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रहगुज़र / शोभा कुक्कल
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रहगुज़र
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रचनाकार | शोभा कुक्कल |
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प्रकाशक | कल्पांत प्रकाशन,शाहदरा दिल्ली |
वर्ष | 2012 |
भाषा | हिंदी |
विषय | शायरी |
विधा | ग़ज़ल |
पृष्ठ | 116 |
ISBN | 81-903889-7-5 |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ
- राजेन्द्र नाथ रहबर / रहगुज़र / शोभा कुक्कल
- अमर साहनी / रहगुज़र / शोभा कुक्कल
- मुकेश गंभीर / रहगुज़र / शोभा कुक्कल
- रूबरू / रहगुज़र / शोभा कुक्कल
- ख़्वाब थे मेरे कुछ सुहाने से / शोभा कुक्कल
- आखिर आखिर अपने दिल को राह पर लाना पड़ा / शोभा कुक्कल
- दुनिया है चार दिन की सब आकर चले गये / शोभा कुक्कल
- वो रोज़ हमसे नया इक क़रार करता है / शोभा कुक्कल
- अफवाहों के इस दौर में ऐसा भी हुआ है / शोभा कुक्कल
- कभी वो रंज के सांचे में ढाल देता है / शोभा कुक्कल
- मत दिखा रोब तू नवाबी का / शोभा कुक्कल
- तिरे आँगन में है जो पेड़ फूलों से लदा होगा / शोभा कुक्कल
- कौन कहता है उसे दिल, ऐसा दिल तो दिल नहीं / शोभा कुक्कल
- ये कह कह के हम दिल को बहला रहे हैं / शोभा कुक्कल
- है बहुत तुम पे ऐतबार मुझे / शोभा कुक्कल
- द्वार पर हम उनके जाएंगे ज़रूर / शोभा कुक्कल
- बच्चों का है प्यारा जुगनू / शोभा कुक्कल
- जो प्रभु की याद से ग़ाफ़िल हो वो दिल दिल नहीं / शोभा कुक्कल
- मेरे घर की भी कभी शोभा बढ़ाकर देखें / शोभा कुक्कल
- वो बचपन के नन्हें से साथी वो बातें / शोभा कुक्कल
- प्यार सच्चा प्यार होना चाहिए / शोभा कुक्कल
- गुज़र जाएँगे ये दिन बेबसी के / शोभा कुक्कल
- देखना तो ये उसकी नादानी / शोभा कुक्कल
- उबाल आता है जब दिल में कलम अपनी उठाती हूँ / शोभा कुक्कल
- मुसीबत में हमेशा साथ जो देता रहा होगा / शोभा कुक्कल
- हर इक जांदार को होती है जैसे आस्ताने की / शोभा कुक्कल
- बुराई करके भी जो लोग पछताया नहीं करते / शोभा कुक्कल
- सारा जहान छोड़ के तुम से ही प्यार था / शोभा कुक्कल
- जो सजता है कलाई पर कोई ज़ेवर हसीनों की / शोभा कुक्कल
- वतन के दुश्मनों से कब वो टकराया नहीं करते / शोभा कुक्कल
- सत्कार जिन में हमको सिखाया न जायेगा / शोभा कुक्कल
- महरुमियों के साज़ पे गा कर चले गये / शोभा कुक्कल
- मायूसियों को दूर दिलों से भगाइए / शोभा कुक्कल
- क्या काम नहीं कुछ तुझे शोख़ी से अदा से / शोभा कुक्कल
- किसी सूरत हमारा परचमे-दिल खम नहीं होता / शोभा कुक्कल
- ले के जो मंज़िल पे जाये रास्ता कोई तो हो / शोभा कुक्कल
- बातें करने में तो दुनिया में सभी होश्यार थे / शोभा कुक्कल
- बना चांद दूल्हा, सुहानी हैं रातें / शोभा कुक्कल
- तारीकियों को दूर जहाँ से भगाइये / शोभा कुक्कल
- था जिसका मेरे दिल को मुद्दतों से इंतज़ार आई / शोभा कुक्कल
- वो मन्दिर की हो मस्जिद की हो या चौखट हसीनों की / शोभा कुक्कल
- वो बात-बात में बातें हज़ार करता है / शोभा कुक्कल
- इके दिन किसी गरीब की बिगड़ी बना के देख / शोभा कुक्कल
- काटे हैं दिन हयात के लाचार की तरह / शोभा कुक्कल
- हमारी ज़िन्दगी क्या क्या हमें जलवे दिखाती है / शोभा कुक्कल
- जो कहता है सो कहता है वही दिन रात कहता है / शोभा कुक्कल
- प्यार सच्चा है हमारा इसमें हैं गहराइयाँ / शोभा कुक्कल
- ख़ुदा के वास्ते बहने दो तुम इन मेरे अश्क़ों को / शोभा कुक्कल
- गिरने वाला कहां सम्भलता है / शोभा कुक्कल
- कभी न आये कोई अड़चन / शोभा कुक्कल
- आ आ पुकारती है तुझे रुत बहार की / शोभा कुक्कल
- मुद्दआ दिल का उसी शख्स से पाया होगा / शोभा कुक्कल
- दिल किसानों के गीत गाते हैं / शोभा कुक्कल
- रात ऐसे गुज़ारता है कोई / शोभा कुक्कल
- फकीरी में भी हम रखते है कायम शाने-सुल्तानी / शोभा कुक्कल
- आज हम उनके दर पे जाएंगे / शोभा कुक्कल
- सलामत हर तरह ईमान रखिये / शोभा कुक्कल
- उसने जो आज बहुत खुद को सजाया होगा / शोभा कुक्कल
- याद रहती है हमेशा रहनुमाई आपकी / शोभा कुक्कल
- मुश्किलों में भी नहीं ठहरा कलम / शोभा कुक्कल
- कभी वो शोख़ होता है कभी वो टिमटिमाता है / शोभा कुक्कल
- जैसे बनता हो कारखानों में / शोभा कुक्कल
- खेत मेरा हमवार बना दे ऐ मौला / शोभा कुक्कल
- फ़ाक़ामस्तों के लिए हाथ बढ़ाये रखना / शोभा कुक्कल
- पीठ को मेरी थपथपाती है / शोभा कुक्कल
- इक फूल तो भगवान के कदमों में चढ़ा है / शोभा कुक्कल
- उनके उपकार याद आते हैं / शोभा कुक्कल