भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
डी. एम. मिश्र
Kavita Kosh से
डींगुर मल मिश्र
जन्म | 15 अक्तूबर 1950 |
---|---|
जन्म स्थान | मरखापुर, बिझूरी, सुलतानपुर, उत्तर प्रदेश |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
डींगुर मल मिश्र / परिचय |
रचना संग्रह
- ग़ज़ल संचयन / डी. एम. मिश्र
- समकाल की आवाज़ / डी.एम. मिश्र
- लेकिन सवाल टेढ़ा है / डी. एम. मिश्र
- वो पता ढूँढें हमारा / डी. एम. मिश्र
- आईना-दर-आईना / डी. एम. मिश्र
- रोशनी का कारवाँ / डी. एम. मिश्र
- उजाले का सफर / डी. एम. मिश्र
- यह भी एक रास्ता है / डी. एम. मिश्र
- इज़्ज़तपुरम् / डी. एम. मिश्र
- आदमी की मुहर / डी. एम. मिश्र
- लहरों के हस्ताक्षर / डी. एम. मिश्र
- टेम्पो वाला छोरा / डी. एम. मिश्र
- मंगरू का नज़ला / डी. एम. मिश्र
कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
ग़ज़ल
- हवा ख़िलाफ़ है लेकिन दिए जलाता हूँ / डी. एम. मिश्र
- गमे आशिक़ी ने सँभलना सिखाया / डी. एम. मिश्र
- उड़ी ख़बर कि शहर रोशनी में डूबा है / डी. एम. मिश्र
- ग़रीबी से बढ़कर सज़ा ही नहीं है / डी. एम. मिश्र
- अपनी खुशबू से मुअत्तर कर दे / डी. एम. मिश्र
- नज़र उठाये तो वो बेक़रार हो जाये / डी. एम. मिश्र
- नींद में भी नज़र से गुजरे हैं / डी. एम. मिश्र
- किसी के पास में चेहरा नहीं है / डी. एम. मिश्र
- दाना डाल रहा चिड़ियों को मगर शिकारी है / डी. एम. मिश्र
- यूँ अचानक हुक्म आया लॉकडाउन हो गया / डी. एम. मिश्र
- नम मिट्टी पत्थर हो जाये ऐसा कभी न हो / डी. एम. मिश्र
- गाँवों का उत्थान देखकर आया हूँ / डी. एम. मिश्र
- मौत का मंज़र हमारे सामने था / डी. एम. मिश्र
- आइने में खरोचें न दो इस क़दर / डी. एम. मिश्र
- सत्ता की कामयाबियों में देखिये उसे / डी. एम. मिश्र
- रोज़ किसी की शील टूटती पुरूषोत्तम के कमरे में / डी. एम. मिश्र
- जुल्म और अन्याय सहने के लिए मजबूर था / डी. एम. मिश्र
- शौक़िया कुछ लोग चिल्लाने के आदी हो गये / डी. एम. मिश्र
- फ़ितरतों से दूर उसकी मुफ़लिसी अच्छी लगी / डी. एम. मिश्र
- अँधेरा जब मुक़द्दर बन के घर में बैठ जाता है / डी. एम. मिश्र
- कभी लौ का इधर जाना, कभी लौ का उधर जाना / डी. एम. मिश्र
- प्राणों में ताप भर दे वो राग लिख रहा हूँ / डी. एम. मिश्र
- बेाझ धान का लेकर वो जब हौले-हौले चलती है / डी. एम. मिश्र
- बनावट की हँसी अधरों पे ज़्यादा कब ठहरती है / डी. एम मिश्र
- अमीरी है तो फिर क्या है हर इक मौसम सुहाना है / डी. एम मिश्र
- बहुत सुना था नाम मगर वो जन्नत जाने कहाँ गयी / डी. एम. मिश्र
- इक घड़ी भी जियो इक सदी की तरह / डी. एम. मिश्र
- आदमी देवता नही होता / डी. एम. मिश्र
- जिनके जज़्बे में जान होती है / डी. एम. मिश्र
- झोंपड़ी में हों या हवेली में / डी. एम. मिश्र
- बुझे न प्यास तो फिर सामने नदी क्यों है / डी. एम. मिश्र
- मुहब्बत टूट कर करता हूँ, पर अंधा नहीं बनता / डी. एम. मिश्र
- काँटे भी हैं वहीं, वहीं खिलता गुलाब है / डी.एम.मिश्र
- तुम्हारे साथ चलने का न सुख पाता तो क्या गाता / डी.एम.मिश्र
- मैं शोला तो नहीं फिर भी हूँ इक नन्हीं-सी चिन्गारी / डी.एम.मिश्र
- मुस्कराते हुए चेहरे हसीन लगते हैं / डी.एम.मिश्र
- पुरख़तर यूँ रास्ते पहले न थे / डी.एम.मिश्र
- असफल हों या सफल हों, पर आस मर न जाये / डी.एम.मिश्र
- कभी वतन से अपने दूर नहीं हो पाया / डी.एम.मिश्र
- टूट कर जाता बिखर गर हौसला होता नहीं / डी.एम.मिश्र
