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पृथ्वी को हमने जड़ें दीं / नीलोत्पल
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पृथ्वी को हमने जड़ें दीं
रचनाकार | नीलोत्पल |
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प्रकाशक | बोधि प्रकाशन, जयपुर |
वर्ष | 2014 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | |
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ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- दिखता नहीं चिड़ियों का प्रेम / नीलोत्पल
- मेरी छाती धड़कती है निर्वस्त्र मन को छूने पर / नीलोत्पल
- ज़्यादा अलग किताबें होती हैं / नीलोत्पल
- क्या होगी वक़्त की सही आवाज़ / नीलोत्पल
- हम खड़े हैं कटे पेड़ों के नीचे / नीलोत्पल
- समुद्र से रिक्त लौटने के बावजूद / नीलोत्पल
- नमक का पानी / नीलोत्पल
- क्योंकि हमारी मौतें उतनी नहीं थीं / नीलोत्पल
- तुम धरती-आकाश हो / नीलोत्पल
- मैं बताना चाहता था फ़सलों की अनंत स्मृतियां / नीलोत्पल
- तुम्हारे सहारे ही जीता आया हूँ अंधेरा / नीलोत्पल
- चाहता हूँ यह पृथ्वी / नीलोत्पल
- मैं देखता हूँ समुद्र और बारिश के बीच चींटियों का चलना / नीलोत्पल
- तब भी समझ लोगी अनकहा / नीलोत्पल
- मैंने अपने दिनों को उम्मीदों से सराबोर रखा / नीलोत्पल
- किराए के घर, उधार के खेत के बीच / नीलोत्पल
- जहां एक चिड़िया का डर आसमान छूता है / नीलोत्पल
- रंदे से अग्नि की छिलपटें उतारते / नीलोत्पल
- आग की इबारत / नीलोत्पल
- शब्द ज़ख़्मी हैं तो तुम्हारी ज़िद के कारण / नीलोत्पल
- यक़ीन करना जगह देना है ख़़ुद को भीतर / नीलोत्पल
- मैंने शब्दों के भीतर उतरकर देखा / नीलोत्पल
- अब के रक्तबीज पनपे / नीलोत्पल
- मेरी एक जगह थी / नीलोत्पल
- वह जीवन को जीवन देती आवाज़ / नीलोत्पल
- मैं उस पत्थर की बात नहीं कर रहा जो / नीलोत्पल
- हमने कभी फ़ातिहा नहीं पढ़ा ज़िंदगी की हार पर / नीलोत्पल
- चुनी हुई मौतों के साथ / नीलोत्पल
- सवाल यह है / नीलोत्पल
- किसी तरह हम परस्पर हो सकें / नीलोत्पल
- तुम वही करो जो चलते हुए सोच रहे हो / नीलोत्पल
- तुम मत खोजो कोई चेहरा / नीलोत्पल
- मैं तुम्हें आवाज़हीन सुनता हूं / नीलोत्पल
- तुम्हें अपने ख़िलाफ़ नहीं जाना चाहिए / नीलोत्पल
- हमने एक-दूसरे को सांत्वना देने के लिए नहीं चुना / नीलोत्पल
- झूठ की अनिवार्यता के साथ / नीलोत्पल
- सुख उसके लिए रिक्त स्थान की तरह रहा / नीलोत्पल
- जैसा कि हर सच के बाद / नीलोत्पल
- कविता एक मुक़ाम है / नीलोत्पल
- चंद तरह के आसमान पर / नीलोत्पल
- हम सिर्फ़ हमले करते हैं अपने होने के / नीलोत्पल
- जीवन संवाद / नीलोत्पल
- इनका पत्थर होना गाता हूं / नीलोत्पल
- ख़ाली आकाश ख़ाली नहीं / नीलोत्पल
- मैं अपने ही ख़तरे में हूं / नीलोत्पल
- हम नहीं, हमारे वस्त्र चमकदार थे / नीलोत्पल
- स्मृतिहीन / नीलोत्पल
- नरक में आग ढ़ोने वाली कविताएं / नीलोत्पल
- मुझे पराजित नहीं किया गया / नीलोत्पल
- हमारे बीच जाने कितने समुंदर हैं / नीलोत्पल
- मेरे सीने पर चाक चलता है / नीलोत्पल
- धरती, समुंदर के लिए खोजता हूं अपनी आवाज़ / नीलोत्पल
- रास्ते वहां भी हैं / नीलोत्पल
- मैं पेड़ों में पत्तियों की तरह आता हूं / नीलोत्पल
- वे चेहरे जो गिरे मेरे अंधकार में / नीलोत्पल
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- मैं और अधिक सच नहीं चाहता / नीलोत्पल
- बारिश उतार रही थीं अपनी जड़ें / नीलोत्पल
- आईने के बरअक़्स / नीलोत्पल
- रेत और लहर की अनुपस्थिति के दरम्यान / नीलोत्पल
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- बड़ा अजीब है अपनी कहानी कहना / नीलोत्पल
- मेरे प्यारे देश! / नीलोत्पल
- तुम जो मेरी प्रेमिका नहीं हो / नीलोत्पल
- ज़िदगी श्वेत वस्त्रों की तरह नहीं / नीलोत्पल
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- सभी के अपने रास्ते हैं / नीलोत्पल
- मैं लौट जाऊंगा गाए बिना / नीलोत्पल
- मिक्लोश रादनोती के लिए / नीलोत्पल
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- यात्राएं / नीलोत्पल
- मैं विदा नहीं ले सकता / नीलोत्पल
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- मूकदर्शक / नीलोत्पल
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- नग्नता / नीलोत्पल
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- मैं एक अधूरे से पहाड़ पर / नीलोत्पल
- अटोप / नीलोत्पल
- तुम्हारी नाभि में / नीलोत्पल
- असंभव छवि की तरह / नीलोत्पल
- हमें गढा नहीं जा सकता / नीलोत्पल
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