुझ चुका / अज्ञेय
- मैं केवल एक सखा चाहता था / अज्ञेय
- नहीं, नियति को दोष क्यों दूँ / अज्ञेय
- पता नहीं कैसे / अज्ञेय
- हमारी कल्पना के प्रेम में / अज्ञेय
- जीवन बीता जा रहा है / अज्ञेय
- इस परित्यक्त केंचुल की ओर / अज्ञेय
- नहीं देखने को उसका मुख / अज्ञेय
- मेरे गायन की तान / अज्ञेय
- ऊषा अनागता / अज्ञेय
- आज चल रे तू अकेला / अज्ञेय
- मेरे आगे तुम ऐसी खड़ी / अज्ञेय
- मैं तुम्हें जानता नहीं / अज्ञेय
- मैं अपने पुराने जीर्ण शरीर से / अज्ञेय
- यह नया जीवन कहाँ से आया / अज्ञेय
- व्यष्टि जीवन का अंधकार / अज्ञेय
- विज्ञान का गंभीर स्वर / अज्ञेय
- शब्द-शब्द-शब्द / अज्ञेय
- नहीं काँपता है अब अंतर / अज्ञेय
- मैं जीवन-समुद्र पार कर के / अज्ञेय
- विदा! विदा! / अज्ञेय
- हमें एक दूसरे को / अज्ञेय
- विदा हो चुकी / अज्ञेय
- तुम्हारी अपरिचित आकृति को देख कर / अज्ञेय
- तरु पर कुहुक उठी पड़कुलिया / अज्ञेय
- तुम आए, तुम चले गए / अज्ञेय
- यह केवल एक मनोविकार है / अज्ञेय
- मैं जगत को प्यार कर के / अज्ञेय
- तुम्हारे प्रणय का कुहरा / अज्ञेय
- निराश प्रकृति / अज्ञेय
- जब तुम चली जा रही थीं / अज्ञेय
- अब भी तुम निर्भीक हो / अज्ञेय
- विफले! विश्वक्षेत्र में खो जा / अज्ञेय
- प्रत्यूष के क्षीणतर होते / अज्ञेय
- मेरे प्राण आज कहते हैं / अज्ञेय
- तुम में या मुझ में / अज्ञेय
- कभी-कभी मेरी आँखों के आगे / अज्ञेय
- उखड़ा-सा दिन / अज्ञेय
- तुम मेरे जीवन-आकाश में / अज्ञेय
- मुझे जो बार-बार / अज्ञेय
- आओ, हम-तुम अपने संसार का / अज्ञेय
- वह पागल है / अज्ञेय
- भीम-प्रवाहिनी / अज्ञेय
- हमारा प्रेम / अज्ञेय
- मैं तुम्हें संपूर्णतः जान गया हूँ / अज्ञेय
- मेरे उर की आलोक-किरण / अज्ञेय
- तुम चैत्र के वसंत की तरह हो / अज्ञेय
- अल्लाह के / अज्ञेय
- इस अपूर्ण जग में कब किसने / अज्ञेय
- निष्पत्ति / अज्ञेय
एकायन
- / अज्ञेय
- / अज्ञेय
- / अज्ञेय
- / अज्ञेय
- / अज्ञेय
- / अज्ञेय
- / अज्ञेय
- / अज्ञेय
- / अज्ञेय
- / अज्ञेय
- / अज्ञेय
- / अज्ञेय
- / अज्ञेय
- / अज्ञेय
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