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आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप 'सिन्दूर'
Kavita Kosh से
आत्म-रति तेरे लिये
रचनाकार | रामस्वरूप 'सिन्दूर' |
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प्रकाशक | साहित्य सदन, 54/27 नया गंज, कानपुर -208001 |
वर्ष | 1986 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | गीत |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ
- ऐसे क्षण आए जीवन में / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- बाहर के मधुबन से / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- तय न हो पाया कि / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- झंकृत धरती-आकाश / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- मैं परिधियों में रहूँ या / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- तू है जहाँ, वहाँ आ पाना / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- सब कुछ भूला / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- वचन हारने लगो / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- तुम आये तो / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- चाहूँ या कि न चाहूँ / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- मैं प्रसंगवश कह बैठा हूँ / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- सेज फूलों की सजाये / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- मैं ऐसा दानी हूँ / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- हर सुबह हर शाम / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- अन्तर की आवाज़ ने / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- नीर खूब बरसा है / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- छुम छम छम बरसे नीर / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- रात अँधेरी / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- याद रहे रंगों का मेला / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- वे क्षण / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- मुरझा कर भी / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- सेज बिछ गई / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- महके फूल / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- भर आया क्यों नीर / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- मुख न निहारो / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- कौन सी मदिरा / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- प्राण यहाँ भी / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- पंछी ने / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- आज रात बीती / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- एक तरफ कुहरा / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- वह घड़ी भी याद आये / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- एक शूल / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- पथ की जगह / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- आज हो रहा / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- दृष्टि में चन्दा / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- मधुर दिन बीते / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- हम हैं साथी यात्री / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- जिन राहों पर / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- हम क्या थे / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- उन्मन उन्मन सुबह / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- जो निहाँ रहता था / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- होंठ थर-थर काँपते हैं / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- ज़िन्दगी रहेगी ही / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- लगता है कुछ दिनों से / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- रात भर जागी सुबह / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- कुछ दूर से देखें / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- चाहिये था कुछ / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- जी सके हैं / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- उस बेजुबाँ के सामने / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- बिछुड़ के तुमसे / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- आँख को / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- हम क्या हैं / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- मुझको एहसास की / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- आज की ये रात / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- हम अजाने रहे / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- आँखों में है शराब / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- मैं जो रोया / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- ये रात गुजरेगी / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- आँखें तो हैं / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- वो बेवफ़ा ही सही / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- अए गमे दिल / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप ‘सिन्दूर’
- कोई बयाबाँ में आज मुझको / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप 'सिन्दूर'
- क्या लिया गया, दिया गया / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप 'सिन्दूर'
- छोड़ कर भाग दिये मैखाना / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप 'सिन्दूर'
- कहाँ तूफ़ान आये हैं / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप 'सिन्दूर'
- वेदना मेरी बनी संवेदना / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप 'सिन्दूर'
- सिन्धु तो पार कर गया होता / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप 'सिन्दूर'
- ज़िन्दगी माँगी हुई सौगात है / आत्म-रति तेरे लिये / रामस्वरूप 'सिन्दूर'