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* [[औरत को खिलौना  मत समझो, छू ले तो तेज़ कटारी है / डी. एम. मिश्र]]
 
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* [[बंद कर देना बहुत आसान है / डी. एम. मिश्र]]
 
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* [[ बंद कर देना बहुत आसान है / डी. एम. मिश्र]]
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* [[भीड़ से बाहर निकल कर आइए / डी. एम. मिश्र]]
 
* [[गुनाहों से पर्दा कभी तो उठेगा / डी. एम. मिश्र]]
 
* [[गुनाहों से पर्दा कभी तो उठेगा / डी. एम. मिश्र]]
 
* [[आजकल दिल में अचानक से दर्द होता है / डी. एम. मिश्र]]
 
* [[आजकल दिल में अचानक से दर्द होता है / डी. एम. मिश्र]]

18:45, 3 मई 2025 के समय का अवतरण

सच कहना यूँ अंगारों पर चलना होता है
Sach kahna.jpg
रचनाकार डी. एम. मिश्र
प्रकाशक श्वेतवर्णा प्रकाशन, नई दिल्ली
वर्ष 2025
भाषा हिंदी
विषय ग़ज़ल संग्रह
विधा ग़ज़ल
पृष्ठ 120
ISBN 978-93-49136-88-5
विविध
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