- प्यार होता है हर कहानी में / डी.एम.मिश्र
- ख़ुद की कभी नज़र से सामना नहीं होता / डी.एम.मिश्र
- महकती फ़ज़ा का गुमाँ बन गया मैं / डी.एम.मिश्र
- मुझे भी हारकर तेवर दिखाना पड़ गया आखि़र / डी.एम.मिश्र
- हम ग़जल अपने लिए कम ही लिखे / डी.एम.मिश्र
- मंजिल हमारी और है रस्ते हमारे और / डी.एम.मिश्र
- कर न पाया सर कलम जब तीर से, तलवार से / डी.एम.मिश्र
- कोई ‘हिटलर’ अगर हमारे मुल्क में जनमे तो / डी.एम.मिश्र
- रंगत बिगड़ गयी हो तो तस्वीर क्या करे / डी.एम.मिश्र
- धूप थी, लंबा सफ़र था, दूर तक साया न था / डी. एम. मिश्र
- खुला आकाश भी था सामने माक़ूल मौसम था / डी. एम. मिश्र
- दिल से जो लफ़्ज निकले उसे प्यार बना देना / डी. एम. मिश्र
- जिसे कोई आसक्ति न हो मैं उस फ़क़ीर से डरता हूँ / डी. एम. मिश्र
- है ज़माने को ख़बर हम भी हुनरदारों में हैं / डी. एम. मिश्र
- दरबारियों की भीड़ है दरबार से चलो / डी. एम. मिश्र
- जो ग़रीब का ख़ून चूसती वह सरकार निकम्मी है / डी. एम. मिश्र
- मेरी सुबहों मेरी शामों पे बुलडोज़र चला देगा / डी. एम. मिश्र
- किससे कहूँ कि खेतों से हरियाली ग़ायब है / डी. एम. मिश्र
- सितम ढा रहे हैं सवेरे-सवेरे / डी. एम. मिश्र
- गीत ग़ज़ल गाना दरबारी सबके बस की बात नहीं / डी. एम. मिश्र
- बेला, जुही, चमेली, चम्पा, हरसिंगार लिख दे / डी. एम. मिश्र
- बूँद भर पानी नहीं था फिर भी कश्ती चल रही थी / डी. एम. मिश्र
- उधर आकाश था ऊँचा, इधर गहरा समंदर था / डी. एम. मिश्र
- माँ तू कैसे जा सकती है तेरी यादें ज़िंदा हैं / डी. एम. मिश्र
- इतनी-सी इल्तिजा है चुप न बैठिए हुज़ूर / डी. एम. मिश्र
- सामने गर हो किनारा तो बहुत कुछ शेष है / डी. एम. मिश्र
नई ग़ज़लें
- आपने ही कौन-सा है तीर मारा / डी. एम. मिश्र
- ऐसे क़ातिल से बचिए जो रक्षक भी होता है / डी. एम. मिश्र
- है क़फ़स में जिंदगानी क्या बताऊँ / डी. एम. मिश्र
- बड़े -बड़े गामा उतरे हैं दंगल में / डी. एम. मिश्र
- अरे यार अब तो झांसे से बाहर आओगे / डी. एम. मिश्र
- तूफ़ानों से बचने का अब समय नहीं / डी. एम. मिश्र
- कृष्न करै तो लीला बोलो, किसना करै किनारा / डी. एम. मिश्र
- सवाल ये है कभी क्या किसी ने सोचा है / डी. एम. मिश्र
- आप मज़े में हैं तो क्या फ़स्ले बहार है / डी. एम. मिश्र
- दरिया में मत आग लगाओ नई नीति से / डी. एम. मिश्र
- जनता से नाता न रखेंगे कब तक अच्छे लोग / डी. एम. मिश्र
- दाग़ मेरे भी दामन पर है, दाग़दार तो मैं भी / डी. एम. मिश्र
- ग़मज़दा आंखों का दो बूंद नीर कैसे बचे / डी. एम. मिश्र
- चिंगारियों की सुर्ख डगर देख रहा हूँ / डी. एम. मिश्र
- उधर बुलंदी पे उड़ता हुआ धुआँ देखा / डी. एम. मिश्र
- मेरा ज़मीर मेरा सब कुछ है / डी. एम. मिश्र
- मारा गया इंसाफ़ माँगने के जुर्म में / डी. एम. मिश्र
- सरकार चेत जाइए डरिए किसान से / डी. एम. मिश्र
कविता
- किसी ने पूछा / डी. एम. मिश्र
- ईमानदारी बोलती है / डी. एम. मिश्र
- जॉगर का सुवरन / डी. एम. मिश्र
- बाज़ार / डी. एम. मिश्र
- गाँधी / डी. एम. मिश्र
- बड़ा बिगौना दिल्ली मा / डी. एम. मिश्र
- त्रिलोचन: धरती का हरसिंगार / डी. एम. मिश्र
- वही व्यक्ति शिव होता है / डी. एम. मिश्र
- वो मानबहादुर होता है / डी. एम. मिश्र
- तो अजमल को समझे / डी. एम. मिश्र
- हर बात रोटी से / डी. एम. मिश्र
- चक्रव्यूह / डी. एम. मिश्र
- कन्ता न जाओ शहर / डी. एम. मिश्र
- जूते मजबूत कर लो / डी. एम. मिश्र
- यह है हमारी चौहद्दी / डी. एम. मिश्र